जिस्म की प्यास
 
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जिस्म की प्यास

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UPDATE 5

अपने कमरे में आ कर मैं लेट गई और अपनी जिंदगी में आए इस तूफान के बारे में सोचने लगी। इंसान ने चाहे कितनी भी तरक्की कर ली है, रहा वही जानवर का जानवर ही। बस कपड़े पहने शुरू करदिया, नए नए आविष्कार कर लिए, और एक समाज की स्थापना करली, पर जो पूर्वजों के जीन हमारे अंदर कब से चले आ रहे हैं, वो कभी ना कभी कहीं ना कहीं तो सर उठाते ही हैं। फर्क बस इतना आ गया है, पहले कोई बंधन नहीं होता था, जिसको चाहा चोद लिया, और जिससे चाहा चुदवा लिया। अब लोग बंद कमरों में अपनी दबी हुई इच्छाओं को पूरा करते हैं।
जैसे मेरे माँ बाप और चाचा चाची कर रहे थे या अब भी कर रहे हैं। पर कल रात जो देखा वो अब तक मैं समझ नहीं पा रही हूँ एक बाप और बेटी अपनी वासना में लिप्त। अगर बाप बेटी इतना आगे बढ़े हुए हैं तो ज़रूर माँ बेटे भी होंगे, ऐसा तो हो नहीं सकता कि ये दोनों छुप कर ही करते होंगे और माँ बेटे को कुछ पता नहीं होगा। पता नहीं सच्चाई क्या है। पर मुझे उनके सच से क्या लेना देना।
मुझे तो अपने घर का सच जानना है और उसके लिए मुझे माँ के बहुत करीब जाना होगा।
यही सोच कर मैं नीचे गई और देखा कि पापा नाश्ता कर रहे हैं, आज मैं उनके पास ही जा के बैठ गई, मैंने बहुत टाइट टॉप पहना हुआ था, मेरे उरोज पहाड़ की चोटी की तरह खड़े थे।
पापा की नज़रें बार बार मेरे उरोजों पे आ के टिक जाती और सर झटक फिर अपना ध्यान खाने में लगा देते। मैं कनखियों से सब देख रही थी। पापा पहले भी शायद मेरे उरोजों को देखते होंगे पर मेरा ध्यान कभी नहीं गया, शायद कल जो तूफान आया उसने मेरी छठी इंद्री को जागृत कर दिया और मुझे गड़ती हुई नज़रों को ज्यादा आभास होने लगा। मम्मी भी मेरे सामने आ के बैठ गई और बहुत रोकते हुए भी मेरी पैनी नज़रें माँ पे गड़ गई।
पापा: तेरे कोर्स कैसा चल रहा है बेटा, कुछ चाहिए तो नहीं।
मैंने अपने खयालों की दुनिया से वापस आई ‘हाँ पापा सब ठीक चल रहा है, पापा इस बार कहीं घुमाने ले चलो, बहुत बोरियत हो रही है।’
पापा: ‘बेटा अपनी माँ और भाई बहन के साथ मिल के प्रोग्राम फाइनल कर लो और मुझे बता देना’
मैं: ‘भाई की छुट्टियाँ तो बहुत दूर हैं, हम सिर्फ वीकेंड पे क्यों नहीं चलते, बस दो दिन के लिए, थोड़ा चेंज हो जाएगा’
पापा: ठीक है, विमल और रिया इस बार जब आएँगे तो अगले हफ्ते का प्रोग्राम फाइनल कर लेना, मैं भी तब तक कुछ ज़रूरी काम निपटा लूँगा।
मैं: पापा के गले लगते हुए, ‘थैंक यू पापा आप बहुत अच्छे हो’ मैंने जान बूझ कर अपने उरोज पापा की बाँह पे रगड़े, और उसका असर एकदम हुआ।
पापा चिहुँक पड़े और मुझे अलग कर फटाफट बाथरूम चले गए। मेरी नज़रों ने उनकी पैंट के अंदर बने तंबू को देख लिया था। यानी पापा मेरे से गरम हो रहे थे।
