जिस्म की प्यास
 
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जिस्म की प्यास

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अपडेट 40

विमल हैरानी से सोनी को देख रहा था जिसने उसे वासना के ऐसे भँवर में ला फेंका था जिसमें वो डूबता ही जा रहा था और उसे अपना दम घुट्टा सा लगने लगा था।
सोनी विमल को एक कुर्सी पे बिठाती है और टेबल पे अपना लैपटॉप खोल कर वो फिल्म चला देती है जिसने उसके जिस्म की प्यास को भड़का दिया था।
फिल्म चला कर वो विमल की गोद में बैठ जाती है। विमल उसे हटाने की कोशिश करता है पर जैसे ही फिल्म शुरू होती है विमल की कोशिश भी खत्म हो जाती है। वो आँखें फाड़े उस फिल्म को देखने लगता है जिसमें उसका बाप चाची को चोद रहा था और चाचा उसकी माँ को। विमल के हाथ खुद बा खुद सोनी के उरोज पर पहुँच जाते हैं और वो उसके दोनों उरोज मसलने लगता है।
अभी फिल्म चले कुछ ज्यादा देर नहीं हुई थी, कि नीचे से फिर काम्या की सिसकियाँ गूँजने लगती है, यानी नीचे उसके माँ-बाप का खेल शुरू हो चुका था।
विमल सोनी को अपनी गोद में उठा कर नीचे चला जाता है और उसे अपने आगे रख फिर खिड़की के अंदर का नजारा लेने लगता है।
अंदर रमेश और काम्या दोनों 69 के पोज में होते हैं। काम्या जोर जोर से उसका लंड चूस रही थी।
काम्या बीच बीच में रमेश का लंड अपने मुँह से निकाल कर जोरदार सिसकी भरती और फिर लंड अपने मुँह में घुसा लेती। काम्या रमेश के लंड को अपने गले तक ले जा रही थी, जो साफ पता चल रहा था, क्योंकि रमेश की गोटियाँ काम्या की ठोड़ी से बार बार टकरा रही थी।
सोनी झुकी हुई अंदर देख रही थी और उसके पीछे विमल झुका हुआ था जिसका खड़ा लंड सोनी की गांड की दरार में झटके मार रहा था। सोनी अपने हाथ पीछे ले जा कर विमल की पैंट खोलती है और उसके अंडरवियर को नीचे कर उसके लंड को आजाद कर देती है और उसे अपने हाथ से सहलाने लगती है।
विमल की मस्ती बढ़ती है और वो अंदर अपनी नंगी माँ के हुस्न का नजारा लेते हुए सोनी के उरोज और भी सख्ती से मसलने लगता है।
सोनी अपनी सिसकियों को रोकने के लिए अपने होंठ अपने दाँतों में दबा लेती है।
विमल एक झटका मारता है और उसका लंड सोनी की गांड के छेद से टकराता है, सोनी तड़प कर अपना हाथ हटा लेती है और विमल का लंड उसकी गांड के छेद से चिपक जाता है।
अंदर रमेश का लंड काम्या चूस चूस कर लोहे की रॉड जैसा कर देती है और उसे अपने मुँह से बाहर निकाल कर अपनी पोजीशन बदलती है।
अब काम्या खिड़की की तरफ अपना मुँह करके रमेश के लंड पे बैठने लगती है। दोनों ही बच्चे बाहर खड़े अपने बाप के लंड को अपनी माँ की चूत में घुसता हुआ देखते हैं। विमल का लंड कम से कम 2 इंच बड़ा था अपने बाप से और मोटा भी खूब था।
जैसे ही काम्या ने खिड़की की तरफ मुँह किया था, सोनी झट से नीचे हो गई थी। काम्या को विमल झाँकता हुआ नजर आ जाता है और दोनों की आँखें टकरा जाती हैं।
विमल वहाँ से हिलने लगता है तो काम्या आँखों के इशारे से उसे रोक लेती है। सोनी नीचे बैठ कर विमल के लंड को चाटने लगती है और उसे अपने मुँह में लेने लगती है।
विमल की आँखें अंदर काम्या से लड़ी हुई थी जो अपने बूब्स खुद मसल रही थी और विमल की आँखों में देखते हुए रमेश के लंड पे उछल रही थी।
रमेश काम्या को अपनी तरफ मोड़ता है और काम्या उसके लंड पे ही घूम जाती है। अपनी माँ का ये करतब विमल को हैरानी में डाल देता है। उसकी आँखों में अपनी माँ की कामुकता के लिए प्रशंसा भर जाती है और इस वक्त उसे अपना बाप एक दुश्मन लग रहा था।
विमल अपने खयालों में में खुद काम्या को चोदने लगता है और उसके हाथ सोनी के सर को अपने लंड पे दबाने लगते हैं। उसकी कमर तेजी से हिलने लगती है और वो सोनी के मुँह को काम्या की चूत समझ कर चोदने लगता है।
सोनी को साँस लेने में तकलीफ होने लगती है पर वो अपने भाई के मजे को नहीं रोकती। उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं। विमल बड़ी बेदर्दी से उसके मुँह को चोद रहा था।
अंदर काम्या रमेश के ऊपर झुक जाती है और दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं। रमेश काम्या के बूब्स को दबाने लगता है। विमल को अपने बाप का लंड अपनी माँ की चूत में घुसता निकलता साफ साफ दिख रहा था और झुकने की वजह से उसे काम्या की गांड का छेद दिखता है जो खुल और बंद हो रहा था। विमल का पागलपन और बढ़ता है और सोनी को उसका नतीजा भुगतना पड़ता है। विमल का 9 इंच लंबा लंड उसके गले में केहर ढा रहा था।
विमल का लंड इतना सख्त हो जाता है कि सोनी को उसे अब और मुँह में लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। वो तड़प कर विमल के लंड को जबरदस्ती मुँह से निकाल कर हाँफने लगती है और वहीं जमीन पे ढेर हो जाती है।
