हवस और बदला
 
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हवस और बदला

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अपडेट 1

रंजीत अपने समय का एक सफल बिजनेसमैन था। पैसों की कभी कोई कमी नहीं आई। एक खुशमिजाज इंसान थे। यह अपने बेटे की बुरी आदतों से हमेशा परेशान रहते। उन्हें लगा अगर जिम्मेदारी मिलेगी तो ठीक हो जाएगा इसलिए उन्होंने अपने दोस्त की बेटी से इसकी शादी करवा दी।

राजेश एक नंबर का ऐय्याश किस्म का इंसान है। इसे हमेशा से सिर्फ पैसे और लड़कियों का नशा है। ना जाने कितनी लड़कियों की जिंदगी खराब कर चुका है। इसका एक खास दोस्त था अभय सिंह। दोनों साथ में हर काम करते। पर राजेश के पास अभय से ज्यादा दौलत थी जिसके वजह से वह हमेशा अभय को नीचा दिखाता। जब अभय की शादी हो गई तो उसने सारे गलत काम बंद कर दिए। अब वह एक शरीफ इंसान बन गया है। इसलिए रंजीत को लगा था कि राजेश भी सुधर जाएगा।

संगीता से शादी के बाद उसने पहले तो कुछ ना किया। चुपके-चुपके ऐय्याशी करता। जिसका पता रंजीत को लगा तो उसने सोचा उसने संगीता की जिंदगी बर्बाद कर दी।

शादी के 1 साल बाद संगीता माँ बन गई, उसने एक लड़की को जन्म दिया, नेहा। राजेश को इससे कोई मतलब ना था।

शादी के 1.5 साल बाद राजेश ने संगीता पर अत्याचार शुरू कर दिया। रोज उसे मारता, बेइज्जत करता। पर संगीता ने कभी कुछ न कहा। एक दिन शराब के नशे में उसने संगीता से जबरदस्ती की जिससे उसकी आत्मा को ठेस पहुँच गई। पर इसके कारण वह फिर से माँ बन गई। और इस बार उसने एक लड़के को जन्म दिया, समीर।

रंजीत ने जब समीर को देखा तब उसे बहुत खुशी हुई। नेहा को देखकर भी हुई थी। पर समीर के आने से उसका वंश अब आगे बढ़ता। इधर अभय और उसकी बीवी रागिनी को भी एक बेटी हुई, रितिका।

संगीता जब भी समीर को देखती तो उसे वह रात याद आती जब राजेश ने उसके साथ जबरदस्ती की थी। इसलिए वह समीर को उसकी जबरदस्ती की निशानी मानती थी। समीर के 1 साल होने के बाद संगीता ने राजेश को तलाक दे दिया। कोर्ट ने 2 बच्चों को बाँट दिया। जिससे नेहा संगीता के पास आती और समीर राजेश के पास।

संगीता को समीर से कोई मतलब ना था। उसे लगा था यह भी अपने बाप की तरह ही होगा। इसलिए वह नेहा को लेकर अपने घर आ गई।

रंजीत भी दुखी था लेकिन एक खुशी थी कि समीर उसके पास था।

राजेश ने तलाक के दूसरे दिन ही रेशमा से शादी कर ली जिसके साथ यह रोज अपनी हवस मिटाता और शादी भी हवस मिटाने के लिए ही की थी। रेशमा ने आते के साथ ही समीर को टॉर्चर करना शुरू कर दिया। उसे खाना नहीं देती। छोटी-छोटी बात पर मारती। और हमेशा अपने कमरे में ही पड़ी रहती।

रंजीत ने एक मेड का इंतजाम किया जो समीर का ख्याल रखती। और उसने अभय और रागिनी को कहकर रितिका को समीर के साथ खेलने के लिए बुला लिया। रितिका और समीर रोज एक-दूसरे के घर जाकर खेलते रहते।

समय ऐसे ही निकलता गया। राजेश और रेशमा की एक बेटी हुई, रिया। राजेश भी समीर को मारता रहता। अपना सारा गुस्सा बिना वजह समीर पर उतारता।

एक दिन रंजीत किसी काम से बाहर गया था, जब वह वापस आया तब देखा समीर के हाथ में चोट लगी है और खून निकल रहा है और वह रो रहा है। रंजीत ने रेशमा को बुलाया जो अपने कमरे में फोन पर बातें कर रही थी।

रंजीत: क्या तुम्हें सुनाई नहीं देता, समीर कबसे रो रहा है। और उसे चोट लगी है।

रेशमा: मैं अपने कमरे में फोन पर बात कर रही थी, शायद इसलिए सुनाई नहीं दिया। आप टेंशन ना लो, मैं अभी देखती हूँ।

यह बोल रेशमा समीर को कमरे में ले गई। जहाँ उसे दवाई लगाने के बहाने उसे मारती और उसकी चोट पर दबा देती। जिससे समीर और रोने लगता। यह सब रंजीत चुपके देखता है।

रंजीत: मेरे जाने के बाद यह हैवान समीर को जान से मार देंगे। मुझे कुछ करना ही होगा।

उसने अपना फोन निकाला और अपने दोस्त के बेटे को, जिसे उसने अपना बेटा माना है, उसे कॉल लगाया।

थोड़ी देर में वह घर आता है।

रंजीत: अशोक, तुम्हें मैंने यहाँ एक जरूरी काम से बुलाया है।

अशोक: कहिए ना अंकल, क्या काम है। मैं वह काम जरूर पूरा करूँगा।

रंजीत: तुम्हें मेरी जो यह प्रॉपर्टी है, उसे समीर के नाम करनी है। और वह सीक्रेट प्रॉपर्टी भी। क्योंकि अब समीर ही मेरा बदला ले पाएगा। राजेश से तो मुझे अब कोई भी उम्मीद नहीं है। कल अगर मुझे कुछ हो गया तो यह हैवान उस बच्चे को मार देंगे।

अशोक: ठीक है अंकल, मैं कर दूँगा।

रंजीत: तुम अभी उस सीक्रेट प्रॉपर्टी और बदले के बारे में किसी को कुछ मत बताना, सही समय आने पर तुम खुद समीर से मिलके उसे सब बताना और अभी के लिए यह प्रॉपर्टी उसके नाम करो। और ऐसा नियम बनाओ कि अगर किसी भी तरह समीर को कुछ होता है तो सारी प्रॉपर्टी ट्रस्ट के पास जाएगी और अगर समीर ने अपनी मर्जी से किसी को दिया तो अलग बात है।

अशोक: ठीक है अंकल, मैं देख लूँगा।

फिर अशोक वहाँ से चला जाता है।

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अपडेट 2

समय निकलने लगता है। समीर और रितिका की दोस्ती एकदम खास हो गई थी। समीर रितिका से पूछे बिना कोई काम नहीं करता। और रितिका भी समीर का पूरा ख्याल रखती। दोनों एक-दूसरे के बिना एक पल नहीं रहते। रितिका को एक बहन भी होती है, रितु।