अब मुझे सोचना ये था किस के साथ आगे बढ़ूँ, किसको अपने जाल में लपेटूँ पहले पापा या भाई। फिर सोचा क्यों ना अपनी सील भाई से ही तुड़वाऊँ – मज़ा आएगा इस चैलेंज को पूरा करने में, हम दोनों जवान हैं, चुदाई भी ज्यादा दम दार होगी, पापा को बाद में देखूँगी, बस अब उनको थोड़ा थोड़ा टीज़ करती रहूँगी।
बाथरूम से निकल पापा बाय करते हुए चले गए और घर में रह गए मैं और माँ।
मैं जा के माँ के गले लग गई। ‘माँ चलो थोड़ा बाहर घूम के आते हैं, आज दोपहर को बाहर ही खाएँगे’
माँ: मेरे सर पे हाथ फेरते हुए ‘आज इंस्टिट्यूट नहीं जाना क्या – तूने आज तक अपनी कोई क्लास नहीं मिस की, ये आज क्या हो रहा तुझे’
अब माँ को क्या समझाऊँ चूत में खुजली बढ़ गई है, उसका भी तो इंतज़ाम करना है।
मैं: ‘नाँ माँ आज कोई ज़रूरी क्लास नहीं है, चलो ना प्लीज़।’ मैं माँ से और भी चिपक गई और अपने उरोज माँ की पीठ में गड़ाने लगी।
माँ: अच्छा मुझे कुछ काम खत्म करने दे फिर चलते हैं।
मैं खुशी से चिल्लाते हुए ‘ठीक है माँ, एक घंटे में जो करना है कर लो, मैं तब तक तैयार होती हूँ’ और मैं भागती हुई अपने कमरे में चली गई।
एक घंटे बाद हम लोग चाणक्यपुरी के लिए निकल पड़े, वहाँ एक इंग्लिश फिल्म चल रही थी, मैंने जिद करी तो माँ मान गई। फिल्म में कुछ उत्तेजक सीन ज्यादा थे, मेरी हालत बिगड़ने लगी मैं बार बार कनखियों से माँ को देख रही थी, कि उनपे क्या असर होता है, मुझे लगा कि माँ भी कुछ गरम हो रही है, क्योंकि वो बार बार अपनी सीट पे हिल रही थी और अपनी टाँगें बींच रखी थी।
मूवी के बाद हम लोग मौर्या शेरेटन में लंच के लिए चले गए। मैंने हिम्मत करते हुए माँ से पूछा। ‘माँ कभी बीयर पी है क्या’
माँ चौंकते हुए ‘नहीं, ये क्या बक रही है तू, चुप चाप लंच करते हैं और घर चलते हैं’
मैं: ‘माँ अब मैं बड़ी हो चुकी हूँ, और बड़ी लड़कियों के लिए माँ सबसे अच्छी दोस्त होती है, और दोस्त से कुछ छुपाया नहीं जाता’ मेरा चेहरा उतर चुक्का था।
माँ कुछ पलों तक मुझे देखती रही फिर ‘अरे तू उदास क्यों हो गई, ऐसा नहीं करते, चल आज से हम पक्के दोस्त’ और माँ ने मेरे साथ शेक हैंड किया, मेरे चेहरे पे मुस्कान दौड़ गई।
मैंने फिर सवालिया नज़रों से माँ को देखा तो इस बार माँ बोल पड़ी ‘हाँ कभी कभी तेरे पापा के साथ पी लेती हूँ जब वो ज्यादा जिद करते हैं’
मैं: ‘माँ मैं भी आज ट्राई कर लूँ थोड़ी सी प्लीज़’
शायद माँ चाहती थी कि मैं उनसे और खुलूँ तो इसलिए मान गई। एक माँ के दिल में हमेशा ये डर बना रहता है, कि जवान बेटी कहीं गलत रास्ते पे ना निकल पड़े।
हमने एक बीयर की बोतल मँगवाई माँ ने आधी खुद ली और आधी मुझे दी। मैं घूँट भरा तो बहुत कड़वी लगी और मेरा मुँह बन गया, माँ खिलखिला के हस पड़ी।
माँ: ‘शुरू शुरू में कड़वी ही लगती है, नहीं पी जा रही तो रहने दे’
अब मैं पीछे कैसे रहती, मुझे तो माँ के और करीब जाना था। मन कड़ा करते हुए धीरे धीरे पी गई तीन चार घूँट लेने के बाद उतनी कड़वी नहीं लग रही थी।
फिर हमने लंच खत्म किया और घर आ गए। ये आधी बोतल भी मेरे सर चढ़ रही थी, मैं अपने कमरे में जाकर सो गई।

