अपडेट 35
अपनी सहेली की पार्टी में सोनी का दिल बिलकुल नहीं लग रहा था। एक कोने में खड़ी वो कोक पी रही थी और विमल के बारे में सोच रही थी। ऐसा क्यों हो रहा था कि उसे अपनी माँ से ही जलन होने लगी जब उसने विमल का रुझाव अपनी माँ की तरफ देखा।
वासना तो किसी रिश्ते को नहीं मानती, फिर ये जलन क्यों?
कहीं ऐसा तो नहीं जो खेल जिस्म की प्यास ने शुरू किया था वो आत्मा की प्यास में बदल गया। सोनी को वो एक-एक पल याद आ रहा था, कैसे विमल बड़े प्यार से उसे समझाता, उसके डिजाइन्स में निखार लाने के लिए घंटों उसके साथ बैठ कर दिमाग खपाता। उसकी हर छोटी से छोटी इच्छा को हुक्म मान कर पूरा करता, उसे जरा सी भी तकलीफ होती तो तड़प उठता।
सोनी की आत्मा भी विमल के सान्निध्य के लिए तड़पने लगी, पर अब उसमें वासना नहीं थी, बस प्यार था, एक ऐसा प्यार जिसकी कोई सीमा नहीं थी।
सोनी की आँखों में आँसू आ जाते हैं।
क्या ये प्यार सफल होगा? क्या विमल उसके प्यार का आदर करेगा?
सोनी के दिलोदिमाग में आँधियाँ चल रही थीं, उसका जिस्म जैसे एक सूखे पत्ते की तरह फड़फड़ा रहा था। ये क्या हो रहा है, क्या ये समाज उसे इजाजत देगा अपने ही भाई से प्यार करने के लिए।
क्या ये प्यार कभी परवान चढ़ पाएगा। अगर ये प्यार ही है तो इसमें वासना का पुट कहाँ से आ गया। क्यों उसका जिस्म विमल के जिस्म में समाने के लिए बेताब है। क्यों उसके जिस्म की भड़की हुई प्यास विमल की आस लगाए बैठी है।
उसे शुरू के वो पल याद आते हैं जब अपने पिता पर अपने हुस्न का प्रभाव देख कर वो काफी खुश हुई थी। तो ये वासना ही तो है, प्यार कहाँ। नहीं, वो सिर्फ एक जिस्मानी झुकाव था, प्यार नहीं, प्यार क्या होता है, ये तो पता ही नहीं था।
विमल के साथ प्यार ही तो है, वरना माँ से जलन क्यों होती। ये प्यार ही तो है जो अपना हक जताने की कोशिश कर रहा है।
उफ्फ्फ्फ्फ क्या है ये। तीन घंटे यूं ही इन खयालों में गुजर जाते हैं।
उधर विमल सोनी को छोड़ कर घर नहीं जाता, वो जानता था कि अगर वो घर गया तो काम्या इस वक्त अकेली है और वो कुछ ऐसा नहीं करना चाहता था जिसके उसकी माँ को दुख पहुँचे।
उसकी आँखों के सामने JKP की वो मेल्स घूमने लगती हैं जिसने उसके जिस्म में छुपी हुई प्यास को भड़का दिया था। कैसे बेशर्मों की तरह वो अपने माँ-बाप के संभोग को देखते हुए आनंद ले रहा था और मुठ मार रहा था। कैसे बेशर्मों की तरह अपनी बहन की लाज के टुकड़े-टुकड़े कर रहा था उसके अर्ध नग्न बदन को घूरते हुए।
उफ्फ्फ्फ्फ ये क्या हो रहा है, ये किस दलदल की ओर बढ़ रहा हूँ मैं। क्या माँ के विश्वास को, उसके निश्छल प्रेम को वासना की बलि चढ़ाना ठीक होगा? क्या माँ कभी दिल से उसके साथ ऐसा संबंध बनाएगी - नहीं। क्या सोनी कभी उसे एक मर्द के रूप में देखेगी - नहीं।
तो फिर क्यों ये गंदे खयाल मन से नहीं जा रहे। इसी उधेड़बुन में विमल यूं ही सड़कें नापता रहता है, समय गुजरता रहता है, उसे अपने मन की इस दशा का कोई उत्तर नहीं मिलता और उसका एक्सीडेंट होते-होते रह जाता है। तब उसकी नजर घड़ी पर पड़ती है, तीन घंटे कैसे निकले, पता ही नहीं चला। वो फटाफट सोनी को लने के लिए अपनी बाइक की दिशा मोड़ देता है।
विमल करीब 10 मिनट लेट पहुँचता है सोनी को लने के लिए। सोनी बाहर खड़ी अपनी सहेली के साथ उसका इंतजार कर रही थी।
विमल उसे बाइक पर बिठा कर घर के लिए निकल पड़ता है।
सोनी अपना सर उसके कंधे पर रख कर फफकने लगती है और विमल साइड में बाइक रोक देता है।
‘क्या हुआ सोनी - तू रो क्यों रही है? किसी ने पार्टी में तेरे साथ कोई बदतमीजी की क्या? बता क्या बात है?’