अब यह लोग हाई स्कूल में थे। समीर और रितिका एक ही स्कूल में पढ़ते, जहाँ समीर का बेस्ट फ्रेंड बना ऋषि, वहीँ रितिका की बेस्ट फ्रेंड बनी काजल।

एक दिन समीर रितिका के घर से खेलकर वापस आता है तो देखता है उसके दादाजी की तबीयत खराब हो चुकी है।

रंजीत: समीर, मेरी एक बात मानना। मैंने तुम्हारे नाम यह सारी प्रॉपर्टी कर दी है। तुम यह किसी के नाम मत करना, खासकर अपने पिता के नाम। और मेरे बाद अगर तुम्हें कहीं भी प्यार ना मिले तो तुम लंदन चले जाना और यहाँ कभी भी वापस मत आना, जब तक बहुत जरूरी ना हो।

समीर: मैं ऐसा ही करूँगा दादाजी।

राजेश यह बात सुन लेता है कि उसके बाप ने सारी दौलत उसके बेटे के नाम कर दी है। तो उसका गुस्सा सातवें आसमान में पहुँच जाता है।

कुछ दिन बाद रंजीत की डेथ हो जाती है, जिससे समीर पूरी तरह से अकेला हो जाता है। अब बस रितिका और ऋषि ही थे उसके अपने।

राजेश ने समीर को प्रॉपर्टी के लिए और टॉर्चर करना शुरू कर दिया था। अब उसे रोज मारता। रेशमा भी यही करती। समीर ने सब बर्दाश्त किया पर प्रॉपर्टी नहीं दी।

अब यह लोग क्लास 9 में थे। समीर तो अब रितिका को प्यार करने लगा था और यह बात ऋषि भी जानता, इसलिए उसने समीर को प्रपोज करने को बोला।

समीर थोड़ा नर्वस था। पर उसने हिम्मत करके एक दिन सबसे सामने रितिका को प्रपोज कर दिया।

रितिका ने उसे एक थप्पड़ मार दिया।

रितिका: तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे प्रपोज करने की। तुम जैसे एक लूजर से मैं प्यार करूँगी, यह तुमने सोचा भी कैसे। तुम्हारे साथ थोड़ा टाइम स्पेंड कर लिया, एक दोस्त समझ किया तो तुम इस हरकत पर आ गए।

रितिका की यह सारी बातें समीर के दिल में चुभ रही थी।

रितिका: अरे, जिसकी माँ ने उसे जन्म देते ही छोड़ दिया। जिसका बाप उसे अपना बेटा नहीं मानता, यहाँ तक कि जो दादाजी को प्यार करते, वह भी चले गए, ऐसे इंसान से मैं प्यार करूँ। अभी के अभी मेरी नजरों से दूर हो जाओ। इससे पहले मैं कुछ गलत कर दूँ।

समीर को उसके पेरेंट्स और दादाजी वाली बात हद से ज्यादा बुरी लगी। अब उसका यहाँ पर रुकना बहुत मुश्किल हो रहा था। इसलिए वह वहाँ से चला गया।

रितिका की आँखें भी नम थीं। पर वह सबसे छुपाकर वहाँ से चली जाती है।

ऋषि भी वहीँ खड़ा यह सब देख रहा था, उसकी आँखों में भी आँसू थे।

समीर वहाँ से सीधा घर आया। जहाँ उसके साथ एक बार फिर प्रॉपर्टी को लेकर टॉर्चर हुआ। पर इस बार उसे यह टॉर्चर का अहसास नहीं हो रहा था। उसे रितिका की सारी बातें याद आ रही थीं। फिर उसे अपने दादाजी की बातें याद आती हैं। उसने प्रॉपर्टी के पेपर्स लिए और साइन कर दिया और बोला मुझे यहाँ नहीं रहना, मुझे लंदन भेज दे।

राजेश भी सोचता है, अगर यह यहाँ रहा तो कल को फिर से प्रॉपर्टी पर हक जमाने की सोच सकता है। इससे अच्छा है यह यहाँ से कहीं दूर चला जाए।

राजेश ने तुरंत समीर के लंदन जाने की तैयारी कर दी। रात को ऋषि ने समीर को कॉल किया।

ऋषि: सॉरी भाई, मेरी वजह से यह सब हो गया।

समीर: नहीं ऋषि, तूने इनफैक्ट ठीक ही किया। आखिर मुझे यह तो पता चला कौन मेरा अपना है और कौन पराया। माँ-बाप तो हैं ही नहीं, एक रितिका थी और आज उसका असली रूप भी सामने आ गया।

ऋषि: अब तू स्कूल में उसे कैसे फेस करेगा।

समीर: अब मैं स्कूल नहीं आने वाला। मैं कल लंदन जा रहा हूँ, हमेशा के लिए। और अब वहीं रहूँगा।

ऋषि: यार ऐसा मत बोल। सब ठीक हो जाएगा।

समीर: मुझे नहीं लगता। और वैसे भी यह मेरे दादाजी की आखिरी इच्छा थी। यह तो पूरी करनी ही है।

ऋषि आगे कुछ नहीं बोलता, फिर यह लोग कॉल एंड कर देते हैं।

समीर सुबह उठकर लंदन के लिए निकल पड़ता है।

यहाँ सुबह स्कूल में।

काजल: रीति, तूने कल ठीक नहीं किया।

रितिका: काजल, उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। वह सिर्फ मेरा दोस्त था और मुझे मेरे गुस्से पर कंट्रोल नहीं रहा।

काजल: तेरे उस बिहेवियर के बाद उसे बहुत तकलीफ हुई और इसलिए वह आज स्कूल नहीं आया।

ऋषि: और अब कभी आएगा भी नहीं।

रितिका: क्या मतलब कभी नहीं आएगा। समीर मेरा बेस्टेस्ट फ्रेंड है, मैं उसे समझाऊँगी।

ऋषि: जब वह यहाँ होगा, तब ना तुम उससे मिलोगी। वह आज सुबह हमेशा के लिए लंदन चला गया है और अब वहीं पर रहेगा।

रितिका के आँख में आँसू आ जाते हैं, पर वह छुपा लेती है।

रितिका: ऐसे कैसे चला गया। और वह भी मुझसे बिना मिले।

ऋषि: तुम होती कौन हो। जो वह तुम्हें बताएगा।

रितिका: मैं उसकी बेस्टेस्ट फ्रेंड हूँ।

ऋषि: कौन हो, जरा फिर से बोलना, लेकिन उसके पहले कल जो बोला था, वह याद कर लेना।

रितिका के आँखों में इस बार आँसू सब देख लेते हैं।

ऋषि: अपने यह झूठे आँसू दिखाना बंद करो। तुमने जो किया है, वह कोई दुश्मन भी नहीं करता।

