अपडेट 25
अगले दिन सिमी के घरवाले पहुँच जाते हैं, इसलिए सिमी अपने नए घर चली जाती है। विक्की बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहा था। ये दिन बड़ी मुश्किल से उसने निकाले थे। अब दोनों को ही रात का इंतज़ार था एक दूसरे की बाहों में समाने के लिए।
रमेश भी घर वापस आ जाता है और अपनी पत्नी से गुफ्तगू करता है, पंडित ने जो कहा था उस बारे में। लड़कियों के नाम बदलने थे। बार-बार नुकसान सहने से अच्छा था एक बार पंडित की बात मान ली जाए।
वो राम्या को बुलाता है और अपना निर्णय सुना देता है। अंधविश्वास में जब कोई पड़ जाए तो क्या कर सकते हैं। बहुत सोच-विचार कर दोनों माँ-बाप अपनी बेटियों का नाम सिखनी की तरह रख देते हैं और गुरुद्वारे जाकर माथा भी टेकते हैं। अब राम्या बन गई थी सोनलप्रीत कपूर कौर और रिया बन गई थी जसप्रीत कपूर कौर।
रमेश एफिडेविट बनवाता है और भागदौड़ कर लड़कियों के नाम हर जगह जहाँ बहुत जरूरी था, बदलवा देता है।
राम्या को अपना नाम बहुत प्यारा था, पर जब उसके डैड ने उसे सोनी कहकर पुकारना शुरू किया तो वो सोनी के रंग में रंग गई, उसे सोनी बुलाया जाना बहुत अच्छा लगने लगा।
रिया भी जसप्रीत की जगह जस्सी बुलाए जाने लगी।
जब ये खबर फोन पे विमल को दी गई तो वो बहुत नाराज़ हुआ इस तरह अंधविश्वास में पड़कर बच्चों के नाम बदलने पर। पर जो हो चुका था, उसे वो बदल नहीं सकता था और वो अपने माँ-बाप की खिलाफत भी नहीं करना चाहता था। आज वैसे भी शाम तक उसने घर आना ही था।
शाम को जब वो घर पहुँचा तो सोनी ने दरवाजा खोला। नाम के साथ-साथ उसके बदले हुए रूप को देखकर उसका लंड हर्कत में आ गया। वो आँखें फाड़े सोनी को निहारता रहा। उसे लगा जैसे नाम बदलने के साथ-साथ सोनी की आकर्षण शक्ति भी बहुत बढ़ चुकी है।
उसकी नजरें सोनी के क्लीवेज और झाँकते हुए उरोजों पर टिक गई और वो अंदर घुसना भी भूल गया। सोनी मन ही मन इठला रही थी, विमल पर अपने हुस्न के जादू को सर चढ़ते देख।
सोनी गला खँखार कर: कहाँ खो गया, अंदर चल ना।
विमल को झटका लगा, सर झुकाता हुआ अंदर आया और सीधा अपने कमरे में चला गया।
एक तरफ जहाँ JKP ने उसका दिमाग खराब कर रखा था, वहाँ सोनी को देख वो पागल हुआ जा रहा था। धत, ऐसा कैसे सोच सकता हूँ मैं सोनी के बारे में। अपने सर को झटकता है और बाथरूम में घुस जाता है।
अपडेट 26
क्योंकि रमेश बहुत दिनों से चूत का भूखा था, वो जल्दी सोने का प्रोग्राम करता है।
सोनी की माँ भी अंदर से बहुत खुश थी, आज खूब जी भर के चुदेगी। सोनी ने बहुत प्यास भड़का दी थी अपनी माँ की। सिमी जा चुकी थी और सोनी उदास सी होकर अपने कमरे में चली जाती है और सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में ही बिस्तर पे लेट जाती है।
विमल को नींद नहीं आ रही थी, उसने सोचा चलो सोनी के पास जाकर कुछ समय बिताता हूँ। जैसे ही वो सोनी के कमरे के सामने पहुँचा, उसे जोरदार झटका लगा। सोनी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में लेटी हुई कुछ सोच रही थी। विमल के पाँव वहीं दरवाजे पे जम गए।