सोनी कोई जवाब नहीं देती, बस रोती रहती है।
विमल सख्ती से पूछता है, ‘तुझें मेरी कसम, बता क्या बात है?’
सोनी उसके सीने से चिपक जाती है और उसके दिल की आवाज निकल पड़ती है, ‘आई लव यू भाई - आई लव यू, आई लव यू।’
विमल के कान बहरे हो जाते हैं। उसे लगा शायद उसने कुछ सुना ही नहीं।
अपडेट 36
विमल आँखें फाड़े और मुँह खोले बस सोनी को देखता रहा। उसने सोनी को अपने सीने से अलग कर अपने सामने कर लिया था और उसके दोनों कानों को थाम रखा था।
सोनी की आँखों से मोतियों की लड़ी लगातार बह रही थी, वो लगातार सुबक रही थी और विमल के सीने में खुद को छुपा लेना चाहती थी।
विमल उसके चेहरे को थोड़ी पर हाथ रख ऊपर करता है। सोनी अपनी गीली आँखों से उसे देखती है और विमल को उन आँखों में बस प्यार ही प्यार नजर आता है, फर्क इतना कि ये प्यार एक मर्द के लिए था जो कि उसका भाई था।
विमल उसे फिर अपने सीने से लगा लेता है।
विमल: सोनी, ये गलत है, हम दोनों भाई-बहन हैं और ऐसा रिश्ता हम दोनों के बीच नहीं बन सकता। मैं मानता हूँ, कुछ समय पहले मेरे मन में तुम्हारे लिए गलत भावनाएँ आ गई थीं। पर हमें इन भावनाओं पर विजय पानी होगी और अपने प्यार भरे रिश्ते को वासना से दूर रखना होगा।
सोनी: (तड़प उठती है विमल की इस दोहरी बातों को सुन कर और उसे गुस्सा चढ़ जाता है) तो माँ के लिए जो तुम्हारे दिल में है, वो ठीक है? माँ के कमरे में झाँकना उस वक्त जब वो डैड के साथ थी, क्या वो ठीक था? और देखते हुए जो तुम कर रहे थे, वो ठीक था?
विमल सोनी की बातें सुन बौखला जाता है, उसकी आँखों के आगे अंधेरा सा छा जाता है। आज वो गिर गया था अपनी बहन की नजरों के सामने। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, वो क्या जवाब दे।
विमल की आँखों में आँसू आ जाते हैं, ‘सोनी, जो तू कह रही है, वो सब गलत है, मैं मानता हूँ, पर मैं ऐसा नहीं था। तुझें सब कुछ बताऊँगा। चल, बहुत देर हो चुकी है, अब घर चलते हैं। और रोना बंद कर, तू जानती है, मैं तुझें रोते हुए नहीं देख सकता।’
सोनी चुपचाप बाइक पर बैठ जाती है। विमल बाइक तो चला रहा था, पर दिमाग में हथौड़े बज रहे थे।
पीछे बैठी सोनी विमल से चिपक जाती है। विमल सोनी को घर छोड़ता है और माँ से कह कर कि अपने दोस्त से मिल कर कुछ देर में आ जाएगा, वो घर से बाहर चला जाता है और कुछ दूर जा कर एक पार्क में बैठ जाता है।
सोनी सर झुकाए अपने कमरे में चली जाती है और अपने बिस्तर पर गिर जाती है। उसकी आँखों से फिर आँसू की नदी बहने लगती है।