विमल को जब ये अहसास होता है तो वो खुद को गालियाँ देता है और सोनी को अपने कंधों पे डाल कर अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है।

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अपडेट 41

विमल सोनी को अपने कमरे में ले जाता है और उसे अपने बिस्तर पे आराम से लिटा देता है। आने वाले पलों की कल्पना में सोनी अपनी आँखें बंद कर लेती है।
विमल खड़ा सोनी के हुस्न को निहारता रहता है और अपने कपड़े उतार देता है। पैंट और अंडरवियर तो पहले ही नीचे रह गए थे।
एक एक पल वो सोनी की सुंदरता को अपने मन में बसा रहा था। उसे यही लग रहा था जैसे काम्या उसके लिए जवान हो कर खुद को समर्पण करने आई है।
काफी देर जब कोई हरकत नहीं होती तो सोनी अपनी आँखें खोल कर देखती है। विमल पूरा नंगा खड़ा अपलक उसे निहारे जा रहा था। लज्जा के मारे सोनी फिर आँखें बंद कर लेती है और अपनी बाँहें फैला कर विमल को करीब आने का संकेत देती है।
विमल उसके करीब जाता है और उसके साथ लेट जाता है। दो जवान नंगे बदन जब एक दूसरे की नग्नता का अहसास करते हैं तो दोनों ही सिसक पड़ते हैं।
सोनी: भाई मुझे प्यार करो बहुत तरस रही हूँ। बहुत प्यासी हूँ। मेरी प्यास बुझा दो भाई।
विमल सोनी की कर को सहलाता हुआ अपने हाथ उसके उरोज पर रख देता है।
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सोनी सिसक पड़ती है।
विमल: सोनी तू कितनी सुंदर है, मुझे लगता है जैसे माँ जवान हो कर मेरे पास आ गई है। (और विमल अपने हाथों का दबाव सोनी के उरोज पर बढ़ा देता है)
सोनी: भाई अभी सिर्फ अपनी सोनी को देखो, उसे मेहसूस करो, देखो मेरा बदन तुम्हारे छूने से कैसे खिलने लगा है।
विमल: ओह सोनी, मेरी प्यारी बहन
विमल अपने होंठ सोनी के होंठ पे रख उसे धीरे धीरे चूसने लगता है और सोनी के हाथ उसके सर पे पहुँच उसे अपने होंठों पे दबाते हैं। उसकी उंगलियाँ विमल के बालों से खेलने लगती हैं।
दो जिस्म दो आत्माएँ एक होने के लिए अग्रसर हो जाती हैं। विमल सोनी के लब ऐसे चूसता है जैसे गुलाब की दो नाजुक पंखुड़ियाँ हों जो जोर लगाने से बिखर जाएँगी।
एक मीठा सा अहसास दोनों के जिस्म को जकड़ लेता है। प्यार प्यार सिर्फ प्यार ही रह गया था दोनों के बीच। जो खेल सोनी ने वासना के बस में आ कर खेलना शुरू किया था उस पर प्यार ने विजय पा ली।
विमल की जुबान डरते हुए सोनी के मुँह में घुस जाती है और उसे अंदर से चाटने लगती है। वो बहुत तकलीफ दे चुका था सोनी को अब वो ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहता था जिस से सोनी को कोई तकलीफ हो। सोनी उसकी जुबान अपने होंठों में दब लेती है और उसे चूसने लगती है।
कितनी ही देर दोनों एक दूसरे के होंठ चूसते रहते हैं और अपने आनंद को बढ़ाते रहते हैं। जब साँस लेना दुश्वर हो जाता है तो ना चाहते हुए भी दोनों को अपने होंठ एक दूसरे से जुदा करने पड़ते हैं।
अपनी साँसों की गति को संभालते हुए विमल सोनी के कंधों और गर्दन पर चुम्बनों की बारिश कर देता है।
सोनी की किलकारियाँ और सिसकियाँ कमरे में गूँजने लगती हैं।
सोनी: भाआआईईईईईईईईई आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म
विमल उसकी गर्दन से नीचे उतर उसके निप्पल को मुँह में भर लेता है और दूसरे उरोज को अपनी हथेली में।
दर्द और मजे की शिद्दत से सोनी कराह उठती है।
आआआआआआआआआआआआआआ आराम से भाआआईईईईईईई
विमल उसके निप्पल को चूस कर लाल कर देता है और दूसरे उरोज पे उसके पंजों के निशान छपने लगते हैं। फिर विमल उसके दूसरे निप्पल को चूसने लगता है। सोनी आनंद की इन्तहा बर्दाश्त नहीं कर पाती और विमल के जिस्म के नीचे नागिन की तरह लहराने लगती है। उसकी चूत जाने कब से अपना रस छोड़ रही थी। सोनी के हिलने से विमल का लंड उसकी चूत को घिसने लगता है।
उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ हाआआआआआईईईईईईईईई म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्माआआआआआआ
सोनी सिसकती है उस से और बर्दाश्त नहीं होता और वो विमल के लंड को पकड़ कर अपनी चूत पे दबाने लगती है।
जैसे ही सोनी के हाथ विमल के लंड को थामते हैं वो सिसक पड़ता है
आह्ह्ह्ह म्म्म्म्मीरी बहना
सोनी: भाई अब नहीं सगा जाता अब डाल दो, भर दो मुझे अपने प्यार से
विमल उसकी आँखों में में देखता है, प्यार और मस्ती का सागर लहरा रहा था।
विमल: सोनी तुझे बहुत दर्द होगा।
सोनी: होने दो भाई, मैं जानती हूँ आप बहुत प्यार से मेरी सील तोड़ोगे, मुझे ज्यादा दर्द नहीं होने दोगे। अब इस कली को फूल बना दो भाई। आओ ना भाई। आप तो पहले भी किसी के साथ ...........