दरवाजे की झिरी से वो सोनी के उन्नत उरोजों को निहारने लगा। उसका दिमाग उसे बार-बार टोक रहा था वहाँ से चले जाने के लिए, पर कदम थे कि उठ ही नहीं रहे थे। उसके जिस्म में आग सी लग जाती है। उसका लंड फनफनाता हुआ खड़ा हो जाता है। दिल कर रहा था, अंदर जाकर सोनी को दबोच ले। उफ़, कितनी सुंदर लग रही थी गुलाबी पैंटी और ब्रा में। ब्रा भी ऐसे पहनी थी कि आधे उरोज बाहर झाँक रहे थे। सोनी के जिस्म से कामुकता फूट-फूट कर निकल रही थी और विमल उसमें बहता चला जा रहा था। उसका हाथ अपने लंड पे पहुँच गया और वो सोनी को देखते हुए अपना लंड मसलने लगा।
अचानक सोनी के जिस्म में कुछ हरकत हुई और वो उठ के बैठ गई।
पकड़ा न जाए, इस डर से विमल फटाफट अपने कमरे में भाग गया। उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थी। जितनी कोशिश वो करता कि सोनी के बारे में ऐसा-वैसा न सोचे, उतनी ही जोर से उसे सोनी का आधा नंगा जिस्म अपनी आँखों के सामने लहराता हुआ दिखता।
विमल अपने अंदर उठती हुई इस प्यास से परेशान हो उठा, कैसे वो अपनी बहन को वासना की नजरों से देख पा रहा था। आज तक उसके दिमाग में कभी सोनी के बारे में ऐसा विचार नहीं आया था। पर जब से JKP की मेल्स आनी शुरू हुई, उसका दिमाग खराब होता चला गया।
विमल सारे कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस जाता है और शावर के नीचे खड़ा हो अपने जिस्म को ठंडा करने की कोशिश करता है।
इधर सोनी भी अपने जिस्म में उठती हुई तरंगों से परेशान थी। वो भी अपने कमरे में बने बाथरूम में घुस जाती है। अपनी ब्रा-पैंटी उतार देती है और शावर के नीचे खड़े हो अपने उरोज दबाने लगती है।
सोनी अपने जिस्म पे अच्छी तरह क्रीम लगाती है और अपने उरोजों का मसाज करने लगती है। काफ़ी देर वो अपने उरोजों के साथ खेलती रहती है।
उधर विमल अपने बाथरूम में एक हाथ से अपने जिस्म पर शावर का पानी डालता रहता है और दूसरे हाथ से मुठ मारने लगता है।
अपने उरोजों से खेलकर तंग आने के बाद सोनी अपनी चूत में उंगली करने लगती है जब तक वो झड़ नहीं जाती। फिर अपनी उसी पैंटी और ब्रा को पहन कमरे में आकर अपने बिस्तर पर लेट करवटें बदलती रहती है।
विमल भी मुठ मारकर अपनी पिचकारी दीवार पे छोड़ देता है और खुद को साफ कर एक गाउन पहनता है और बिस्तर पे लेट जाता है। उसकी आँखों में सोनी ही सोनी थी।
दोनों रात भर जागते रहते हैं और शायद सुबह होने ही वाली थी कि उनकी आँख लग जाती है।
अपडेट 27
विमल और सोनी तो खुद के साथ खेलने में मस्त थे, पर रमेश तो बेसब्री से अपनी बीवी का इंतज़ार कर रहा था।
सोनी की माँ, किचन संभाल कर जैसे ही अपने कमरे में घुसती है तो रमेश पहले से ही अपने कपड़े उतार के बैठा हुआ था और अपने लंड को सहला रहा था। वो फट से दरवाजा बंद करती है ताकि कोई बच्चा गलती से न आ जाए और बाप को इस अवस्था में देख ले। चूत तो उसकी भी कुलबुला रही थी, पर नारी लज्जा उसे रोक लेती है और वो दरवाजे की तरफ ही मुँह करके खड़ी रहती है। रमेश से और बर्दाश्त नहीं होता, वो लपक कर अपनी बीवी के पास जाता है और अपनी तरफ मोड़ता है और अननफनन उसके कपड़े उतार फेंकता है।