विमल पार्क के अंदर सर झुकाए एक कोने में बैठ गया और अपने पिछले कुछ दिनों से होती हुई घटनाओं के बारे में सोचने लगा।
पहले JKP की मेल्स आती हैं जो उसके जिस्म की प्यास को हवा दिखाती हैं, फिर सोनी का नया अंदाज, नए किस्म के कपड़े जो उसके बदन की हवा दिखाते रहते हैं और फिर अपनी माँ काम्या को अपने बाप से चुदते हुए देखना और अपने दिल में काम्या के लिए एक प्यास जगा बैठना और आज सोनी का यूं खुल कर उसे प्रपोज करना।
कहाँ पहले वो सोनी के जिस्म को भोगने के लिए आतुर था, पर जब से उसने काम्या का दिलकश रूप देखा, वो काम्या के लिए पागल सा हो चुका था।
कौन से रास्ते पर जाए, उसे समझ नहीं आ रहा था। क्या सोनी के प्यार को स्वीकार कर ले या फिर अपनी रूप की देवी काम्या को पाने की कोशिश करे। उसे कुछ समझ नहीं आता और दो घंटे ऐसे ही बीत जाते हैं। उसके मोबाइल पर काम्या का फोन आता है तो वो घर के लिए निकल पड़ता है।
अपडेट 37
विमल जब घर पहुँचा तो काम्या ने दरवाजा खोला और उसका उतरा हुआ चेहरा देख काम्या का दिल रो उठा।
काम्या: क्या हुआ है तुझे विमू?
विमल सर झुकाए खड़ा रहा और जैसे ही उसने अपने कमरे की तरफ जाने के लिए पैर बढ़ाए, काम्या ने उसका हाथ पकड़ लिया।
काम्या: रुक, तेरे पापा के आने में अभी काफी टाइम है, चल मेरे कमरे में, तुझ से जरूरी बात करनी है।
विमल अंदर ही अंदर हिल गया ये सोच कर कि तगड़ी डाँट पड़ेगी।
काम्या विमल को खींचती हुई अपने कमरे में ले गई और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। विमल दंग रह गया देख कर कि माँ ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया है।
काम्या विमल के पास हो कर उसके चेहरे को उठाती है और पूछती है:
काम्या: विमू, मुझ से झूठ मत बोलना। क्या तू मुझे चाहने लगा है? क्या तेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं जो तू मुझ बुद्धी की तरफ खिंच रहा है?
विमल आँखें फाड़े काम्या को देखता रह गया। विमल को लगा जैसे उसके कान सुन्न पड़ गए हों और जुबान तालु से चिपक गई हो।
काम्या उसके और करीब आती है, उसे अपने गले से लगा लेती है, काम्या के उभार विमल की छाती को चुभने लगते हैं और वो उसके कान में बोलती है, ‘बता ना, क्या मैं तुझें बहुत अच्छी लगने लगी हूँ? बोल ना, सच-सच बोल, मैं बिलकुल नाराज नहीं हूँगी।’
काम्या का यूं इस तरह उसके साथ चिपकना और उसके कान में प्यार से सवाल करना, उसके उरोज की चुभन को अपनी छाती पर महसूस करना, विमल के लिए असहनीय सा हो गया, उसका जिस्म पसीने-पसीने हो गया।
‘माँ, मैं वो... वो...’
