ये कहानी एक गरीब लड़की की है, जिसका नाम राधा था। राधा एक गरीब परिवार से थी, उसके माता-पिता मजदूरी करते थे। राधा की दो बहनें थीं, सीता और गीता। सीता और गीता दोनों ही दिखने में बहुत सुंदर और स्मार्ट थीं, लेकिन राधा उतनी आकर्षक नहीं थी। वह छोटे कद की और दुबली-पतली थी, जिसके कारण वह खुद को हमेशा कमतर महसूस करती थी। राधा की उम्र 25 साल थी, लेकिन वह 20 साल की लगती थी। उसकी बहनें हमेशा लड़कों का ध्यान आकर्षित करती थीं, जबकि राधा को कोई नहीं देखता था। राधा मन ही मन में अपनी किस्मत को कोसती रहती थी।
पड़ोस का पहलवान
उनके पड़ोस में एक पहलवान रहता था, जिसका नाम विक्रम था। विक्रम एक हट्टा-कट्टा, 6 फुट का आदमी था, जो अपने अखाड़े में कुश्ती का अभ्यास करता था। राधा की दोनों बहनें, सीता और गीता, विक्रम के साथ गुप्त संबंध रखती थीं। एक रात, जब राधा की नींद खुली, तो उसने देखा कि उसकी बहनें घर में नहीं हैं। उसे शक हुआ कि वे विक्रम के पास गई होंगी। वह चुपके से अखाड़े की ओर गई और वहाँ से अपनी बहनों और विक्रम की आवाजें सुनीं। वे अंतरंग बातें कर रहे थे। सीता की चीखने की आवाज आई, "आआआह्ह्ह उउउउउ," फिर गीता बोली, "विक्रम, और जोर से, तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है, मुझे बहुत मजा आ रहा है।" सीता ने कहा, "धीरे बोलो, कहीं राधा जाग न जाए।" विक्रम हँसा और बोला, "अरे, उसे भी आने दो, मैं उसे भी चोद डालूँगा। एक न एक दिन तो उसे भी चखना ही है।"
यह सुनकर राधा के मन में एक अजीब सी गर्मी और खुशी हुई। आज तक किसी ने उसके बारे में इस तरह नहीं सोचा था। वह चुपचाप घर लौट आई और सोने की कोशिश करने लगी, लेकिन नींद नहीं आई। उसके दिमाग में बार-बार विक्रम की बातें घूम रही थीं—उसका लंड कैसा होगा, उसकी बहनें उसे कैसे लेती होंगी? राधा ने पहले कभी किसी मर्द को छुआ नहीं था, बस लड़कों को पेशाब करते देखा था और लंड के बारे में सुना था। उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और हाथ अपनी चूत पर ले गई। उसकी चूत इतनी गीली थी जितनी पहले कभी नहीं हुई थी। उसने उंगली अंदर डाली और आगे-पीछे करने लगी। उसे मजा आने लगा और थोड़ी देर में वह झड़ गई। पानी निकलते ही वह थोड़ा शांत हुई और सो गई।
राधा की बेचैनी
अगले दिन सुबह जब राधा जागी, तो उसे रात की बातें याद आईं। नहाते वक्त उसने फिर से उंगली से खुद को संतुष्ट किया। वह अपनी बहनों को कुछ नहीं बताना चाहती थी। कॉलेज गई, लेकिन उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं, विक्रम पर था। कई दिन तक यह सिलसिला चला—वह रात को अपनी बहनों की रासलीला चुपके से सुनती और फिर उंगली से अपनी आग बुझाती। राधा का डर, जो उसके छोटे कद और दुबलेपन की वजह से था, अब कम हो गया था। उसे लगने लगा था कि कोई उसे चाहता है।