वो चुहिया की तरह खड़ी रहती है और अपने पति को अपने वस्त्र उतारने में सहयोग देती रहती है।
रमेश उसे बिस्तर पे गिरा देता है और उसके उरोज पर टूट पड़ता है।
काम्या, सोनी की माँ, सिसक पड़ती है। आह्ह्ह्ह्ह रमेश चूस लो, खा जाओ, कितने दिन हो गए हैं उफ़फ़फ़ आह आह उम्म्म चूसो और चूसो।
रमेश को चुदाई के वक़्त रंडीपन अच्छा लगता है, इसलिए काम्या जोर-जोर से सिसकती है ताकि रमेश को मज़ा आए और वो पागलों की तरह उसकी चुदाई करे।
रमेश काम्या के एक उरोज को चूसता और दूसरे को दबाता और निचोड़ता। रमेश किसी भूखे बच्चे की तरह काम्या के उरोज चूसता रहता है और बीच-बीच में उसके निप्पल्स को अपने दाँतों से हल्के-हल्के चबाने लगता है।
जैसे ही उसके दाँत काम्या के निप्पल्स को छूते, काम्या की सिसकियाँ और तेज़ हो जाती। आज बहुत दिनों बाद काम्या की चुदाई लंड से होने वाली थी, इसलिए उसमें उत्तेजना बहुत बढ़ी हुई थी। उसकी सिसकियाँ इतनी जोर से निकलती थी कि ऊपर अपने कमरों में करवटें बदलते उसके बच्चे तक सुन लेते हैं। विमल से रहा नहीं जाता और वो सिर्फ़ शॉर्ट पहने नीचे आ जाता है। दरवाजा बंद था, पर खिड़की का पर्दा थोड़ा हटा हुआ था।
अंदर से उसकी माँ की आवाज़ें आ रही थीं:
आह आह उम उम उफ़ उफ़ और चूसो और चूसो आआआईईईईई।
विमल खिड़की से अंदर झाँके लगा और अंदर उसका बाप उसकी माँ के उरोज चूस रहा था। अपनी माँ को इस रूप में देख, रमेश के जिस्म में उत्तेजना का संचार होने लगा, उसका लंड भी अपनी नंगी माँ को देख खड़ा होने लगा। एक पल को उसके दिमाग में आया कि चला जाए, पर उसके पैर वहीं जमे रहे और आँखें खिड़की के अंदर का नजारा देख रही थी। उसके बाप का खड़ा लंड करीब 7 इंच का होगा, जो उसके लंड 9 इंच के लंड से काफ़ी छोटा था। विमल के दिल में अपनी माँ को चोदने का ख्याल आने लगा।
जब रमेश ने काम्या के उरोज अच्छी तरह चूस-चूस कर लाल कर दिए तो वो हट गया और बिस्तर पे लेट गया। अब काम्या की बारी थी। वो उठकर रमेश के लंड पे झुक गई और उसे चाटने लगी। विमल को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी माँ उसका ही लंड चाट रही हो। उसके लंड की अकड़न बढ़ती जा रही थी और उसकी शॉर्ट में एक तंबू बन चुका था।
विमल आँखें फाड़े अंदर झाँक रहा था, उसकी माँ ने उसके बाप के लंड को पहले अच्छी तरह चाटा और फिर मुँह में लेकर चूसने लगी और धीरे-धीरे लंड को पूरा अंदर ले लिया, जो उसके गले तक जा रहा होगा। उसका बाप भी मस्ती में आहें भरने लगा। क्या जबरदस्त चूस रही थी उसकी माँ।
अचानक ऊपर से किसी के उतरने की आवाज़ आती है, विमल फटाफट खिड़की से हटकर अंदर हॉल में चला जाता है और फ्रिज खोलकर पानी की बोतल निकालता है। सोनी भी शायद अपनी माँ की चुदाई देखने आई थी। अभी उसने खिड़की में झाँका ही था कि उसे हॉल में कुछ हलचल सी लगी और वो फट से हट गई। वो बस इतना ही देख पाई कि उसकी माँ ने उसके बाप के लंड को मुँह में भर रखा है।