यह बोल ऋषि वहाँ से चला जाता है। रितिका भी वहाँ से अपने घर आ जाती है।

इधर लंदन में समीर अपने दादाजी के एक फ्लैट में शिफ्ट होता है। उसका यहाँ पर एक स्कूल में भी एडमिशन हो चुका था। और उसके पास पैसे भी दे दिए थे।

रात को समीर के पास ऋषि का मैसेज आता है।

ऋषि: पहुँच गया।

समीर: हाँ। बस सारा सामान ठीक करके सोने आया हूँ।

ऋषि: मैंने स्कूल में तेरे बारे में सबको बता दिया है।

समीर पूछना तो नहीं चाहता था, लेकिन फिर पूछ लेता है।

समीर: रितिका ने कुछ कहा।

ऋषि: कह रही थी तू उससे बिना मिले चला गया।

समीर की आँखों में थोड़े आँसू आ जाते हैं।

समीर: छोड़ जाने दे। अब मुझे किसी से कोई मतलब नहीं।

फिर चैट एंड करके वह सोने चला जाता है। रात को बार-बार उसे रितिका की याद सता रही थी। पर वह अपने आप को कंट्रोल करता है। और भारत से अपने सारे रिश्ते खत्म करने का सोचता है। इसलिए उसने सोशल मीडिया से सबको हटाया और अपना सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट कर दिया। और अपना सिम कार्ड भी तोड़ के फेंक दिया।

समीर: अब से सिर्फ अपने लिए जिऊँगा। किसी से कोई मतलब नहीं।

इधर भारत में संगीता एक पार्टी में जाती है। जहाँ कुछ लेडीज बातें कर रही होती हैं।

L1: अरे, आजकल की माएँ तो बच्चे को जन्म देके ही छोड़ देती हैं।

L2: हाँ, जब संभालना ही नहीं आता तो जन्म क्यों देते हैं। गलती करे खुद और सजा मिले बच्चे को।

L3: और कुछ-कुछ तो तलाक लेकर बच्चे को पिता के पास छोड़ देते हैं, फिर पिता दूसरी शादी करता है और उस बच्चे का जीना हराम कर देता है। ऐसी माँ से तो पूरा जीवन बाँझ रहना मंजूर हो।

संगीता जब यह सब सुनती है तो अहसास होता है। उसने भी तो ऐसा ही किया है अपने बेटे के साथ। भले ही वह समीर से दूर थी। पर उसकी खबर मिलती रहती थी कि कैसे राजेश और रेशमा समीर को टॉर्चर करते, उसे मारते। यह सब सोचते ही उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं और उसे अपनी गलती का अहसास होता है और समझ आता है, उसके साथ जो हुआ, उसमें समीर की क्या गलती, जो उसने उसे ऐसे छोड़ दिया।

वह फौरन राजेश को कॉल करके समीर का पूछती है, तो उसे लंदन का पता चलता है। जिससे उसे राहत मिलती है कि वह फिलहाल इन हैवानों से दूर है।

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अपडेट 3

इधर लंदन में समीर सुबह अपने नए स्कूल जाता है। तो वहाँ एक लड़की आती है।

लड़की: हंस-हंस के। अबे भड़वे, कुत्ते कमीने, बहनचोद यहाँ क्या करने आया है। चल निकल यहाँ से, वरना अभी तुझे नंगा करके तेरी गांड में डंडा डलवा दूँगी।

समीर समझ जाता है, उसे फॉरेनर समझ के यह ऐसा बोल रही है।

समीर: मुस्कुराता हुआ। क्या मैं आपको जानता हूँ। और जो आपने अभी-अभी कहा, उसका मुझे बुरा नहीं लगा।

वह लड़की शॉक में थी। और उसका सिर शर्म से नीचे झुक गया।

लड़की: तुम इंडियन हो। और अभी मैंने जो-जो बोला, वह सब तुम्हें समझ आ गया।

समीर: जी हाँ।

लड़की: आई एम सॉरी। मुझे लगा तुम यहीं के हो और यहाँ स्कूल में पहली बार देखा, इसलिए थोड़ी मस्ती करने के लिए वह सब... आई एम सॉरी।

समीर: मुझे पता है, इसलिए मैंने आपसे कुछ नहीं कहा। बाय द वे, आई एम समीर।

लड़की: आई एम माही। वैसे यहाँ समीर नाम नहीं चलेगा। थोड़ा अलग नाम रखो।

समीर: अलग नाम। तो तुम ही रख दो।

माही: ओके। तो समीर का अलग नाम आज से है सैम।

समीर: अच्छा है। वैसे तुम भी मेरी क्लास में हो।

माही: मतलब। तुम्हें कैसे पता मेरी क्लास।

समीर: तुम्हारे आई-कार्ड से।

माही: स्मार्ट।

तभी पीछे से एक लड़का आता है।

लड़का: अरे माही, क्या हुआ, इतना टाइम कहाँ लगा रही है, चल क्लास का टाइम हो रहा है।

माही: बस अपने नए दोस्त से बातें कर रही थी। इससे मिलो, यह है मेरा बेस्ट फ्रेंड दीपक।

समीर: हाय! आई एम सैम। वैसे यह नाम अभी रखा है।

दीपक: अभी रखा है, मतलब।

समीर: यह माही ने कहा, यहाँ समीर नाम नहीं चलेगा, इसलिए इसने सैम रख दिया।

दीपक: ओह। वैसे यह मजाक कर रही है। समीर नाम यहाँ चलेगा।

माही: सॉरी, लेकिन मैं जस्ट मजाक कर रही थी।

समीर: नहीं, कोई बात नहीं। वैसे सैम नाम इतना भी बुरा नहीं। अब से मुझे यही नाम पसंद है, सैम।

दीपक: ओके, फिर आज से हम तुम्हें सैम कहकर ही बुलाएँगे।

माही: चलो क्लास में चलते हैं।

फिर यह लोग क्लास करते हैं, रिसेस तक।

रिसेस में यह लोग कैंटीन आते हैं।

दीपक: वैसे सैम, तुम यहाँ कहाँ रहते हो।

सैम: मैं यहाँ एक फ्लैट में रहता हूँ।

माही: और तुम्हारी फैमिली।

सैम: मेरा उनसे कोई लेना-देना नहीं है। मैं यहाँ अकेला रहता हूँ।

दीपक: कोई नहीं। अब से हम दोस्त हैं, तो हमारी फैमिली तुम्हारी।

माही: ऑफ कोर्स।

सैम: वैसे तुम्हारी फैमिली में कौन-कौन हैं।

दीपक: मेरे घर में मॉम, डैड और मेरा प्यारा पेट रॉन।

माही: मेरा भी सेम, लेकिन नो पेट। दीपक के कंधे में हाथ रख। यह है ना मेरा प्यारा सा पेट। और जोर-जोर से हँसने लगती है।