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UPDATE 6

वॉक इन
ग्रैब द बैक ऑफ माय नेक
किस माय लिप्स सॉफ्टली
रन योर हैंड्स डाउन माय बैक स्क्वीज़ माय ऐस
टेल मी आई एम नॉटी
अनबटन माय ब्लाउज़
कैरस माय फेस
रिमूव माय शर्ट रिवील माय लेस... ब्रा
व्हाइल आई एम रिमूविंग योर पैंट्स मेकिंग योर एक्साइटेड मंडिंगो डांस रबिंग योर बॉडी अप अगेंस्ट माइन
आई कैन फील योर ब्लड पंपिंग अप अगेंस्ट माय थाइज़
यू रिमूव माय स्कर्ट पॉप द स्ट्रैप्स ऑफ माय थॉन्ग
आई मोअन एग्रेसिवली
क्रिएटिंग अ ट्यूनफुल सॉन्ग
यू जॉइन इन ऐज़ आई स्लोली किस योर नेक
वर्किंग माय वे डाउन योर स्टमक
टीज़िंग द इनर पार्ट्स ऑफ योर थाइज़
आई गिव योर टिप अ लिक एंड यू लेट आउट अ फाल्सेटो क्राई
यू पुश मी डाउन ऑन द ग्राउंड
रिमूव माय पैंटीज़ एंड लिक माय पुसी
सेंड रिगार्ड्स टू द शेफ
कज़ शी केप्ट द मीट टेंडर एंड जूसी
माय ब्रीथ क्विकन्स ऐज़ यू कीप इट मूविंग
पुशिंग योरसेल्फ डीपर इनटू मी
गॉट मी स्क्रीमिंग, "डैम बेबी फक मी!"
रोल ओवर आई एम राइडिंग योर ऐस गुड
माय पुसी हगिंग योर डिक
गॉट यू मोअनिंग, "डैम! फक! डैट फील गुड!"
वी क्लाइमेक्स अबाउट रेडी टू कम
यू पाउंडिंग मी सो हार्ड माय पुसी गोइंग नंब
यू येलिंग माय नेम
ग्रैबिंग माय हेयर
आई लेट आउट अ स्क्रीम ऐज़ यू बस्ट एंड लेट गो
आई कॉल यू "जिस्म की प्यास"
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं हड़बड़ा कर उठ गई, सारा जिस्म पसीने से बत्तर था। अब तो सपनों में भी विमल से चुदवाने लगी हूँ। उफ ये जिस्म की प्यास तो बढ़ती ही जा रही है। मेरी पूरी सलवार तक गीली हो चुकी है, बाथरूम जाती हूँ, फिर नीचे माँ के पास जाऊँगी।