इससे पहले विमल आगे कुछ बोल पाता, घर की डोर बेल बज जाती है। काम्या उससे अलग हो दरवाजा खोलने के लिए बढ़ती है और उसे कहती हुई जाती है, ‘जा अपनी बहन के पास, उसे तेरी बहुत जरूरत है।’ ये कहते हुए काम्या के चेहरे पर एक अजीब किस्म की मुस्कान आ जाती है।
विमल बौखलाया सा हड़बड़ाता हुआ ऊपर चला जाता है। जैसे ही वो सोनी के कमरे में घुसता है, तड़प उठता है। सोनी बिस्तर पर लेटी हुई अविरल आँसू बहाए जा रही थी। उसका जिस्म काँप रहा था। पूरा चेहरा आँसुओं से भरा हुआ था।
विमल उसके नजदीक जा कर उसके पास बैठ जाता है। उसके कानों में काम्या की आवाज गूँज रही थी - तेरी बहन को तेरी जरूरत है।
विमल उसके चेहरे को हाथों में थाम लेता है और उसके आँसू चाटने लगता है। सोनी बिलख कर उसके साथ चिपट जाती है।
विमल: बस मेरी जान, और नहीं, बहुत रो लिया तूने, अब सारी जिंदगी तेरा ये भाई तुझें हर वो सुख देगा जो तू चाहती है।
विमल उसके गालों को चाट कर उसके आँसू सोख लेता है और फिर अपने होंठ उसके होंठों पर रख हल्के-हल्के उन्हें चूसने लगता है। सोनी उसके साथ लिपटी चली जाती है, उसके चेहरे पर विजय की एक मुस्कान आ जाती है।
सोनी के थरथराते हुए लब खुल जाते हैं और विमल की जुबान उसके मुँह के अंदर का स्वाद चखने लगती है। सोनी के जिस्म में उत्तेजना की लहरें उथल-पुथल मचाने लगती हैं और वो अपने जिस्म को ढीला छोड़ देती है विमल की बाँहों में। उसके होंठों को चूसते हुए विमल अपने हाथ उसके उरोज पर जाता है और प्यार से सहलाने लगता है।
सोनी की आँखें बंद हो जाती हैं, इस पल को वो अपने अंदर समेटने लगती है और विमल के चुम्बन से सराबोर हो कर अपनी चूत के सारे बंध खोल देती है।
दोनों का ये चुम्बन पता नहीं कितने देर चलता है, जब साँस लेना मुश्किल हो जाता है तो दोनों थोड़ी देर के लिए अलग होते हैं और फिर अपनी साँसें संभाल के फिर एक-दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं।
दोनों की आत्माएँ एक-दूसरे से मिल रही थीं होंठों के रास्ते और दोनों के जिस्म आने वाले पल के बारे में सोच कर थरथरा रहे थे।
अपडेट 38
सोनी: आह्ह्ह भाई, कब से तड़प रही हूँ, आज मुझ में समा जाओ, मुझे लड़की से औरत बना दो। दे दो मुझे अपने प्यार का रस।
विमल: ओह सोनी, मेरी बहना, मुझें माफ करना, मैं तुझ से दूर भाग रहा था, क्या करूँ, माँ मेरे रोम-रोम में बस गई है। उनके बिना मैं जिंदा नहीं रह पाऊँगा।
सोनी: पहले मुझे अपना प्रसाद दे दो, माँ भी जल्दी तुमको मिल जाएगी।
विमल: कैसे सोनी, बहुत तड़प रहा हूँ मैं।
सोनी: माँ तुमसे बहुत प्यार करती है, वो तुम्हें मना नहीं करेगी, बस कोशिश करते रहना, देखना एक दिन तुम्हारी बाँहों में होगी।
विमल: ओह सोनी, मेरी प्यारी बहना (और विमल सोनी के होंठों को चूसने लगता है।)
सोनी: आह्ह्ह्ह्ह चूस लो भाई, अच्छी तरह चूस लो।
तभी कोई दरवाजा खटखटाता है, दोनों अलग हो जाते हैं। सोनी दरवाजा खोलती है तो सामने कविता खड़ी हुई थी। सोनी को आग लग जाती है उसके इस वक्त आने से, पर चेहरे पर जबरदस्ती की स्माइल ला कर उसे अंदर बुलाती है और विमल से उसका इंट्रोडक्शन कराती है। कविता तो विमल को बस देखती ही रह जाती है। विमल उसे भाव नहीं देता और कमरे से बाहर निकल जाता है।
बाहर निकल कर विमल सीधा काम्या के पास जाता है, काम्या उस वक्त बिस्तर पर अधलेटी बैठी हुई थी।
काम्या: आ विमू, इधर मेरे पास आ, मेरी बात अधूरी रह गई थी।
विमल काम्या के पास जा कर बैठ जाता है।
काम्या: अब बता, क्या तू मुझे चाहता है?
विमल: ये क्या कह रही हो माँ, कौन सा ऐसा बेटा होगा जो अपनी माँ को नहीं चाहेगा।
काम्या: बात को घुमा मत विमू, मेरा पूछने का मतलब है, कि क्या तू मेरे अंदर की औरत को चाहने लगा है?
विमल: मैं इतना जानता हूँ माँ, कि मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ और तुम्हारे बिना जी नहीं सकता। माँ भी तो औरत ही होती है, फिर ये सवाल कैसा?
काम्या उसे नजदीक हो जाती है, उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमाती है और बड़े गौर से उसकी आँखों में देखती है।
विमल की आँखों में उसे एक तड़प दिखाई देती है, जो सीधा उसके दिल पर वार कर देती है। काम्या का अपना वजूद तक हिल जाता है उस तड़प को महसूस कर के।
काम्या: विमू, ये ये ये मैं क्या देख रही हूँ तेरी आँखों में? ये...