विमल: पगली तुने ऐसा सोचा भी कैसे
सोनी: ओह भाई फिर तो हम दोनों कुँवारे हैं, आजाओ मुझ में समा जाओ, मुझे पूरा कर दो भाई आज मुझे औरत बनने की गरिमा दे दो।
ओह सोनी........कितनी अच्छी है तू।
सिर्फ तुम्हारी हूँ भाई।
विमल और नीचे झुकता है और अपने होंठ सोनी की चूत से लगा देता है।
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो भाई उम्म्म्म्म्म्म
सोनी के जिस्म में उत्तेजना और भड़क जाती है। वो विमल की जुबान को अपनी चूत पे सहनही पाती और अपनी कमर उछाल उछाल कर झड़ने लगती है। विमल उसके सारे रस को अपने मुँह में जमा कर लेता है और फिर उसे अपनी अंजुली में ले कर अपना लंड पे मलता है और उसे अच्छी तरह चिकना करता है।
फिर विमल सोनी की टाँगों के बीच में आ जाता है। सोनी अपनी टाँगें फैला देती है। विमल अपने लंड को उसकी चूत पे घिसता है और अपने सुपाड़े को उसकी चूत में फँसा कर एक धक्का मारता है। उसके लंड का सुपाड़ा सोनी की चूत में घुस जाता है। सोनी दर्द से बिलबिला उठती है अपनी चीख को अपने होंठ में दबा लेती है। आँखों से दर्द भरे आँसू निकलते हैं और बिस्तर को अपनी मुठियों में जकड़ लेती है।
विमल उसके ऊपर आ कर उसके आँसू चाटता है और उसके होंठ चूसने लगता है। सोनी को थोड़ा आराम मिलता है और विमल फिर एक झटका मार कर अपना आधा लंड उसकी संकरी चूत में घुसा देता है। सोनी की सील टूट जाती है, दर्द की अधिकता के कारण सोनी चीखती नहीं पर अपने आँसू नहीं रोक पाती। उसके दर्द को समझते हुए विमल रुक जाता है और उसके चेहरे को चुम्बनों से भर देता है है।
विमल: बस मेरी रानी बस आगे बस मजा ही मजा है। बहुत दर्द दे रहा हूँ मैं तुझे।
सोनी: आह्ह्ह भाई तुम्हारा दिया हर दर्द प्यार भरा दर्द है, अब और आगे बढ़ो भाई रुको मत, मुझे लज्जत की उस दुनिया में पहुँचा दो जहाँ सिर्फ प्यार ही प्यार है।
विमल एक और झटका मारता है और अपना पूरा लंड सोनी की चूत में डाल देता है।
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सोनी की चीख निकल ही पड़ती है।
विमल धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत में आगे पीछे करने लगता है। सोनी दर्द से सिसकती है, कुछ देर में उसका दर्द गायब हो जाता है, उसकी चूत और गीली हो जाती है, उसकी कमर खुद ही ऊपर उछाल कर विमल के लंड को अंदर लेने लगती है। विमल के धक्के अब तेज हो जाते हैं।
आह भाई उफ्फ्फ्फ ये क्या होरहा है मुझे आह्ह्ह्ह्ह्ह सोनी अपनी टाँगें विमल की कमर में लपेट लेती है।
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सोनी मेरी बहन.........