वो भी हॉल में चली गई, जहाँ विमल अपना गला तर कर रहा था। सोनी की नज़र उसकी शॉर्ट में बने तंबू पे चली गई और उसका जिस्म काँप उठा। सोनी ने एक झीनी नाइटी पहन रखी थी, जिसमें से उसका गोरा जिस्म चमक रहा था। विमल की नजरें उसपे गड़ गई, वो भूल गया कि उसका खड़ा लंड सोनी देख रही है।
सोनी: क्या कर रहा है भाई, नींद नहीं आ रही क्या।
विमल: वो वो, कमरे में पानी रखना भूल गया था, इसलिए नीचे आया, बड़ी प्यास लग रही थी।
सोनी: (कुटिलता से मुस्काती हुई) हाँ, प्यास तो लगेगी ही, भुझ गई या और तेज़ हो गई।
विमल: क क क्याआ।
सोनी: कुछ नहीं, पानी पी ले और सो जा, बहुत रात हो चुकी है।
विमल पानी की बोतल लेकर अपने कमरे की तरफ भागता है।
सोनी का दिल तो कर रहा था अपने माँ-बाप की चुदाई देखने का, पर कहीं विमल फिर न आ जाए, इस डर से वो पानी की एक बोतल निकालती है और ऊपर अपने कमरे की तरफ बढ़ जाती है।
विमल बाहर ही खड़ा हुआ था, वो सोनी को उसके कमरे में जाता हुआ देखता है और एक लंबी साँस लेकर अपने कमरे में चला जाता है।
बिस्तर पे लेट कर आँखें बंद करता है तो माँ का नंगा जिस्म उसकी आँखों के आगे तैरने लगता है।
नीचे से फिर उसकी माँ की सिसकियों की आवाज़ आने लगी। विमल और सोनी दोनों ही अपने जिस्मों के अंदर बढ़ती हुई प्यास से तड़पने लगे।
अपडेट 28
आह आह आह उफ्फ्फ्फ्फ उम्म्म्म्म्म आआआआईईईईईई
काम्या की सिसकियाँ जोर पकड़ती जा रही थीं, ऐसा लग रहा था जैसे पूरा घर वासना के रंग में रंग गया हो। आज तो दोनों मियाँ-बीवी ये भी भूल गए थे कि आवाजें ऊपर उनके जवान बच्चे भी सुन रहे होंगे।
विमल के कानों में काम्या की सिसकियाँ और आँखों के आगे उसका सुंदर नंगा बदन उसे सोने नहीं दे रहा था। उसने खुद को बहुत रोका पर रोक नहीं पाया और कमरे से बाहर निकल नीचे की तरफ बढ़ता चला गया। जैसे ही वो नीचे उतर रहा था, पीछे सोनी उसे उतरते हुए देख रही थी।
विमल के कदम उसे सीधा उसी खिड़की की तरफ ले गए जहाँ से अंदर का नजारा दिख रहा था।
विमल की आँखें तरस रही थीं उस नजारे को देखने के लिए जिसमें उसकी माँ चुद रही थी।
विमल झाँक कर देखने लगा, अंदर उसका बाप उसकी माँ पर चढ़ा हुआ था और सटासट उसकी चूत में अपने लंड पेल रहा था। काम्या भी अपनी गांड उछाल-उछाल कर उसका लंड अंदर ले रही थी।
आह्ह्ह्ह्ह्ह चोदो जोर से चोदो उफ्फ्फ्फ उम्म्म्म्म फाड़ दो मेरी चूत
अंदर काम्या चुदती हुई चिल्ला रही थी और विमल को लग रहा था जैसे उसे ही कह रही हो। विमल के हाथ अपने खड़े लंड पर पहुँच गए और उसने उसे कैद से आजाद कर दिया।
पीछे दूर खड़ी सोनी उसके लंड की लंबाई और मोटाई देख घबरा गई, कैसे जाएगा ये मूसल उसकी चूत में। विमल ने मुठ मारनी शुरू कर दी और सोनी ने अपनी चूत को मसलना।
अंदर रमेश काम्या को चोदते हुए उसके निप्पल को चूसने लगा। काम्या के जिस्म में पहले से ही तूफान उठा हुआ था, वो और भी भड़क गया।
रमेश काम्या की चूत से लंड बाहर निकाल लेता है। काम्या तड़प उठती है।
आह बाहर क्यों निकाला?