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UPDATE 7

रम्या नीचे गई और माँ के पास किचन में चली गई।
‘माँ मैं कुछ मदद करूँ’
‘नहीं बेटा तुम टेबल पर बैठो- मैं बस अभी आई, सब तैयार हो चुक्का है’
रम्या टेबल पर जा के बैठी ही थी कि उसका सेल बजता है। कॉल रिसीव करती है तो
‘व्व्वूऊऊऊऊव सिमरन कितने दिनों बाद फोन कर रही है’
सिमरन: और तू जैसे मुझे फोन करती रहती है। अच्छा सुन मैं परसों आ रही हूँ, तेरे ही इंस्टिट्यूट में एडमिशन लेने। बाकी लोग भी कुछ दिनों में आ जाएँगे। पापा का ट्रांसफर दिल्ली हो रहा है।
रम्या: अरे वाह, फिर तो मज़ा आ जाएगा, अकेले बोर हो जाती हूँ मैं, तेरी कंपनी मिल जाएगी तो सच में बहुत मज़ा आएगा।
सिमरन: अच्छा मैं रख रही हूँ, तुझे फ्लाइट डिटेल्स एसएमएस कर दूँगी, एयरपोर्ट पर मिलना। बाय टी/सी
रम्या: टी/सी
रम्या: माँ! माँ!
माँ: अरे क्यों चिल्ला रही है, आ रही हूँ बस।
माँ खाने की प्लेट्स ले के टेबल तक आती है, रम्या प्लेट्स ले कर टेबल पे रखती है।
‘हाँ बोल क्यों चिल्ला रही थी’
‘सिमरन आ रही है माँ, मज़ा आ जाएगा’
माँ: हाँ पता है तेरे मामा का दिल्ली ट्रांसफर हो गया है। पहले सिमरन आ रही है फिर कुछ दिनों में बाकी सब भी आ जाएँगे।
रम्या: कyyyyyyyy्याआआआआआआ आपको मालूम है और मुझे बताया भी नहीं।
माँ: अरे बेटी कल रात ही तो फोन आया था तेरे मामा का। सारा दिन तू मुझे घुमाती रही तो दिमाग से निकल गया।
दोनों खाना खत्म कर के किचन संभालती हैं और सोने की तैयारी करती हैं।
रम्या: माँ आज मैं आपके पास सो जाऊँ।
माँ: जा कपड़े बदल के आजा।
रम्या भागती हुई जाती है और उसका ये अल्हड़पन देख माँ हस पड़ती है और अपने कमरे में जाकर अपनी नाइट ड्रेस निकाल के पहन लेती है।
नाइट ड्रेस ज्यादा तो नहीं पर कुछ ट्रांसपेरेंट थी और माँ का खूबसूरत जिस्म उसमें से झलक रहा था।
रम्या भी अपनी नाइटी पहन के आ जाती है। और दोनों बिस्तर पे लेटी हुई रम्या के मामा और उसके परिवार के बारे में बातें करती रहती हैं। रम्या की नींद तो कोसों दूर थी। बातें करते करते वो अपनी माँ से चिपक जाती है और जब दोनों के उरोज आपस में टकराते हैं तो दोनों के जिस्म में एक लहर दौड़ जाती है।
रम्या अपने उरोज अपनी माँ के उरोजों से रगड़ने लगती है और माँ चाहते हुए भी उसे रोक नहीं पाती।
माँ की बाँहें भी रम्या के इर्द गिर्द कस जाती हैं और वो रम्या की पीठ सहलाने लगती है। रम्या अपनी माँ की गर्दन चूमे लगी और धीरे धीरे गालों को चूमने लगी।
दोनों के होठ कब आपस में मिले पता ही ना चला और माँ ने रम्या के होठ चूसने शुरू कर दिए। रम्या के जिस्म में आग भड़क उठी और वो अपनी माँ से अमरबेल की तरह चिपक गई।
माँ को जैसे कुछ होश आया और वो रम्या से अलग हो गई और सीधी हो कर लेट गई।
पर रम्या अब कहाँ रुकने वाली थी। रम्या अपनी माँ के उपपर आ गई और अपनी माँ के चेहरे को हाथों में पकड़ उसके होठों को अपने होठों में जकड़ लिया।
माँ ने हिलने की कोशिश करी पर रम्या ने हिलने नहीं दिया और माँ के होठ चूसती रही। धीरे धीरे माँ भी रंग में आने लगी और रम्या का साथ देने लगी।