दोनों के जिस्म एक दूसरे से टकराते रहते हैं। मजे में सोनी की चूत से फच फचफच का संगीत कमरे में फैलने लगता है। जिस्मों के टकराने से थप थप थप की आवाजें आने लगती हैं।
दोनों अपने आनंद की चरम सीमा की ओर बढ़ने लगते हैं। सोनी की सिसकियाँ बुलंद होने लगती हैं और वो पल भी आ जाता है जब सोनी खुद को सातवें आसमान की ऊँचाइयों में घूमते हुए पाती है। उसका जिस्म अकड़ने लगता है और एक चीख के साथ वो अपनी चूत को हुक्म दे देती है सारे बंध एक साथ खोलने के लिए।
भ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआआआआआईईईईईईईईईई
विमल का लंड सोनी के काम रस की बाढ़ में गोते खाने लगता है और एक दो धक्के के बाद वो भी अपना वीर्य से सोनी की चूत को भरने लगता है। उसका लंड अंदर फूलता पिचकता अपनी पिचकारीयाँ छोड़ता है और सोनी की चूत को राहत पहुँचाने लगता है।
सोनी की चूत अपने आप उसके लंड को जकड़ लेती है, मानो कह रही हो, सब कुछ मेरे अंदर बाह दो यही तुम्हारा असली घर है।
आनंद की प्रकाशथा पे पहुँच दोनों हाँफते हुए ढेर हो जाते हैं और विमल सोनी के ऊपर लुड़क जाता है। उसका लंड अभी भी कुछ साँसे ले रहा था सोनी की चूत की गर्माहट को मेहसूस करता हुआ।
भुझ जाती है एक प्यास जो या तो जिस्म की थी या आत्मा की, ये तो सिर्फ विमल और सोनी ही बता सकते हैं, जिन्होंने ने इस मेहसूस किया।
कुँवारेपन को छोड़ते हुए ये लम्हे अब ना फिर वापस आएँगे, रह जाएँगी बस यादें और एक अनोखा अहसास जो सिर्फ ये दो ही बता सकते हैं।
परमानंद का सुख भोगते हुए दोनों उसे अपने अंदर समेटे हुए अपनी आँखें बंद कर लेते हैं और नींद के आगोश में समा जाते हैं।

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अपडेट 42

विमल सोनी को लेके चला जाता है, पर काम्या और रमेश की प्यास अभी बुझी नहीं थी। काम्या जब खिड़की से विमल को नदारद पाती है तो उसे समझने में देर नहीं लगती कि आग सोनी की प्यास बुझ जाएगी और उसका मसद पूरा हो जाएगा जिस वजह से उसने विमल को अपनी चुदाई दिखाई थी।
विमल के जिस्म की प्यास को भड़काने का इससे अच्छा उपाय वो सोच नहीं पाई थी। और पिछले दिनों में उसके और सोनी के बीच जो हुआ था, उससे साफ ज़ाहिर था कि सोनी ज्यादा दिन लंड के बिना नहीं रह पाएगी।
ये एक माँ का प्रयास था अपनी बेटी के जिस्म की प्यास को बुझाने का। घर की बात घर में रहेगी और बदनामी होने की कोई चिंता नहीं।
उन दोनों के बारे में सोच कर कि दोनों अब क्या कर रहे होंगे, उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती है और वो जोर जोर से रमेश के लंड पे कूदने लगती है। उसका ये उत्साह देख रमेश भी हैरत में आ जाता है, क्योंकि आज तक काम्या का इतना उग्र रूप चुदाई करते वक़्त उसने नहीं देखा था।
विमल के बारे में सोच कर, कैसे चोद रहा होगा वो सोनी को, काम्या की आँखों के सामने विमल लहराने लगता है और वो महसूस करने लगती है जैसे विमल उसे चोद रहा है, वो विमल के लंड पे कूद रही है और उसकी चूत इतना रस बहाती है कि रमेश की हैरानी और बढ़ जाती है, उसने आज तक काम्या को इतना रस छोड़ते हुए नहीं देखा था।
काम्या की इस भड़ती हुई उत्तेजना को रमेश सहन नहीं पाता और उसका लंड अपनी पिचकारी काम्या की चूत में छोड़ने लगता है।
जैसे ही काम्या को उसके वीर्य के छूटने का अहसास होता है, वो सपनों की दुनिया से वापस लौटी है और अपना रस छोड़ते हुए रमेश पे ढेर हो जाती है। उसकी आँखें इस आनंद को समेटने के लिए बंद हो जाती हैं।
उधर विमल और सोनी सारी दुनिया को भूल कर अपनी पहली चुदाई के आनंद को समेटे हुए नींद के आगोश में पहुँच चुके थे।
आधी रात को सोनी की नींद खुलती है और वो ध्यान से विमल को अपने ऊपर से हटा कर बाथरूम जाती है। उसका जिस्म हल्का पड़ा हुआ था, चेहरे पे संतुष्टि की मुस्कान थी। बाथरूम में जाकर खुद को साफ करती है, अपनी नाइटी पहन कर विमल के पास आकर उसके होठों को हलके से किस करती है, उसपे एक चादर डाल कर अपने कमरे में चली जाती है।