रमेश तब उसे पलटने को कहता है, काम्या पलट कर अपने घुटनों पर आती है और अपनी गांड ऊपर उठा देती है। वो सोच रही थी कि रमेश पीछे से चूत में लंड डालेगा, पर रमेश किसी और मूड में था। वो अपना लंड काम्या की गांड के छेद से रगड़ता है और एक जोर का झटका मार कर आधा लंड अंदर घुसा देता है।
आआआआआआआआआआआआआआआआआआईईईईईईईईईईई
काम्या बहुत जोर से चीखती है और आगे को होने की कोशिश करती है। पर रमेश उसकी कमर को सख्ती से पकड़ कर एक और झटका मारता है और पूरा लंड अंदर घुसा देता है।
म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मारrrrrrrrrrrrr ग्ग्ग्ग्गाईईईईई
काम्या फिर जोर से चिल्लाती है।
बाहर खड़े विमल को लगा जैसे उसने अपना लंड अपनी माँ की गांड में पेल दिया हो, उसके हाथ तेजी से अपने लंड पर चलने लगते हैं।
अंदर रमेश सटासट काम्या की गांड मारने लगता है। काम्या चिल्लाती रहती है पर रमेश कोई रहम नहीं करता।
थोड़ी देर बाद काम्या की चीखें बंद हो जाती हैं और सिसकियाँ शुरू हो जाती हैं।
विमल बाहर खड़ा हैरानी से देख रहा था कि कैसे उसकी माँ अब गांड मरवाने का मजा ले रही है।
हाँ हाँ और और और तेज चोदो चोदो मेरी गांड हाआआआईईईई मम्मजा आ रहा है उफ उफ और तेज और तेज पूरा डाल दो डाल दो फाड़ दो मेरी गांड
काम्या तेज-तेज बोल रही थी एक रंडी की तरह और रमेश को उकसाती जा रही थी। रमेश और भी जोश में आ कर उसकी गांड मारने लगा।
बाहर विमल के हाथ अपने लंड पर तेज होते चले गए और उसे देख सोनी भी अपनी चूत में उंगली करने लगी।
विमल को अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि उसकी माँ कैसे भाषा बोल रही थी, दिन में कितनी भोली दिखती है, कोई सोच भी नहीं सकता कि ऐसे भी बोलती होगी।
जब रमेश को लगा कि उसका छूटने वाला है, वो अपना लंड काम्या की गांड से निकाल लेता है, पक की आवाज होती है जैसे किसी सोडा की बोतल का ढक्कन खोला गया हो। विमल को अपनी माँ की गांड का छेद काफी खुला हुआ दिखता है जो धीरे-धीरे अपने नॉर्मल साइज पर वापस आ रहा था।
अब रमेश पीठ के बल लेट जाता है। काम्या उठ कर रमेश को चूमती है, उसकी छाती पर अपने उरोज रगड़ती है और अपनी दोनों टाँगों के बीच रमेश को ले लेती है। फिर उठकर एक हाथ से रमेश के लंड को पकड़ अपनी चूत पर लगाती है और बैठती चली जाती है। रमेश का लंड काम्या की चूत में घुस जाता है।
थोड़ी देर काम्या लंड को अपनी चूत में एडजस्ट करती है, फिर रमेश के कंधों पर अपने हाथ रख ऊपर-नीचे होने लगती है। रमेश भी उसकी कमर को थाम कर उसे ऊपर-नीचे करने लगता है। विमल को अपने बाप का लंड अपनी माँ की चूत में घुसता और बाहर निकलता दिख रहा था।
काम्या अपनी गति तेज कर देती है और पागलों की तरह रमेश के ऊपर उछलने लगती है।
थोड़ी देर में काम्या और रमेश एक साथ झड़ते हैं और इधर बाहर विमल भी अपनी पिचकारी छोड़ देता है।