विमल: मुझे खुद कुछ पता नहीं माँ, क्या है मेरी आँखों में, मैं बस इतना जानता हूँ, मैं तुम्हारे बिना एक पल नहीं जी सकता। मुझे नहीं पता ये प्यार है, वासना है, क्या है? बस इतना कह सकता हूँ, मेरी वजह से तुम्हें कभी शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। तुम्हारे लिए जो दिया मेरे दिल में जलता है, वो जलता रहेगा, कभी बुझ नहीं सकता, चाहे कुछ भी हो जाए। कोई भी तूफान आ जाए मेरी जिंदगी में, पर ये दिया कभी नहीं बुझेगा।
काम्या: मुझे अकेला छोड़ दे विमू, मुझे कुछ सोचने दे, मैं बाद में तुझ से बात करूँगी।
विमल: ठीक है माँ, (उठ के हॉल में चला जाता है और टीवी चैनल इधर से उधर करने लगता है।)
विमल अभी बैठा ही था कि डोर बेल बजती है। विमल दरवाजा खोलता है तो सामने उसके डैड खड़े थे।
विमल: डैड, आज बहुत देर कर दी।
रमेश: अंदर आते हुए, ‘कहाँ रहता है तू, आज तो मैं आधा घंटा पहले ही आ गया हूँ और ये तेरे ठोबड़े पे 12 क्यों बजे हुए हैं?’
विमल: कुछ नहीं डैड, शायद कल ठीक से सो नहीं पाया था, इसलिए आज कुछ थका हुआ सा महसूस कर रहा हूँ।
रमेश: हँसते हुए, ‘हाँ बेटा, इस उम्र में नींद कहाँ आती है। गर्ल फ्रेंड को याद कर रहा था क्या?’ (रमेश सोफे पर बैठते हुए बोलता है)
विमल: नहीं डैड, मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है, मैं इन लफड़ों में नहीं पड़ता।
रमेश: फिर तो चिंता की बात है, जब मैं तेरी उम्र का था, मेरी 5 गर्ल फ्रेंड थीं।
विमल: पाँnnnnच्च्च्च्
रमेश: हाँ, इसमें हैरान होने वाली क्या बात है, तेरी मॉम भी तो उनमें से ही थी।
विमल: वाव डैड, आपने लव मैरिज की है।
रमेश: हाँ बेटा, चल तेरी मॉम कहाँ है, कुछ पानी-वानी पिलाओगे या नहीं।
विमल: मॉम कमरे में है डैड, अभी ले के आया। (इससे पहले कि विमल कहीं जाता, काम्या पानी का ग्लास ले आई।)
अपडेट 39
अब आगे...
काम्या: (रमेश को पानी का ग्लास पकड़ाते हुए) जी, कल सुनिता आ रही है। आज देर से उसका मैसेज आ जाएगा फ्लाइट डिटेल्स के साथ। मैं सोच रही थी कि हमने जो घूमने का प्रोग्राम बनाया है, सुनिता को भी साथ ले चलें।
विमल: ओह, मासी आ रही, कितने साल हो गए उनसे मिले हुए।
काम्या: हाँ विमू, अब वो हमेशा के लिए यहीं सेटल हो जाएँगे।
रमेश: ये तो बढ़िया बात हुई। विमल, कल तुम माँ के साथ एयरपोर्ट चले जाना।
काम्या: मैं खाना लगाती हूँ, बाकी बात हम बाद में करते हैं। विमू, जा के सोनी और कविता को बुला ले।
विमल: ओके मॉम (और वो चला जाता है)
रमेश: अकेली आ रही है या सारी फैमिली आ रही है?