सैम भी हँसने लगता है।

सैम: वैसे तुम्हारे पेरेंट्स क्या करते हैं।

दीपक: मेरे और इसके पापा साइंटिस्ट हैं। और साथ में काम करते हैं।

सैम: ग्रेट।

फिर रिसेस खत्म होता है। वह लोग क्लास करने चले जाते हैं। फिर अपने-अपने घर।

घर आकर सैम को अब खाना बनाना पड़ा। फिर खाकर वह रेस्ट करने लगता है।

अब रोज सैम का यही रूटीन बन गया, सुबह स्कूल, वहाँ दीपक और माही से मस्ती, फिर घर आकर खाना बनाकर खाना।

ऐसे ही यह लोग अपने स्कूल और फ्रेंडशिप एंजॉय करने लगते हैं। माही और दीपक से सैम की दोस्ती बहुत गहरी हो गई, शायद लंदन में इंडियन मिलने की वजह से। अब सैम इनके साथ ही अपना टाइम स्पेंड करता। रोज घूमने जाना। लेट नाइट पार्टियाँ करना, सब करता है। अब लंदन है, इसलिए इन पर कोई रोकटोक नहीं।

एक दिन दीपक सैम और माही को उसके घर लंच पर इनवाइट करता है।

दीपक के डैड मिस्टर हरीश कुमार भी घर पर ही थे।

हरीश अंकल: दीपक बहुत बातें करता है तुम्हारे बारे में।

सैम: आप लोग कैसे हैं।

हरीश अंकल और संजना आंटी: हम लोग अच्छे हैं। तुम कैसे हो।

सैम: एकदम मस्त।

माही: अंकल, आंटी, मैं भी आई हूँ।

संजना आंटी: तुम्हारा तो रोज का आना-जाना है। यह पहली बार आया है, इसे तो मिले।

माही: हा हा, मिल लीजिए। मुझे क्या। यह बोल वह सोफे पर बैठ जाती है।

संजना आंटी: अरे, यह तो नाराज हो गई। ठीक है, इसके पसंद की पुडिंग मैं रॉन को दे दूँगी।

माही: कोई जरूरत नहीं है मेरी पुडिंग किसी को देने की। और मैं कोई नाराज नहीं हूँ।

सब हँसने लगते हैं।

सैम: वैसे अंकल, दीपक ने बताया आप साइंटिस्ट हैं। तो अभी आप कौन सा रिसर्च कर रहे हैं।

हरीश अंकल: बेटा, फिलहाल तो मैं एक ऐसे फॉर्मूले पर रिसर्च कर रहा हूँ, जो ह्यूमन बॉडी और ब्रेन और सेंसेस को एक अलग ताकत देगा। और यह चीज मैं आर्मी के लिए बना रहा हूँ। और इसका नाम है HDX।

(सैम जब यह नाम सुनता है, तो उसे कुछ वक्त पहले की बात याद आ जाती है।

जब राजेश ने उसे मारा था प्रॉपर्टी के लिए और वह सोफे पर बैठा था। तब राजेश कॉल पर बात कर रहा था।

राजेश: क्या बात कर रहे हो। ऐसे भी कहीं होता है क्या।

सामने: हाँ, होता है। तभी तो मल्होत्रा और सिंघानिया इसके पीछे पड़े हैं।

राजेश: क्या, मल्होत्रा और सिंघानिया।

सामने: हाँ। और अब वह लोग वापस इंडिया आ रहे हैं।

राजेश: यानी अब फिर से इंडिया में इनका राज चलना है। वैसे इस चीज का नाम क्या है।

सामने: कुछ HDX करके है।

राजेश: HDX। तो इसके पीछे वह दोनों पड़े हैं।

सामने: मल्होत्रा नहीं, खास करके सिंघानिया।)

सैम: अंकल, इसी चीज के पीछे तो कोई सिंघानिया और मल्होत्रा पड़े हैं।

हरीश अंकल: थोड़ा टेंशन में। तुम्हें कैसे पता।

सैम: कुछ वक्त पहले मैंने सुना था कि वह इसके पीछे पड़े हैं।

हरीश अंकल: देखो बेटा, मैंने तुम्हें दीपक और माही का खास दोस्त समझ के यह बताया। तुम यह किसी को ना बताना। वरना बहुत बड़ा खतरा आ जाएगा सबके ऊपर। वह लोग इस चीज को लेकर टेररिस्ट को बेचने का सोच रहे हैं, जिसके बदले उन्हें बेशुमार दौलत मिलेगी।

सैम: आप चिंता ना करें अंकल, मैं यह किसी को नहीं बताऊँगा।

तभी वहाँ रॉन आता है। रॉन बहुत ही अलग किस्म का कुत्ता है। उसकी आँखें नीली हैं और वह बहुत ही ज्यादा एक्टिव है, वह बाकियों से बिल्कुल अलग है।

फिर यह लोग ऐसे ही थोड़ी देर बातें करके वहाँ से चले जाते हैं।

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अपडेट 4

ऐसे ही सैम का समय निकलने लगा। वह अब पूरी तरह से इंडिया को भूल गया था और लंदन के रंग में रंग चुका था। उसने पब में पार्ट-टाइम जॉब भी खोज ली थी।

ऐसे ही सैम को लंदन में 2 साल हो जाते हैं। और अब वह पूरी तरह से बदल चुका था। पहले जो समीर था, वह भोला-भाला था। पर अब जो सैम है, वह उसका बिल्कुल उलट है। पहले समीर थोड़ा कमजोर था। पर सैम बिल्कुल अलग।

सैम, दीपक और माही की दोस्ती भी बहुत अच्छी जा रही थी।

एक रात यह लोग पब में एंजॉय कर रहे थे। अब सैम ड्रिंक भी करता था।

माही: फुल नशे में। आए दीपक, तू मेरे सैम को क्या बोला था, बेवकूफ हाँ। वह बेवकूफ नहीं है। वह होशियार है। जिसको माही पसंद करे, वह होशियार ही होगा, समझा।

दीपक: चुप कर मेरी माँ, तुझे चढ़ गई है। चुप कर, वरना वह सुन लेगा।

माही: अरे, कौन सुन लेगा। साला, जिसको सुनना चाहिए, वह तो सुनता नहीं। पूरे 1 साल से सुनाने की कोशिश कर रही हूँ। पर साले को सुनाई ही नहीं देता।