विमल की पिचकारी को निकलता देख सोनी की उत्तेजना बहुत बढ़ जाती है और उसकी चूत भी झड़ने लगती है। सोनी वहीं जमीन पर बैठ जाती है, उसकी टाँगों में जैसे जान ही नहीं बची थी। विमल का भी हाल खराब होता है। वो भीड़ जमीन पर धम से गिर जाता है।
अंदर काम्या रमेश के ऊपर ढह जाती है। रमेश का लंड अभी भी उसकी चूत में था।
काम्या और रमेश एक-दूसरे से चिपक जाते हैं। विमल खड़ा होने की कोशिश करता है तो सोनी फट से अपने कमरे में भाग जाती है। लडखड़ाता हुआ विमल धीरे-धीरे अपने कमरे में जा कर बिस्तर पर गिर जाता है। उसकी आँखों के सामने उसकी माँ का नंगा जिस्म ही लहरा रहा था।
अपडेट 29
अगले दिन दोबारा दो प्यासे जिस्म इस दुविधा में थे कि क्या करें अपनी बढ़ती हुई प्यास को बुझाने के लिए।
सोनी खुद पहल नहीं करना चाहती थी। वो विमल को इतना मजबूर करना चाहती थी कि वो उसके आगे गिड़गिड़ाए, उसके जिस्म को छूने के लिए, उसके होंठों का रस पीने के लिए, उसकी चूत में अपना लंड डालने के लिए।
सोनी ने सुबह-सुबह अपना लैपटॉप खोला और विमल को JKP के नाम से मैसेज भेज दिया।
JKP: है मेरी जान, कैसे हो? तुम्हारे लंड की बहुत याद आ रही है। अगर मुझे चोदना चाहते हो तो पहले अपनी बहन को चोद के दिखाओ। मुझे पता है, बड़ी मस्त आइटम है वो। क्या तुम्हारा लंड नहीं खड़ा होता उसे देख कर? अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। जल्दी जवाब देना। देर करोगे तो मैं किसी और से चुद जाऊँगी, फिर हाथ मलते रह जाओगे। अब ये मत पूछना कि मैं तुम्हारी बहन को कैसे जानती हूँ। वक्त आने पर सब बता दूँगी।
ये मैसेज विमल को भेज के सोनी फ्रेश होने बाथरूम चली जाती है।
विमल रात भर सो नहीं पाया। एक तरफ सोनी का जवान जिस्म और दूसरी तरफ उसकी कयामत से बढ़ कर सुंदर माँ। वो दोनों के लिए ही तड़प रहा था। बस यही सोचता रहा कि कैसे आगे बढ़े। पहले सोनी या माँ, या फिर दोनों पर ट्राई करे, जो भी पहले राजी हो जाए।
यही सोचते हुए वो नहाने चला जाता है। नहाकर जब वो नीचे पहुँचा तो उसके डैड बाहर लॉन में अखबार पढ़ रहे थे और माँ किचन में थी।
विमल किचन में जाता है और पीछे से अपनी माँ से चिपक जाता है और उसकी कमर को अपनी बाहों में जकड़ता है।
‘गुड मॉर्निंग मॉम, क्या हो रहा है?’
काम्या यूं पकड़े जाने पर एक पल तो घबरा ही गई थी। पर जब विमल की आवाज सुनी तो उसे कुछ चैन मिला।
अपना एक हाथ पीछे ले जा कर वो विमल के बालों में हाथ फेरती है।
काम्या: ‘क्या बात है, आज बड़ा प्यार आ रहा है मम्मी पर?’
विमल: मैं तो आपको बहुत प्यार करता हूँ (कह कर विमल अपनी माँ के बालों को सूँघने लगता है, एक भिनी सी खुशबू उसके बालों से आ रही थी।)
काम्या: ‘कुछ चाहिए क्या जो आज इतना मस्का मार रहा है, पहले तो कभी तूने ऐसा नहीं किया, आज क्या बात हो गई?’