उसे अपनी कमर में काफी दर्द महसूस होता है, दो पेन किलर टैबलेट खाती है और अपने कमरे में लगे बाथरूम में घुस कर गर्म पानी से टब भरती है और उसमें लेट जाती है।
गर्म पानी की सिकाई से उसे काफी राहत मिलती है। एक घंटा वो गर्म पानी में लेटी रहती है। जब उसे बहुत आराम मिल जाता है तो खुद को पोंछ कर ऐसे ही अपने बिस्तर पे लेट जाती है और उसकी आँखें बंद हो जाती हैं।
सुबह काम्या चाय लेकर विमल के कमरे में जाती है तो उसके पैर दरवाजे पे ही रुक जाते हैं। विमल बिल्कुल नंगा लेटा हुआ था और उसका लंड खड़ा था। जो चादर सोनी उसके ऊपर डाल गई थी वो वहीं मुचड़ी पड़ी थी।
विमल के लंबे मोटे लंड को देख काम्या की चूत पानी पानी हो जाती है, उसकी जांघें कांपने लगती हैं। बड़ी मुश्किल से वो अंदर जाती है। चाय का कप टेबल पे रख पहले विमल को अच्छी तरह चादर से ढक देती है। फिर विमल के सिर के पास बैठ उसके बालों में उंगलियाँ फिराते हुए उसे उठाने लगती है।
‘विमु उठ बेटे, दिन चढ़ गया है। ले चाय पीले और तैयार होकर नीचे आ जा’
‘उम्म्म सोने दो ना माँ’
‘उठ बेटा तेरी मासी को भी लेने जाना है’
विमल अपनी आँखें खोलता है और उसे अहसास होता है अपने खड़े लंड का और चादर के नीचे नग्न होने का।
वो चादर के अंदर करवट लेता है ताकि माँ को उसका खड़ा लंड ना दिखे, पर उसे क्या मालूम माँ तो सब देख चुकी है और बहुत चुदासी हो गई है।
विमल की नजर जब काम्या पे पड़ती है तो उसे रात का नजारा याद आता है, कैसे काम्या अपनी चुदाई करवा रही थी और कैसे दोनों की नजरें मिली हुई थी।
विमल काम्या को अपने ऊपर खींच लेता है और काम्या के होठों पे अपने होंठ रख देता है।
काम्या चटक कर उससे दूर होती है। विमल देखता ही रह जाता है।
‘ये गलत है बेटा, तैयार होजा मैं तुझसे बाद में बात करूँगी’
विमल तड़प के रह जाता है और काम्या कमरे से बाहर चली जाती है।
विमल तैयार होके नीचे आता है, सब लोग नाश्ते की टेबल पे बैठे हुए थे। सोनी का चेहरा फूल की तरह खिला हुआ था, गालों पे लाली समाई हुई थी। विमल को देखते ही वो नजरें झुका लेती है और एक मुस्कान उसके चेहरे पे खिल जाती है।
रमेश टेबल पे ही बैठा अखबार पढ़ रहा था। विमल जैसे ही बैठता है काम्या नास्ता लेके आ जाती है।
नाश्ते के वक़्त कोई बात नहीं करता। नाश्ते के बाद रमेश खड़ा हो जाता है जाने के लिए और विमल को कहता हुआ जाता है कि माँ के साथ जाकर एयरपोर्ट से मासी को ले आए।
विमल हाँ में सर झुका देता है। अपनी कॉफी ख़त्म करता है और अपने कमरे में चला जाता है।
कमरे में बैठा विमल यही सोच रहा था कि काम्या ऐसा क्यों कर रही है। एक तो जोर जोर से चुदते वक़्त चीखें मार कर उसका ध्यान अपनी और खींचती है, और जब वो उसके पास जाता है तो बिदक जाती है। काम्या का रवैया उसे समझ नहीं आ रहा था और काम्या के लिए उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी।
और कल रात तो खुद उसने कान में कहा था खिड़की का पर्दा हटा रहेगा। वो पागलों की तरह अपना सर नोचने लगता है। वो अपनी माँ को बेइज्जत नहीं करना चाहता था, पर उसे लग रहा था कि वो खुद को ज्यादा रोक नहीं पाएगा, कहीं अकेले में जबरदस्ती ना कर बैठे। ये ख्याल दिमाग में आते ही वो खुद से डरने लगा। उसका जिस्म पसीने पसीने हो गया।
घंटे बाद सोनी उसके कमरे में आती है और उसकी हालत देख कर उसके सिर को अपने पेट से चिपका लेती है। विमल की आँखों में आंसू थे।
‘क्या हुआ भाई? तुम रो क्यों रहे हो? क्या तुम्हें कल के लिए कोई पश्चाताप हो रहा है?’ कहते हुए सोनी की आँखों में आंसू आ जाते हैं।
‘सोनी मैं तुझे कैसे समझाऊँ? मेरा दिमाग फट जाएगा, माँ मेरे दिमाग से कभी बाहर नहीं निकलती। मैं उनके पास जाता हूँ तो मुझसे दूर हो जाती हैं, और दूर से मुझे रिझा रिझा कर तड़पाती जा रही हैं। मैं क्या करूँ सोनी, मैं क्या करूँ?’