दीपक: मैं वही बोल रहा हूँ। वह सुन लेगा।

माही: अच्छा, मेरा बेबी सुनेगा। तो सुनने दे ना। होश में तो उससे कुछ कह नहीं पाती। नशे में ही कहने दे। कहाँ है मेरा बेबी, आज उससे सब बोलूँगी। बेबी, बेबी कहाँ है तू।

तभी सैम बिल पे करके आता है।

सैम: क्या हुआ। लगता है आज फिर से ज्यादा हो गई।

माही: आए, तू चुप कर और मेरी बात सुन। तुझे मेरे दिल की बात सुनाई नहीं देती क्या। या तुझे दिखाई नहीं देता, मैं तुझसे कितना प्यार करती हूँ। मेरे मॉम-डैड को भी तेरे बारे में पता है, बस एक तुझे ही नहीं पता। पता नहीं कब तुझे पता चलेगा। यह बोलते-बोलते वह उसकी बाहों में बेहोश हो जाती है।

सैम दीपक को देखता है, तो वह अपना सिर पीट लेता है।

सैम: दीपक, यह सब क्या है।

दीपक: कुछ नहीं भाई, यह नशे में है ना, इसलिए यह सब बोल गई।

सैम: इंसान नशे में ही सच बोलता है। और अब तू आधे नशे में पूरा सच बोल।

दीपक: पूरा सच तो इसने ही पूरे नशे में बोल दिया। यह तुझसे पिछले 1 साल से प्यार करती है। पर कभी बोल ना सकी।

सैम: चल घर चल। इसके मॉम को बोल दे, आज यह मेरे घर रुक रही है, टेंशन ना ले।

दीपक: भाई, नाराज मत हो।

सैम: मैं सबकी तरह नहीं, जो नाराज हो जाए। तुझे जितना बोला, उतना कर। इसे तो कल बात करूँगा, जब यह होश में आएगी।

फिर सैम माही को अपनी गोद में उठाकर अपने घर ले जाता है। दीपक भी वहीँ रुक गया था।

सुबह जब माही की आँख खुली, तो उसका सिर भारी था। उसे रात का कुछ भी याद नहीं था।

वह अपने आप को सैम के फ्लैट में देखती है। और बगल में सैम को सोया हुआ पाती है।

माही: वाह, शादी से पहले ही ससुराल में रात गुजर गई और बगल में अपने होने वाले पति के साथ। देखो तो कितना मासूम लग रहा है सोते हैं। अभी तो मेरे मुँह से सब निकल रहा है। पर जब निकलने का सही टाइम होता है, तब कुछ बोल ही नहीं पाती।

तभी वह देखती है, सैम की नींद टूट रही है।

माही: गुड मॉर्निंग।

सैम उसे देखता है, पर कुछ बोलता नहीं और वहाँ से चला जाता है फ्रेश होने।

माही: अरे, इसे क्या हुआ। मेरे विश का रिप्लाई नहीं दिया।

थोड़ी देर बाद जब यह लोग फ्रेश होके नीचे ब्रेकफास्ट करने लगते हैं, तब।

माही: आए दीपक, इसे क्या हुआ। ऐसा मुँह बनाके क्यों बैठा हुआ है।

दीपक: तुझे कल रात का कुछ याद नहीं। कि तूने क्या किया था।

माही: नहीं। क्या किया था मैंने।

सैम: मैं बताता हूँ। कल तुमने नशे में बहुत सारी बातें की थीं।

माही: की होंगी, तो क्या।

दीपक: तूने कल वह सब भी बता दिया था नशे में।

माही: क्या! मैंने वह सब भी उगल दिया।

सैम: जी हाँ। वह सब भी उगल दिया। और अब क्या, मैं जान सकता हूँ। वह सब क्या था।

माही: अब जब तुम्हें पता चल ही गया है, तो अच्छा ही हुआ। हाँ, मैं तुम्हें पिछले 1 साल से प्यार करती हूँ। कैसे हुआ, क्यों हुआ, कब हुआ, पता नहीं। बस तुमसे प्यार हो गया और मैंने अपने मॉम-डैड को भी बता दिया है और वह भी खुश हैं।

सैम: क्या, तुम पागल हो। तुम मेरे बारे में कुछ भी नहीं जानती हो। मैं कौन हूँ। मेरा पास्ट क्या है। कुछ भी नहीं।

माही: मुझे कुछ नहीं जानना। मुझे तुम्हारे पास्ट से मतलब नहीं। मुझे तो हमारे फ्यूचर से मतलब है। तुम कौन हो, यह मुझे नहीं जानना। तुम जो हो, मुझे उससे मतलब है। और इन 2 साल में मुझे इतना तो पता है, तुम कभी मुझे धोखा नहीं दोगे और ना ही कभी छोड़के जाओगे।

सैम: तुम्हें पहले मेरे बारे में सब जान लेना चाहिए। मुझे भी तुम अच्छी लगी, तुम्हारे अंदर मुझे रितिका की एक झलक नजर आई, इसलिए मैं भी तुम्हारी तरफ अट्रैक्ट हुआ।

माही: सब बाद में, पहले बताओ, यह रितिका कौन है। हमारी नजर में तो ऐसा कोई नहीं। आए दीपक, तू जानता है क्या किसी रितिका को।

दीपक: नहीं।

सैम: इसलिए बोला था, पहले मेरे बारे में सब जान लो।

फिर सैम अपने बारे में सब उन्हें बताता है। रितिका के, अपने माँ-बाप, दादाजी, सबके बारे में।

सैम: अब बोलो, क्या तुम अब भी एक ऐसे इंसान के साथ आगे बढ़ना चाहती हो। जिसे उसके प्यार ने ठुकरा के बेइज्जत किया। माँ-बाप ने कभी प्यार नहीं दिया।

माही: क्या तुम अब भी उससे प्यार करते हो। जबकि उसने तुम्हें बेइज्जत किया।

सैम: हाँ। क्योंकि मैं उसे बचपन से जानता हूँ। हम एक साथ बड़े हुए। एक साथ खेलते थे। उसकी सारी अच्छी और बुरी आदतों के बारे में जानता हूँ। वह क्या कर सकती है, क्या नहीं कर सकती, यह मुझसे अच्छा कोई नहीं जानता। उसने जब मुझे वह सब बोला, तो मैं सहन नहीं कर पाया और यहाँ आ गया। पर जब मेरा गुस्सा शांत हुआ, तब मुझे अहसास हुआ, उसने यह जानबूझकर नहीं किया। उसकी कोई तो मजबूरी थी।

माही: क्या मुझे मेरा प्यार कभी नहीं मिलेगा। यह बोलते हुए उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं।