विमल: नहीं मम्मी, बस आज दिल कर रहा था आपसे बहुत प्यार करूँ, बाहर रहता हूँ, आपकी बहुत याद आती है। आपके प्यारे हाथों से बना बढ़िया खाना खाने को तो मैं तरसता ही रहता हूँ, आपसे तो बात करने के लिए भी छुट्टियों का इंतजार करना पड़ता है।
काम्या: ‘ओह हो, मेरा बच्चा, जब तक तेरी छुट्टी है, मैं खूब तुझ से बात करूँगी। चल अब छोड़, तेरे डैड चाय की वेट कर रहे हैं। तू भी उनके पास बैठ जा, मैं वहीं चाय ले के आ रही हूँ।’
भुझे मन से विमल काम्या को छोड़ता है और अपने डैड के पास चला जाता है।
रमेश: बेटा, कैसे चल रही है तेरी पढ़ाई?
विमल: पढ़ाई तो ठीक चल रही है डैड, पर खाने-पीने की बहुत प्रॉब्लम होती है। मेस का खा कर तंग आ चुका हूँ। सोच रहा हूँ यहीं पे माइग्रेशन करवा लूँ ताकि घर पर रह सकूँ।
रमेश: तेरा दिमाग तो ठीक है ना, अब कितना टाइम रह गया है। तेरी ट्रेनिंग मैं यहीं अच्छी कंपनी में करवा दूँगा, मुझे हमेशा की तरह टॉप ग्रेड चाहिए। बस मैं और कुछ नहीं सुनना चाहता।
विमल चुप हो कर रह गया, सोचा था घर आ जाएगा तो माँ या सोनी को पटाने के ज्यादा चांस मिलेंगे। पर अफसोस, डैड को ये सब कैसे बोलता।
सोनी तैयार हो कर नीचे आती है तो दोनों बाप-बेटे की आँखें फटी रह जाती हैं। सोनी ने ड्रेस ही ऐसी पहनी थी। उसके उरोज ऐसे तने हुए थे जैसे कपड़े फाड़ कर अभी बाहर निकल आएँगे और ड्रेस इतनी छोटी थी कि जाँघें साफ-साफ नजर आ रही थीं। दोनों बाप-बेटे नजरें चुरा कर सोनी के हुस्न का जाम पी रहे थे। दोनों की ही पैंट में तंबू बन गए थे। सोनी से अपने जलवों का असर छुपा नहीं था। विमल को छेड़ने के लिए वो अपने बाप से सट के बैठ जाती है।
काम्या इतने में चाय ले कर आ जाती है। सोनी अपनी जाँघें रमेश की जाँघों के साथ हल्के-हल्के रगड़ रही थी और रमेश की हालत खराब हो रही थी।
काम्या को बड़ा अजीब लगता है सोनी का इस तरह बाप से चिपक के बैठना, वो टोक ही देती है। सोनी जरा किचन से चीनी ले आना, मैं शायद डालना भूल गई। सोनी किचन चली जाती है तो काम्या सोनी की जगह बैठ जाती है।
सोनी जब वापस आती है तो उसे विमल के पास बैठना पड़ता है और वो कुछ दूरी बना कर बैठ जाती है।
सोनी: डैड, हम लोग बाहर घूमने का प्रोग्राम बना रहे थे, उसका क्या हुआ?
रमेश: अरे मैं तो हाँ कर दी थी। जगह तो तुमने बतानी थी।
विमल: ये कब डिसाइड हुआ?
सोनी: भाई, बहुत बोर गए हैं, कुछ दिन बाहर घूम के आते हैं। चार दिन बाद तुम्हारी लंबी छुट्टी है, तो दो दिन और कर लो, जस्सी को भी छुट्टियाँ होने वाली हैं।
रमेश अपनी चाय खतम कर के उठ जाता है। भाई, तुम लोग शाम तक डिसाइड कर लो, मैं चला, मुझे आज जल्दी निकलना है।
काम्या: अरे नाश्ता तो करते जाओ।
रमेश: आज वहीं कर लूँगा, लेबर जरा बिदक रही है, उसे आज ठीक करना है।