‘रात को बात करेंगे भाई, अभी बस तैयार हो जाओ, हमें एयरपोर्ट के लिए निकलना है।’
विमल तैयार होता है, उसकी आँखों में एक तड़प बसी हुई होती है, जिसे देख सोनी का दिल रो पड़ता है। वो विमल को तड़पता हुआ नहीं देख सकती थी।
विमल कार निकालता है और सब एयरपोर्ट की तरफ चल पड़ते हैं।

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अपडेट 43

विमल और बाकी समय पे एयरपोर्ट पहुँच जाते हैं। सुनीता जब एयरपोर्ट से हाथ हिलाती हुई बाहर निकलती है तो उसे देख कर विमल का लंड काबू में नहीं रहता और पैंट फाड़ने को तैयार हो जाता है।
काम्या सुनीता की तरफ लपकती है और दोनों बहनें गले लग जाती हैं। बहुत सालों बाद दोनों मिल रही थी, आँखों में आंसू आ जाते हैं।
काफी देर तक जब दोनों अलग नहीं होती तो विमल बोल पड़ता है। ‘क्या बात है मासी सिर्फ माँ से ही मिलोगी क्या।’ दोनों तब अलग होती हैं।
सुनीता का ध्यान जब विमल पे पड़ता है तो दाँतों तले उंगली दबा लेती है। हट्टा कट्टा चुड़ा जवान जो किसी भी लड़की को आकर्षित कर ले। विमल आगे बढ़ के उसके पैर छूता है तो सुनीता उसे रोकते हुए गले लगा लेती है। सुनीता के उन्नत उरोज विमल की छाती में धंसते हैं और विमल का लंड सुनीता के चूत पे दस्तक दे देता है। आह्ह्ह सुनीता के मुँह से सिसकी निकलते निकलते रह जाती है।
‘हाय राम कितना बड़ा हो गया है। लगता है दीदी ने बड़े प्यार से पाला है।’
‘माँ ने तो प्यार से पाला ही है मासी, पर आपके प्यार को तो तरसते ही रह गए’ कह कर विमल सुनीता के गालों को चूम लेता है।
‘अब आ गई हूँ सारी कसर पूरी कर दूँगी’ सुनीता भी विमल के माथे को चूम कर कहती है।
पीछे खड़ी सोनी अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी।
‘अरे रम्या इधर आ दूर क्यों खड़ी है’
सोनी आगे बढ़ती है तो काम्या कहती है, ‘अब इसका नाम सोनी हो गया है।’
‘क्याआ?’
सोनी सुनीता के गले लगती है।
विमल: ‘चलो अब घर चलो, यहाँ पे ही सारी रामायण डिस्कस करोगे क्या’
सभी कार की तरफ चल पड़ते हैं।
विमल सामान कार की डिक्की में रखता है और घर की तरफ रवाना हो जाता है। सारे रास्ते दोनों बहनें अपनी बातों में मशगूल हो जाती हैं।
काम्या और सुनीता पीछे बैठी हुई बातें कर रही थी, सोनी आगे विमल के साथ बैठ हुई थी। विमल बार बार बैक व्यू मिरर से सुनीता को निहार रहा था और सोनी उसकी नजरों का पीछा करते हुए सब समझ रही थी और उसके होठों पे हल्की हल्की मुस्कान खेल रही थी।
घर पहुँच कर काम्या सुनीता को अपने कमरे में ले जाती है और विमल सुनीता का सामान गेस्ट रूम में रख देता है जो उसके कमरे के साथ ही था।
काम्या ने रात के खाने के लिए विमल को बाहर ऑर्डर करने के लिए कह दिया था। विमल अपने कमरे में चला जाता है और सोनी भी उसके पीछे पीछे उसके कमरे में चली जाती है।
सोनी कमरे में घुस कर दरवाजा बोल्ट कर देती है और पीछे से विमल के गले में बाहें डाल देती है।
सोनी: विमल की गर्दन पे अपनी जुबान फेरते हुए ‘क्या बात है भाई मासी पे भी दिल आ गया?’
विमल: सोनी को अपने सामने ले आता है और उसकी कमर में बाहें डाल कर उसे खुद से चिपका लेता है ‘दिल तो मेरा बस तुझ पे आया है सोनी, पर ये लंड बात नहीं मानता, ये तो अब जब तक मासी की चूत में नहीं घुसेगा तब तक इसे चैन नहीं आएगा’
सोनी: ‘पापा से कॉम्पिटिशन करोगे क्या?’
विमल: ‘पापा कहाँ से आ गए बीच में?’