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UPDATE 8

थोड़ी देर में रम्या को होश आया और वो अपनी माँ के उरोज पर टूट पड़ी, अब रम्या की बारी थी अपनी माँ को खुश करने की।
अब आगे ..........
रम्या अपनी माँ के निप्पल ऐसे चूस रही थी जैसे बहुत दिनों के भूके बच्चे को माँ का दूध नसीब हुआ हो। माँ की आँखों में में रम्या का बचपन घूमने लगा ऐसे ही जोर जोर से उसके निप्पल चूसा करती थी।
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माँ की सिसकी निकल जाती है और वो रम्या के सर को अपने उरोज पर दबा देती है। वो अपने देवरानी के साथ कई बार लेस्बियन कर चुकी थी पर आज बेटी का असर कुछ और ही पड़ रहा था, उसके जिस्म का पोरे पोरे मज़े की इन्तहा से खिल उठा था और उसकी उत्तेजना अपनी सारी सीमाएँ लाँघ रही थी।
रम्या अपनी माँ के दोनों उरोज एक के बाद एक चूसती रहती है और साथ साथ हल्के हल्के दाँत भी लगा देती थी।
जब भी रम्या के दाँत निप्पल पे गड़ते माँ की चूत में साथ साथ खलबली मचना शुरू हो जाती और उसकी जोरदार सिसकी निकल पड़ती उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ।
अपने माँ के उरोज अच्छी तरह लाल सूरख कर रम्या अपनी माँ के नाभि को चूमने लगी और अपनी जीभ बीच में डाल कर गोल गोल घुमाने लगी।
नाभि शायद माँ का सबसे वीक हिस्सा था, और उसे भी खुद आज ही पता चला क्योंकि पहले किसी ने भी उसके नाभि के साथ छेड़ खानी नहीं की थी। इधर रम्या की जीभनाभि में घूमती उधर माँ की चूत अपना रस छोड़ने लगती। माँ ने रम्या के सर को जोर से दबा दिया ताकि उसकी हरकतें रुक जाएँ, पर रम्या लगी रही और माँ उत्तेजना में अपनी टाँगें पटकने लगी।
रम्या धीरे चूमते चाटते हुए नीचे बढ़ती है और अपनी माँ की चूत पे अपनी जुबान फेरने लगती है।
जैसे ही रम्या की जुबान माँ की चूत को छूती है एक त्रंग दोनों के जिस्म में दौड़ जाती है। रम्या आज पहली बार किसी चूत पे अपनी जुबान चला रही थी वो भी अपने माँ की और माँ पहली बार अपनी बेटी की जुबान का असर अपनी चूत पे मेहसूस कर रही थी।
माँ रम्या को उपपर खींचती है और दोनों 69 में आ जाती हैं। अब माँ रम्या की चूत पे फिर से अपनी जुबान का कहर बरसाने लगती है और उधर रम्या अपनी माँ की चूत को पूरा मुँह में भर लेती है।
दोनों एक दूसरे के जिस्म को आपस में रगड़ते हुए एक दूसरे को अपनी टाँगों से बींच लेती है और जोर जोर से एक दूसरे की चूत चूसने लगती हैं।
रम्या की पूरी जुबान माँ की चूत में घुस जाती है जबकि रम्या की चूत टाइट थी तो माँ की जुबान थोड़ा ही अंदर घुस पाती है। दोनों एक दूसरे की चूत को चूसते हुए अपनी जुबान से चोदने लग गई। दोनों की सिसकियाँ अंदर ही अंदर दम तोड़ने लगी। रूम में एक जलजला आ गया, एक ऐसा तूफान जो थमने का ना ही नहीं ले रहा था।
साँसे लेना दुबहर होता जा रहा था पर जुबानों का चलना नहीं। ये मंज़र कोई आदमी देख लेता तो बस एक ही दुआ माँगता, एक और लंड, ताकि वो दोनों को एक साथ चोद सके।
दोनों एक दूसरे को जुबान से चोद रही थी, बीच बीच में अपने दाँत भी गड़ रही थी, एक अपने दाँत गड़ती तो बदला लेने के लिए दूसरी भी अपने दाँत गड़ देती।
दोनों की चूत रस बाह रही थी और दोनों ही उसे पीते हुए रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
अपनी माँ की चूत को चूसते हुए रम्या सोच रही थी कि जब एक औरत के साथ इतना मज़ा आता है तो एक मर्द के साथ कितना आएगा। उसकी आँखों के सामने उसके भाई का चेहरा घूमने लगा और उसकी पकड़ अपनी माँ की चूत पे और भी सख्त हो गई है।
आधे घंटे से दोनों एक दूसरे पे कहर ढा रही थी। और संवेदना सहती हुई दोनों चूत अपने चरम पे पहुँच गई और दो बांध एक साथ टूट पड़े। उफ माँ का ज्यादा बुरा हाल था इतना रस तो अपनी पूरी जिंदगी में नहीं बहाया था जितना आज बाह रही थी।
जिस्म से जान निकलती जा रही थी और वो सातवें आसमान पे कहीं उड़ने लगी। रम्या भी पीछे नहीं रही और अपनी माँ के साथ ताल में ताल मिलाती हुई आनंद की गहराइयों में सराबोर हो गई।
दोनों ने एक बूँद भी बरबाद नहीं होने दी। और दोनों का पेट इतना भर गया कि सुबह नाश्ता करने की नौबत नहीं आने वाली।
हाँफती हुई दोनों अलग हुई और अपनी साँसे संभालने लगी।