काम्या: अपनी आँखों की इस चमक को जरा संभाल के रखिए, बच्चे बड़े हो चुके हैं। अब वो हरकतें मत करना।
रमेश: अरे साली तो आधी घरवाली होती है। बच्चों की तुम चिंता मत करो। मैं सब संभाल लूँगा।
काम्या: तो तुम सुधरोगे नहीं। अभी मैं किचन जा रही हूँ, बाद में तुम्हारी खबर लेती हूँ।
रमेश मुँह खोले काम्या को देखता रह जाता है। इतने में विमल सोनी और कविता को नीचे ले आता है और सभी डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं। सोनी किचन में जा कर माँ का हाथ बटाती है और 5 मिनट के अंदर टेबल पर खाना लग जाता है। सभी खाना खतम करते हैं और काम्या विमल को कहती है कि वो कविता को उसके घर छोड़ आए।
विमल अपनी बाइक निकालता है, और एक घंटे के अंदर कविता को उसके घर छोड़ कर वापस आ जाता है।
विमल घर की बेल बजाता है, काम्या आ कर दरवाजा खोलती है और उसकी तरफ मुस्कुरा के देखती है। काम्या उसे माथे को चूमती है और उसके कानों में कहती है, (आज भी खिड़की का पर्दा हटा हुआ मिलेगा।) विमल हैरानी से उसकी तरफ देखता है और वो चेरे पर मुस्कान लिए पलट जाती है और मटकती हुई अपने कमरे में चली जाती है।
विमल की नजरें उसकी गांड पर जम जाती हैं। विमल सोचता है, इसका मतलब कल माँ ने उसे झाँकते हुए देख लिया था। विमल के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो हँसता हुआ अपने कमरे की तरफ बढ़ता है। उसे इंतजार था, कब काम्या की सिसकियाँ बुलंद होगी। यानी माँ कल जान-बूझ कर जोर-जोर की आवाजें निकाल रही थी।
विमल अपने कमरे में घुसता है तो उसे झटका लगता है, सोनी उसके बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसने एक ट्रांसपेरेंट लिंगरी पहनी हुई थी, अंदर न ब्रा थी और न पैंटी।
विमल की नजरें उसके जिस्म पर गड़ जाती हैं। सोनी काम्या का ही तो रूप थी।
सोनी उसे देख कर एक कातिलाना अंगड़ाई लेती है।
सोनी: आओ ना भाई, कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ। आओ और बुझा दो मेरे जिस्म की प्यास, बस जाओ मेरी आत्मा में। पूरा कर दो मुझे आज। ये कली फूल बनने को बेकरार है। आओ ना भाई, मेरी बाँहों में समा जाओ।
विमल उसकी तरफ बढ़ता है, सोनी किसी नागिन की तरह बिस्तर पर बल खा रही थी। उसकी लिंगरी जाँघों तक उठ जाती है और उसकी मसल जाँघें विमल को अपनी ओर खींचती हैं।
विमल बिस्तर पर सोनी की टाँगों के पास बैठ जाता है और झुक कर उसकी जाँघों को चूमने लगता है।
सोनी: आह्ह्ह्ह्ह भाई, और चूमो, बहुत सकून मिल रहा है।
विमल उसकी जाँघों को चूमता हुआ आगे बढ़ता है और उसकी लिंगरी उठाता जाता है। सोनी झट से अपनी लिंगरी उतार फेंकती है। उसके दूधिया जिस्म को नग्न देख विमल की आँखें चुंधिया जाती हैं। उसे लगता है जैसे काम्या जवान हो कर उसके सामने आ गई है। विमल की नजरें जैसे ही उसके उरोज पर पड़ती हैं, उसे झटका लगता है। उसकी आँखों के सामने JKP के उरोज की तस्वीर घूमने लगती है। दोनों में रत्ती भर फर्क नहीं था।
विमल बौखला कर खड़ा हो जाता है।
विमल: सोनी, तुमम्म्म्म्म तो वो... सब तुम्हारा किया-धरा था...
सोनी की नजरें झुक जाती हैं।
सोनी: भाई, मुझ से नाराज मत होना, मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था।
विमल: तूने ऐसी हरकत क्यों की? क्यों जगाया तूने मेरे अंदर जिस्म की भूख को?
सोनी विमल के पास आ कर उससे चिपक जाती है, ‘भाई, सब बता दूँगी, मैं भी तो ऐसी नहीं थी, कुछ तो हुआ होगा जिसने मुझे ऐसा करने पे मजबूर किया। कल तक मैं सोचती थी, कि बस ये जिस्म की प्यास है, पर अब नहीं, अब तो ये मेरी आत्मा की प्यास बन चुकी है- जिसे सिर्फ आपका प्यार ही बुझा सकता है।’
विमल: मुझे सब कुछ जानना है सोनी, मैं इस वक्त बीच भँवर में गोते खा रहा हूँ और मैं डूबना नहीं चाहता।