सोनी: ‘जब पापा ने चाची को नहीं छोड़ा तो साली को कहाँ छोड़ा होगा। और साली को तो वैसे भी आधी घरवाली कहते हैं। इतने सालों बाद मिल रहे हैं, पापा तो मुझे नहीं लगता एक पल के लिए भी मासी को छोड़ेंगे’
विमल: ‘हम्म अगर ऐसा है तो पापा से कॉम्पिटिशन ही सही। देखते हैं कौन जीतता है’
सोनी: ‘कॉम्पिटिशन बाद में करना, अभी तो मुझे थोड़ा दबा दो, सारा बदन दुख रहा है।’
विमल सोनी के गालों को थाम कर अपने होंठ उसके होठों पे चिपका देता है।
सोनी एक हाथ से विमल के बालों को सहलाने लगती है और दूसरे हाथ से उसके लंड को मसलने लगती है। विमल का किस और भी तेज़ हो जाता है और वो सोनी के उरोज मसलने लगता है।
दोनों एक दूसरे के होंठ चूसते जा रहे थे। फिर दोनों के कपड़े साथ साथ उतरने लगते हैं और विमल सोनी को बिस्तर पे लिटा कर उसकी चूत पे हमला कर देता है।
‘आह्ह्ह्ह्ह भाईईईईईई क्यों और आग लगा रहे हो’
‘तेरा रस बहुत मीठा है सोनी, इसे पिए बिना तो मैं अब रह नहीं सकता’ स्ल्ल्ल्लूउउउर्र्र्र्प्प्प्प
‘उउउउईईईईईई मम्म्म्म्म्म्मा मुझे भी तो अपना पीने दो’
फिर दोनों पोजीशन बदलते हैं और 69 में आ जाते हैं। सोनी बड़े प्यार से विमल के लंड को चाटती है और चूसती है।
विमल भी उसकी चूत को आराम से चूसता है, कोई दर्द भरा अहसास नहीं होने देता, सिर्फ उत्तेजना को भड़काता रहता है। ऐसा लग रहा था जैसे दोनों ही अपने काम में माहिर हों और एक दूसरे को बहुत आनंद दे रहे थे।
विमल का लंड बहुत सख्त हो जाता है और सोनी की चूत बहुत गीली, दोनों से ही नहीं रहा जाता और विमल उससे अलग हो कर उसे पीठ के बल लिटा कर उसके निप्पल चूसने लगता है। सोनी उसका सिर अपने उरोज पे दबा देती है। कुछ ही पलों बाद विमल उसकी टाँगों के बीच में आ कर उसकी चूत पे अपना लंड घिसने लगता है। सोनी की सिसकारियाँ कमरे में फैलने लगती हैं। वो इस बात का ध्यान रख रही थी कि उसकी आवाज़ नीचे ना चली जाए।
विमल धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत में डाल देता है। सोनी को कुछ दर्द होता है पर वो उसे सह लेती है।
फिर विमल धीरे धीरे अपनी कमर हिलाने लगता है और दोनों ही एक सुखद संभोग में खो जाते हैं। उन्हें कोई जल्दी नहीं थी। प्यार के इन पलों को अपने अंदर समेटे रहते हैं।
और वो समय भी आ जाता है जब दोनों एक साथ किलकारी भरते हुए झड़ने लगते हैं।
समय जैसे उनके लिए वहीँ ठहर जाता है और दोनों आनंद की लहरों में गोते लगाने लगते हैं।

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अपडेट 44

विमल और सोनी, अपने ही ख्यालों में एक दूसरे से चिपके बिस्तर पे लेटे हुए थे।
सोनी को यकायक ख्याल आता है कि बहुत देर हो चुकी हैं उन्हें, कहीं कोई ऊपर ही ना आ जाए। वो विमल को उठाती है और अपने भी कपड़े उठाकर बाथरूम में घुस जाती है।
उसकी मटकती हुई गांड देख कर विमल का लंड फिर खड़ा हो जाता है। वो भी सोनी के पीछे बाथरूम की और लपकता है, पर सोनी उसके मुँह पे ही दरवाजा बंद कर देती है। अपने लंड को गुस्से से देखता हुआ विमल अपने कपड़े पहनता है और किसी तरह अपने लंड को पैंट में एडजस्ट करता है।
उसे खाने का याद आता है और वो रेस्टोरेंट में फोन कर उसे फिर याद दिलाता है कि खाना कितने बजे भेजना है।
नीचे काम्या और सुनीता एक दूसरे के गले में बाहें डाले अपनी बातों में खोई हुई थी।
रमेश घर पहुँचता है पर बेल बजाने की जगह अपनी चाबी से घर खोलता है और दबे पाँव अपने कमरे की तरफ बढ़ता है। कमरे में घुस कर वो सीधा सुनीता पे टूट पड़ता है और उसे अपनी बाहों में खींच कर उसके होठों पे अपने होंठ रख देता है। सुनीता उसकी बाहों में छटपटाने लगती है।
काम्या: रमेश छोड़ो उसे, ये क्या हरकत है।
रमेश सुनीता को छोड़ता है और वो गुस्से से रमेश की तरफ घूरती हुई बाहर जाने ही लगती है कि सामने जस्सी खड़ी हुई होती है, जिसकी आँखों में अपने बाप के लिए नफरत साफ दिख रही थी।
काम्या और रमेश का ध्यान जब दरवाजे की तरफ जाता है तो काम्या बात संभालने के लिए बोल पड़ती है:
काम्या: अरे जस्सी, कब आई बेटा, चल मासी को अपने कमरे में ले जा, मैं चाय बनाती हूँ। और विमु से पूछ लेना, खाने के ऑर्डर का क्या हुआ।
जस्सी हिकारत भरी नजर अपने बाप पर डालती है और सुनीता को लेकर चल पड़ती है। सुनीता की आँखों में आंसू थे।
रमेश बस सर झुकाए खड़ा रह जाता है। उसे तो सपने में भी ये ख्याल नहीं आनेवाला था कि जस्सी उसके पीछे पीछे आ रही है।
काम्या: तुमसे रात तक सबर नहीं हो रहा था। आते ही टूट पड़े उस पर। अब ये सब नहीं होने दूँगी मैं। बच्चे भी बड़े हो चुके हैं। शर्म करो कुछ। उसकी शादी से पहले जो हुआ सो हुआ, अब और नहीं। जाओ फ्रेश हो जाओ। मैं चाय बनाके लाती हूँ।
रमेश तिलमिला के रह जाता है और बाथरूम में घुस जाता है।
जस्सी सुनीता को लेकर जैसे ही अपने कमरे में पहुँचती है, पीछे पीछे विमल और सोनी भी आ जाते हैं। जस्सी का तमतमाया हुआ चेहरा और सुनीता की आँखों में आंसू उनसे नहीं छुपते।
विमल: क्या हुआ मासी आप रो क्यों रहे हो?