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UPDATE 9

पर रम्या अब कहाँ रुकने वाली थी। रम्या अपनी माँ के उपपर आ गई और अपनी माँ के चेहरे को हाथों में पकड़ उसके होठों को अपने होठों में जकड़ लिया। माँ ने हिलने की कोशिश करी पर रम्या ने हिलने नहीं दिया और माँ के होठ चूसती रही। धीरे धीरे माँ भी रंग में आने लगी और रम्या का साथ देने लगी।
अब आगे
..............
अपने जिस्म की बढ़ती हुई प्यास से मजबूर हो कर रम्या की माँ उसके साथ आगे बढ़ने लगी। रम्या यही तो चाहती थी, कि सारे बंधन खुल जाएँ।
रम्या के हाथ अपनी माँ के उरोजों तक पहुँच गए और वो उन्हें सहलाने लगी। प्रत्युत्तर में माँ ने भी रम्या के उरोजों पर धावा बोल दिया।
अब दोनों एक दूसरे के होठों को चूस रही थी और एक दूसरे के उरोजों का मर्दन कर रही थी।
जब साँस लेना भारी हो गया तो दोनों के होठ अलग हुए और आँखों से आँखें मिली। दोनों ही हाँफ रही थी, पर उरोजों पे हाथ अब भी चल रहे थे। दोनों की आँखों में नशे की लाली उतर चुकी थी। माँ समझ गई कि बेटी अब उस दौर पे आ चुकी है, जहाँ उसे जिस्म की प्यास लगने लगी है, अगर अभी से उसे नहीं संभाला तो आगे क्या होगा ये कोई नहीं जान सकता, क्योंकि वो बहुत ही खूबसूरत है।
दोनों ही आँखों ही आँखों में बातें कर रही थी। माँ ने तब उठ कर अपने कपड़े उतार डाले और नग्न हो गई। रम्या के भी कपड़े उतार उसे नग्न कर दिया और उसे पीठ के बल बिस्तर पे लिटा कर उसके चेहरे को चूमने लगी और चूमते हुए उसकी गर्दन को चूमने चाटने लगी।
धीरे धीरे वो नीचे बढ़ी और रम्या के निप्पल को चूसने लगी और दूसरे को अपने अंगूठे और उंगली के बीच ले कर मसलने लगी।
आह्ह्ह्ह्ह्ह मम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मा उउउउउउइइइइइइ
रम्या की सिसकियाँ निकलने लगी और जिस्म में उत्तेजना बढ़ने लगी। रम्या ने अपनी माँ के सर को अपने उरोज पे दबा दिया और माँ कभी एक निप्पल चूसती और कभी दूसरा। अच्छी तरह निप्पल चूसने के बाद माँ उसके जिस्म को चूमते चाटते हुए उसकी चूत तक आ पहुँची और अपनी जुबान उसकी चूत पे फेरने लगी।
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कक्क्क्क्यyyyyय्या क्क्क्क्क्क्कारrrrrराही होooooo उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ उम्म्म्म्म्म्म्म्म
जैसे ही माँ ने उसकी चूत पे अपनी जुबान फेर्नी शुरू की रम्या और भी जोर से सिसकने लगी और खुद ही अपने उरोज दबाने लगी।
माँ ने रम्या की चूत की फाँकों को अलग किया और अपनी जुबान बीच में घुसा दी, चूत की हालत देख कर माँ समझ गई थी कि बेटी ने उंगली करनी शुरू कर दी है।
जैसे ही रम्या की चूत में माँ की जीभ घुसी उसका बांध टूट गया और भरभरती हुई उसकी चूत ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया, माँ वो सारा रस पीती रही और अपनी जुबान से रम्या की चूत को चोदने लग गई।
रम्या की कमर खुद बा खुद उपपर उछकने लगी और वो अपनी चूत अपनी माँ के मुँह पे मारने लगी।
आधे घंटे तक माँ उसे अपनी जीभ से चोदती रही और इस दौरान रम्या तीन बार झड़ गई। अब रम्या के जिस्म में ताकत ही ना बची और वो निढाल पड़ गई। माँ भी हाँफती हुई उसके बगल में लेट गई।
थोड़ी देर में रम्या को होश आया और वो अपनी माँ के उरोज पर टूट पड़ी, अब रम्या की बारी थी अपनी माँ को खुश करने की।

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