सैम: उसके आँसू पोंछते हुए। माही, तुम मुझे अच्छी लगी, पर मैं रितिका को धोखा नहीं दे सकता। और तुम्हारे साथ भी तो यह एक तरह से धोखा ही होगा।

माही: अगर मैं कहूँ, मुझे रितिका से कोई प्रॉब्लम नहीं। और रही तुम्हारे माँ-बाप की बात, तो मुझे तुम्हारे साथ रहना है, उनके साथ नहीं। बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार चाहिए। अगर वह मिल गया, तो मुझे और कुछ नहीं चाहिए।

सैम: तुम पागल हो माही। हाँ, यह सच है, मैं अब भी रितिका को भुला नहीं पाया हूँ। और शायद कभी भुला भी ना पाऊँ।

माही: मैंने बोला ना, मुझे उससे कोई प्रॉब्लम नहीं। अगर फ्यूचर में वह तुम्हारा प्यार समझ के वापस आती है, तो मुझे उसके साथ रहने में कोई प्रॉब्लम नहीं, बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार चाहिए। और अगर मुझे तुमने ना बोला, तो तुम जानते हो, मुझे तुम्हें खत्म करने में थोड़ा भी टाइम नहीं लगेगा। क्योंकि मैं अपनी जान तो दूँगी ही, पर पहले तुम्हारी जान लूँगी। यह बोल वह हँसने लगती है।

सैम और दीपक भी हँसने लगते हैं।

माही: चलो, आज फाइनली मुझे मेरा प्यार मिल गया है, तो हम घूमने चलते हैं।

सैम: पर मैंने हाँ कहाँ बोला है।

माही: अच्छा, तुमने हाँ नहीं बोला, ना, अभी बुलवाती हूँ।

यह बोल माही अपनी सीट से उठकर सैम के पास जाती है।

माही: तो तुम हाँ नहीं बोलोगे, राइट।

सैम: कोई शक।

माही: दीपक, जरा बाहर का चक्कर लगाकर आ, तब तक तेरे जीजा को रेडी करती हूँ।

दीपक बस मुस्कुराकर वहाँ से चला जाता है।

माही: तो अब भी हाँ नहीं बोलोगे।

सैम: तुम करना क्या चाहती हो।

माही उसके और करीब जाकर, अब भी हाँ नहीं बोलोगे।

सैम बस उसकी आँखों में देख रहा था, जिसमें बस प्यार ही प्यार था और अभी के लिए शरारत भरी हुई थी।

सैम: माही, कंट्रोल करो। मुझे सोचने का मौका तो दो।

माही: पिछले 1 साल से कंट्रोल कर रही हूँ और अब तुमको सोचने का मौका चाहिए।

तेरी तो, यह बोल उसने अपने होंठ सैम के होंठों से चिपका दिए। दोनों एकदम पैशनेटली लिपलॉक में थे। सैम पहले तो शॉक हुआ, पर जल्दी ही खुद को संभाल के उसके साथ देने लगता है। 5 मिनट बाद जब दोनों की साँसें उखड़ने लगती हैं, तब जाकर वह किस तोड़ते हैं। पर इस बार सैम ने उसे जकड़ लिया और फिर से किस स्टार्ट हो गया। यह किस थोड़ा वाइल्ड हो गया था, दोनों एक-दूसरे को ऐसे किस कर रहे थे, जैसे एक-दूसरे को खा जाएँगे। थोड़ी देर बाद किस तोड़ते हैं।

सैम: आई लव यू माही। पर मैं अकेला शायद तुम्हारा ना हो सकूँ।

माही: आई लव यू टू सैम। और मुझे रितिका को एक्सेप्ट करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है। बस रितिका और कोई नहीं।

सैम: और कभी कोई नहीं। आई प्रॉमिस।

फिर दोनों एक-दूसरे के गले लग जाते हैं। और ऐसे ही लगे रहते हैं।

दीपक: अब अगर तुम लोगों का हो गया हो, तो घर चले।

माही: तू जा, मैं अपने घर में हूँ। अब यही मेरा घर है। मैं अपने बेबी को छोड़के कहीं नहीं जा रही। मेरे मॉम-डैड को भी कोई ऐतराज नहीं होगा, अगर मैं इसके साथ रहूँ तो।

सैम: पर मुझे होगा। जब तक वह मेरे सामने अपनी पूरी मर्जी से परमिशन ना दे, हम एक साथ नहीं रहेंगे। भले ही हम लंदन में हैं, यहाँ लिव-इन कोई बड़ी बात नहीं। पर फिर भी।

माही: मैंने तुम्हें अपना लाइफ पार्टनर चुनकर कोई गलती नहीं की। यहाँ लड़की को लड़का या लड़के को लड़की पसंद आता है और अगले ही पल उसे बेड पर ले जाता है। अगर तुम चाहते, तो ऐसा कर सकते थे और शायद मैं मना भी नहीं करती। पर पहले तुमने मेरे मॉम-डैड की परमिशन की बात की। अब जब तक मॉम-डैड अपनी पूरी मर्जी से नहीं कहेंगे, तब तक मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूँगी। आई प्रॉमिस।

फिर वह लोग अपना ब्रेकफास्ट कंप्लीट करके माही के घर जाते हैं।

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अपडेट 5

विक्रम अंकल: मुझे खुशी है कि मेरी बेटी ने जिसको पसंद किया, वह उसके साथ है।

सैम: अंकल, मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ। हो सकता है, आपको गलत लगे, फिर भी मैं आपको अंधेरे में नहीं रखना चाहता।

विक्रम अंकल: बोलो, क्या बोलना है।

फिर सैम उन्हें सब कुछ बताता है, जो माही को बताया था।

विक्रम अंकल: देखो, तुम्हारे साथ जो हुआ, वह बहुत गलत था। और मुझे रितिका से कोई प्रॉब्लम नहीं है। क्योंकि मुझे इस बात की खुशी है, तुमने फर्स्ट डे ही सबको सच बता दिया। तुम चाहते, तो यह छिपा के रख सकते थे। पर तुमने ऐसा नहीं किया। और यह साबित करता है, तुम कभी किसी को धोखा नहीं दोगे। पर क्या रितिका मेरी बेटी को एक्सेप्ट करेगी।

सैम: अगर उसने एक्सेप्ट नहीं किया, तो मैं उसे छोड़ दूँगा, पर माही को कभी भी नहीं छोड़ूँगा, आई प्रॉमिस।

नंदिनी आंटी: फिर हमें भी कोई प्रॉब्लम नहीं है।

माही: मॉम, डैड, मुझे भी आपसे कुछ पूछना है।

नंदिनी आंटी: हमें पता है, पर अभी वह पॉसिबल नहीं है। कुछ टाइम रुक जाओ। तुम्हारी एंगेजमेंट कर देंगे, फिर चाहे तो साथ रहना। पर उसके पहले नहीं।