एक दिन विक्रम से उसकी मुलाकात हुई। वह कॉलेज से लौट रही थी, जब विक्रम ने उससे हाल-चाल पूछा। राधा की धड़कनें तेज हो गईं, लेकिन वह कुछ नहीं बोली और घर चली गई। उसके दिल में विक्रम के लिए प्यार जाग चुका था।
मौका मिलना
कुछ दिनों बाद, राधा के परिवार को उसके मामा की शादी के लिए आठ दिन के लिए जाना पड़ा। लेकिन राधा की परीक्षाएँ चल रही थीं, इसलिए वह नहीं जा सकी। उसकी देखभाल के लिए उसकी दादी रुक गईं। दादी की उम्र ज्यादा थी, और वह रात में ज्यादा नहीं सोती थीं। एक रात, राधा का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था। वह विक्रम के अखाड़े की ओर जाना चाहती थी, लेकिन दादी जाग गईं और उसे सोने को कहा।
अगले दिन, परीक्षा देकर लौटते वक्त, राधा की फिर से विक्रम से मुलाकात हुई। उसने पूछा, "पेपर कैसा हुआ?" राधा बोली, "ठीक था। कल अकाउंट का पेपर है।" विक्रम ने कहा, "मेरे अखाड़े में कुछ अकाउंट के नोट्स हैं, रात को आकर ले जाना।" राधा ने कुछ नहीं कहा और घर चली गई। लेकिन जैसे-जैसे रात हुई, उसका मन मचलने लगा। उसे दादी का भी ख्याल था। फिर उसकी नजर दादी की दवाइयों पर पड़ी, जिसमें नींद की गोलियाँ थीं। उसने दादी को पानी में दो गोलियाँ मिलाकर दे दीं। दादी गहरी नींद में सो गईं।
रात का मिलन
रात के 12:30 बज चुके थे। मोहल्ले में सन्नाटा था। राधा ने अखाड़े के दरवाजे पर दस्तक दी। विक्रम ने दरवाजा खोला और उसे अंदर ले गया। अखाड़े में अंधेरा था, और राधा को चलने में दिक्कत हो रही थी। विक्रम ने पूछा, "गोद में उठा लूँ?" राधा चुप रही। उसने उसे गोद में उठाया और पीछे के कमरे में ले गया। वहाँ उसने राधा को खड़ा किया और बोला, "नोट्स यहीं हैं।" लेकिन अंधेरे में विक्रम ने अपने कपड़े उतार दिए और राधा से टकरा गया। उसने राधा का हाथ अपने लंड पर रख दिया। राधा ने पहली बार किसी मर्द के लंड को छुआ। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
विक्रम ने राधा की सलवार का नाड़ा खोला और उसका टॉप उतार दिया। राधा नंगी हो गई। विक्रम ने उसकी गीली चूत देखी और बोला, "तैयार तो पहले से थी।" राधा चुप रही। विक्रम ने उसे नीचे सुलाया। उसका लंड बड़ा और सख्त था। उसने राधा के हाथ में लंड थमाया। राधा बोली, "ये तो बहुत बड़ा है।" विक्रम हँसा, "चिंता मत कर, तुम्हारी गीली चूत इसे ले लेगी।" उसने राधा के पैर ऊपर उठाए और अपना लंड उसकी चूत पर रखा। एक हाथ से उसका मुँह दबाया और लंड अंदर डाल दिया। राधा को दर्द हुआ, वह चीखना चाहती थी, "आह, निकालो, मर जाऊँगी," लेकिन विक्रम ने नहीं सुना। धीरे-धीरे धक्के देने लगा। थोड़ी देर में राधा को भी मजा आने लगा।
करीब आधे घंटे तक चुदाई चली। विक्रम शांत हुआ, और राधा संतुष्ट हो गई। दोनों ने उस रात खूब मजा किया।
नया आत्मविश्वास
उस रात के बाद, जब भी मौका मिलता, राधा और विक्रम मिलते और चुदाई करते। राधा को अब खुद पर विश्वास हो गया था। वह खुश थी कि उसे भी कोई चाहने वाला मिल गया था। उसका डर और हीनभावना खत्म हो चुकी थी।