सोनी: और तुझे क्या हुआ है जस्सी, तेरा थोबड़ा क्यों गुस्से से लाल हो रहा है?
जस्सी: कोई जस्सी जासी वस्सी नहीं। मैं रिया हूँ रिया ही रहूँगी। खबरदार आज के बाद किसी ने मुझे जस्सी कर के बुलाया। (पैर पटक कर वो बिस्तर पे बैठ जाती है)
विमल सुनीता के चेहरे को अपने हाथों में थाम लेता है और उसके माथे पे हल्क सा किस करता है। ‘क्या हुआ मासी बताओ ना? हमारे होते हुए आपकी आँखों में आंसू कैसे? अंकल और बच्चों की याद आ रही है क्या?’
सुनीता: कुछ नहीं बेटा, आँख में कुछ पड़ गया था। मैं अभी आती हूँ (कह कर वो बाथरूम में घुस जाती है)
सोनी जस्सी के पास बैठ जाती है और विमल उसके सामने जमीन पर बैठ जाता है।
विमल: क्या हुआ मेरी गुड़िया को?
जस्सी: कुछ नहीं भाई वो … (इससे पहले जस्सी कुछ बोलती सुनीता बाथरूम से आ जाती है और आँखों के इशारे से उसे मना कर देती है) वो – बस मूड ऑफ हो गया था। रास्ते में आज कुछ लड़के पीछे पड़ गए थे।
सुनीता: विमल मेरा बैग तो ले के आना, तुम लोगों के लिए कुछ लाई हूँ।
विमल उठ के चला जाता है और सुनीता जस्सी और सोनी के साथ बीच में बैठ जाती है।
सुनीता: तुम लोगों से तो कुछ बात ही नहीं हो पाई। बताओ क्या क्या चल रहा है।
फिर दोनों बहनें सुनीता को अपनी पढ़ाई वगैरह की बातें बताने लगती हैं।
सुनीता: वाह रे मजा आ गया। सोनी मेरे लिए भी तो कुछ अच्छी ड्रेस डिज़ाइन कर ना।
सोनी: नेकी और पूछ पूछ, कल ही आपको सारे डिज़ाइन दिखाती हूँ। आज तो आप थक गई होगी। आज आराम करो।
इतने में विमल सुनीता का बैग ले आता है।
सुनीता बैग खोल कर दो एक एक पैकेट सोनी और जस्सी को देती है। इससे पहले सुनीता कुछ बोल पाती दोनों ने पैकेट खोल डाले और अंदर की ड्रेस देख कर दोनों के चेहरे लाल पड़ गए। सुनीता उनके लिए डिज़ाइनर नाइट गाउन ले के आई थी जो बहुत पारदर्शी था। विमल की नजरें भी उन नाइट गाउन्स पे अटक जाती हैं और वो कल्पना करने लगता है, कैसी दिखेंगी उसकी बहनें वो ड्रेसेस पहन कर और उसका लंड तूफान मचाने लगता है।
सुनीता एक पैकेट विमल को देती है।
विमल: मासी मैं बाद में ले लूँगा, अभी तो जरा खाने का इंतज़ाम देख लूँ। (कह कर विमल चला जाता है।)
विमल नीचे पहुँचता है तो माँ के कमरे से लड़ने की आवाज़ें आ रही थी। साफ पता चल रहा था कि रमेश और काम्या के बीच झगड़ा हो रहा है।
विमल सोनी को एक मैसेज भेजता है उसके सेल पे और खुद बाहर जाकर अपनी बाइक निकालता है और खाना लेने चला जाता है।
सोनी को जब विमल का मैसेज आता है तो वो जस्सी को लेकर नीचे चली जाती है। दोनों ही हैरान थी, कि आ उनके माँ बाप में ऐसी क्या बात हो गई जो लड़ाई हो रही है। दोनों ही दरवाजा खटका कर माँ को आवाज़ देती हैं। अंदर एक दम ऐसी शांति हो जाती है कि सुई भी गिरे तो आवाज़ सुनाई दे।
काम्या दरवाजा खोलती है तो उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि थोड़ी देर पहले एक ज्वालामुखी फटा है।
जस्सी: माँ भाई खाना ले के आ रहा है 10 मिनट में आ जाएगा। हम टेबल पे प्लेट्स लगा लेते हैं तब तक। आपको कुछ चाहिए तो नहीं।
काम्या: नहीं बेटा कुछ नहीं चाहिए। तुम प्लेट्स लगाओ मैं अभी आती हूँ। मासी कहाँ है।
सोनी: मासी तो ऊपर आराम कर रही है।
काम्या: हाँ आराम करने दे उसे। बहुत थक गई होगी। तुम चलो मैं आती हूँ। दोनों लड़कियाँ किचन की तरफ बढ़ जाती हैं।
काम्या रमेश को गुस्से से देखती है और लड़कियों के पीछे चली जाती है।
रमेश का मूड ऑफ हो चुका था। वो बाहर आता है और जोर से बोलता है, ‘मैं किसी काम से जा रहा हूँ देर हो जाएगी। मेरी वेट मत करना।’ कह कर वो घर से चला जाता है।

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