माही: मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। मैं रेडी हूँ। इनफैक्ट सैम का भी यही कहना था कि जब तक आप लोग खुद से परमिशन ना दे, वह मुझे अपने साथ नहीं रखेगा।

विक्रम अंकल: पर पहले अपनी पढ़ाई कंप्लीट करो और सेटल हो जाओ। फिर आगे का कुछ सोचना, हमने तुम्हारे रिलेशन को एक्सेप्ट किया है, लेकिन तुम दोनों को अपना फ्यूचर स्ट्रॉन्ग करना होगा।

सैम: मैं पूरी कोशिश करूँगा। और एंगेजमेंट भी सेटल होने के बाद ही होगी।

माही: मैं सैम की बात से सहमत हूँ।

फिर यह लोग वहीँ पर लंच करते हैं। सैम अपने फ्लैट की तरफ निकल पड़ता है।

सैम जब अपने फ्लैट पर आता है, तब वहाँ कुछ देर बाद 1 आदमी, 1 लड़का और 1 लड़की आते हैं।

सैम: जी कहिए, किससे मिलना है।

आदमी: मुझे समीर शर्मा से मिलना है।

सैम: जी, आप कौन।

आदमी: जी, मेरा नाम अशोक है। और रिश्ते में मैं तुम्हारा मुँह बोला चाचा लगता हूँ।

सैम हँसने लगता है। देखिए, मेरी कोई फैमिली ही नहीं है, चाचा तो दूर की बात है। अब आप जा सकते हैं।

अशोक: मुझे तुम्हारे दादाजी मिस्टर रंजीत शर्मा ने अपना बेटा माना था। उसी रिश्ते से मैं तुम्हारा चाचा हूँ। क्या अब भी विश्वास नहीं है।

सैम: आप मेरे दादाजी को जानते थे।

अशोक: हाँ, वह मेरे पिताजी के बहुत ही अच्छे दोस्त थे, उनकी मृत्यु के बाद उन्होंने मुझे अपना बेटा बना लिया। और उन्होंने तुम्हारे लिए कुछ छोड़ा है मेरे पास। उन्होंने कहा था, सही समय आने पर तुम्हें दे दूँ।

सैम: अच्छा। क्या है वह।

अशोक: उन्होंने तुम्हारे लिए प्रॉपर्टी छोड़ी है।

सैम: मैंने यहाँ आने से पहले इस प्रॉपर्टी नाम के क्लेश को उस राजेश शर्मा के नाम कर आया था।

अशोक: जानता हूँ। पर यह वह प्रॉपर्टी नहीं है, यह तुम्हारे दादाजी की सीक्रेट प्रॉपर्टी है। जिसके बारे में मेरे सिवा किसी को नहीं पता, उन्होंने बहुत पहले ही मुझे बुलाकर यह तुम्हारे नाम करने को कहा था और मुझे तुमसे कुछ बताने के लिए भी कहा था, पर उसका अभी सही वक्त नहीं आया है। फिलहाल अभी प्रॉपर्टी देने का वक्त ही आया है।

सैम: सीक्रेट प्रॉपर्टी। और यह उनके पास आई कैसे।

अशोक: यह उन्होंने मुझे कभी नहीं बताया।

सैम: ठीक है। वैसे कितनी है।

अशोक: इतनी, जितनी पूरे इंडिया में किसी के पास नहीं। मतलब तुम इंडिया के सबसे अमीर इंसान हो।

सैम: क्या! इतनी प्रॉपर्टी। पर यह दादाजी के पास कहाँ से आई।

अशोक: वह तो नहीं पता, पर मैंने अपने पिताजी से सुना था, तुम्हारे दादाजी के दादाजी किसी एक जमाने के राजा थे। फिर जब देश आजाद हुआ, तो उन्होंने वह सारी दौलत गवर्नमेंट से छुपा ली और शायद यह वही प्रॉपर्टी है।

सैम: ओह। ठीक है, जब दादाजी ने मेरे नाम किया है, तो मैं यह एक्सेप्ट करता हूँ। पर इतने पैसों का मैं करूँगा क्या।

अशोक: यह तो तुम्हें डिसाइड करना है।

सैम: वैसे यह दोनों कौन हैं।

अशोक: यह मेरा बेटा है, विशाल और यह मेरी बेटी सोनिया। विशाल एक सीक्रेट एजेंट रह चुका है और इसे अच्छा कंप्यूटर नॉलेज किसी के पास नहीं होगा। और सोनिया से अच्छा बिजनेस माइंड किसी के पास नहीं होगा। तुम कह सकते हो, यह इन दोनों के पास गॉड गिफ्ट है।

सैम: ग्रेट। इससे मुझे इन पैसों का क्या करना है, इसका आइडिया भी आ गया।

अशोक: क्या करना है।

सैम: बिजनेस। सोनिया जी, आप एक कंपनी स्टार्ट करें और उस कंपनी को एक मल्टीनेशनल कंपनी बनाएँ।

सोनिया: पर किस चीज की कंपनी खोलनी है।

सैम: देखिए, मुझे इन सब का कोई नॉलेज नहीं है। वह सब आप देख लीजिए।

सोनिया: ओके। मैं देख लूँगी। वैसे कंपनी किस नाम से खोलनी है।

सैम: SRM के नाम से।

सोनिया: ओके।

अशोक: आज से तुम्हें कभी भी कोई भी प्रॉब्लम हो, बस मुझे एक कॉल करना। मुझे यहाँ के सीनेटर से लेकर इंडिया के PM तक जानते हैं।

सैम: वैसे मुझे पूछना तो नहीं चाहिए। पर आप करते क्या हैं।

अशोक: मैं इंडिया का सीक्रेट फॉरेन एंबेसडर हूँ। जिसके बारे में सिर्फ इंडिया के प्राइम मिनिस्टर, प्रेसिडेंट और यहाँ के सीनेटर, प्राइम मिनिस्टर और क्वीन ही जानते हैं।

सैम: ग्रेट।

अशोक: तो अब हमें चलना चाहिए। कभी भी कोई भी प्रॉब्लम हो, तो हम तीनों में से किसी को भी कॉल कर लेना।

और हमारे बारे में अभी किसी से ना कहना कि हमारी रियल आइडेंटिटी क्या है।

सैम: ओके। समझ गया।

फिर अशोक और फैमिली वहाँ से चले जाते हैं।

सैम सोचता है, कल तक जहाँ उसके पास लिमिट के पैसे थे, वहीँ आज उसके पास इतना है कि कभी खत्म ही ना हो।

फिर सैम के पास माही का कॉल आता है। वह लोग बातें करते हैं। सैम उसे अशोक और फैमिली की रियल आइडेंटिटी छोड़के सब बताता है।

माही: इसका मतलब अब तुम्हारे पास बेशुमार पैसा है और तुम अब बिजनेस कर रहे हो। यानी तुम सेटल हो गए।

सैम: अब तुम्हें अपना बनाना है, तो कुछ तो करना ही होगा ना और अभी अपने घर में कुछ ना बोलना। एक बार कंपनी को स्पीड लेने दो, फिर बोलना।

माही: ओके। जैसा तुम कहो।

फिर ऐसे ही 6 महीने गुजर जाते हैं। इन 6 महीनों में कंपनी भी स्टार्ट हो गई थी, जो सोनिया और विशाल ही संभालते थे।

इधर यह लोग अब स्कूल के लास्ट ईयर में थे।

एक दिन सैम बाइक से घर आ रहा था। एक बस, जिसका ब्रेक फेल हो चुका था, वह भी सैम के पीछे ही थी। तो अचानक उस बस से सैम की बाइक की टक्कर हो जाती है। जिससे उसके सिर में बहुत गहरी चोट आती है।

उसे हॉस्पिटल ले जाया जाता है। पुलिस को भी इन्फॉर्म किया जाता है। पुलिस ने सैम का मोबाइल, जो पूरी तरह से टूट चुका था, उससे उसके जान-पहचान वालों का नंबर निकालके कॉल करके बता देते हैं।

पुलिस ने हरीश अंकल और संजना आंटी को ही कॉल किया था।

हरीश अंकल यह सुनते ही दीपक और माही को कॉल लगाकर बोलते हैं। और हॉस्पिटल आने को बोलते हैं।

माही तो यह सुनते ही रोने लगती है। उसके मॉम-डैड उसे शांत करवाकर हॉस्पिटल लेके आते हैं। जहाँ पहले से ही दीपक और फैमिली थी। माही सीधा जाकर संजना आंटी के गले लग के रोने लगती है।

संजना आंटी: माही, चुप हो जाओ। कुछ नहीं होगा उसे। वह बिल्कुल ठीक हो जाएगा। ऐसे मत रो। वह ठीक हो जाएगा। अंदर डॉक्टर उसका ट्रीटमेंट कर रहे हैं ना।

पर उसका रोना कहाँ रुकने वाला था। वहीँ कहीं दूर किसी का दिल बड़ा बेचैन था। उसे लग रहा था जैसे उसकी आत्मा उससे कहीं दूर जा रही है। उसे कैसे भी चैन नहीं आ रहा था।

इधर डॉक्टर 3 घंटे तक OT में थे, फिर बाहर आते हैं।

डॉक्टर: देखिए, मैं झूठी उम्मीद नहीं दूँगा। पर उसका दिमाग कोई रिस्पॉन्स नहीं कर रहा है। जिससे उसके ट्रीटमेंट पर कोई असर नहीं हुआ और अब उसका बचना इम्पॉसिबल है। आई एम सॉरी।

हरीश अंकल: डॉक्टर, ऐसा ना बोलिए, कोई तो रास्ता होगा।

डॉक्टर: सर, हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है। पेशेंट के सिर में बहुत गहरी चोट आई है, जिससे उसका दिमाग रिस्पॉन्स ही नहीं कर रहा है और उस पर कोई ट्रीटमेंट काम नहीं कर रहा है।

यह बोल डॉक्टर वहाँ से चला जाता है।

माही यह सुनके जोर-जोर से रोने लगती है। संजना आंटी और उसकी माँ उसे संभाल रहे थे। आँखें तो सभी के नम थीं।

दीपक: डैड, आप उस पर अपना फॉर्मूला HDX यूज करके देखिए, शायद कुछ काम हो जाए।

हरीश अंकल: कैसी बातें कर रहे हो दीपक। अभी तक हमने उस फॉर्मूले को ह्यूमन के ऊपर टेस्ट नहीं किया है। इससे इसकी जान को खतरा हो सकता है।

दीपक: डॉक्टर ने तो वैसे भी बोल दिया है, यह बचने वाला नहीं है। तो क्यों न इसके ऊपर ही करें।

माही: प्लीज अंकल, मेरे सैम को बचा लीजिए। मैं उसके बिना नहीं रह सकती। प्लीज अंकल, कुछ कीजिए।

हरीश अंकल: बेटी, तुम रो मत, मैं करता हूँ कुछ।

दीपक: डैड, आपने कहा, अभी तक ह्यूमन्स के ऊपर टेस्ट नहीं किया है, तो क्या आपने किसी और के ऊपर टेस्ट किया है।

हरीश अंकल: हाँ, तुम्हारे पेट रॉन के ऊपर। और वह सक्सेसफुल रहा था।

दीपक: तो आप सैम के ऊपर करें।

हरीश अंकल: तो ठीक है, इसे जल्दी से यहाँ से शिफ्ट करके घर के बेसमेंट में बने लैब में ले जाना होगा।

विक्रम अंकल: चलो, हम डॉक्टर से बात करके इसे ले जाते हैं।

फिर वह लोग सैम को हॉस्पिटल से घर के नीचे बने लैब में ले आते हैं।

वहाँ उसके ऊपर उस फॉर्मूले को इन्सर्ट किया जाता है। उन्हें डर था, कहीं इस फॉर्मूले से कोई साइड इफेक्ट ना हो, इसलिए वह पहले थोड़ा सा ही देते हैं। लेकिन कुछ घंटे बाद जब फॉर्मूला काम किया, तब उन्होंने पूरा फॉर्मूला सैम को दे दिया।

विक्रम अंकल: हमारा HDX कामयाब रहा। सैम अब खतरे से बाहर है। 2-3 दिन बाद उसे होश आ जाएगा, तब वह पूरा बदल चुका होगा। और तब हम आप लोगों को कुछ बातें बताएँगे HDX के बारे में।

माही अपने डैड के गले लगते हुए: थैंक यू सो मच डैड। आपने मेरी जिंदगी मुझे वापस दे दी। थैंक यू सो मच।

विक्रम अंकल: अरे, वह हमारी बेटी की जिंदगी है। उसे कुछ कैसे होने देते। और अब चिंता मत करो। वह बिल्कुल ठीक है।

फिर सब लैब से घर में आते हैं। माही के मॉम-डैड तो अपने घर चले जाते हैं, पर माही वहीँ रुकती है सैम के पास।

माही ने कॉल करके अशोक को भी पूरी बात बता दी। जिससे पहले तो वह बहुत टेंशन में आए, लेकिन बाद में नॉर्मल हुए और सोचने लगे, सैम को फॉर्मूला लगा, इससे ठीक ही हुआ। क्योंकि बदला लेने में यह उसकी अच्छी मदद करेगा।

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