जिस्म की प्यास
 
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जिस्म की प्यास

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अपडेट 66

ये रितु की जवानी का ही कमाल था जो रमण सेह न सका और अपना लावा उगल बैठा।
झड़ने के बाद भी रमण का लंड सख्त ही रहता है। रितु रमण के लंड पे फैले हुए उसके रस को अच्छी तरह चट टी है और अपनी जुबान उसके लंड पे फिराने लगती है नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे। रितु की जुबान का स्पर्श रमण के अंदर आग भर देता है और उसका लंड झटके मारने लगता है। रितु रमण के लंड को मुँह में भर लेती है और चूसने लगती है।
आह आह आह आह
रमण सिसकने लगता है।
रितु थोड़ी देर तक रमण का लंड चूसती है और फिर जब उसका जबड़ा दुखने लगता है तो वो रमण के लंड को मुँह से निकाल कर उसकी बगल में लेट जाती है। रितु के उरोज, गले और पेट पर रमण का वीर्य चमक रहा था।
रमण आज फुल मस्ती के मूड में था। वो बिस्तर से उठ कर अपनी अलमारी से रेड वाइन की बोतल निकालता है। रमण के हाथ में बोतल देख कर रितु मुस्कुरा उठती है और रमण को छेड़ती है।
‘अब भी क्या आपको इस की जरूरत है?’
‘मेरी जान तुम्हारे होंठों से इसे पीकर जो नशा चढ़ेगा, उसका मजा ही कुछ और होगा’
‘ओह हो, बड़े खतरनाक इरादे हैं जनाब के, लगता है आज मेरी खैर नहीं- चलो आज अपने प्रेमी की ये इच्छा भी पूरी कर देती हूँ’
रमण उसके पास आता है और से अपनी गोद में बिठा लेता है इस तरह कि रमण का लंड उसकी चूत को छूने लगता है और उसके उरोज रमण के चेहरे के पास होते हैं।
रमण बोतल खोलता है दो लंबे घूँट भरता है और फिर रितु को बोतल पकड़ाता है। रितु एक घूँट भरती है और रमण के होंठों से अपने होंठ लगा कर उसके मुँह में वाइन उड़ेल देती है जिससे रमण अपने मुँह में घुमा कर फिर रितु के मुँह में डाल देता है और रितु उसे पी जाती है।
साथ ही साथ रितु अपनी चूत रमण के लंड पे घिसती रहती है।
दोनों इसी तरह धीरे धीरे वाइन एक दूसरे को पिलाते हैं, एक दूसरे के होंठ चूसते हैं।
एक तरफ वाइन का नशा और दूसरी तरफ जिस्मों का नशा, दोनों की आँखें लाल हो जाती हैं और जैसे ही बोतल खत्म होती है रमण उसे बिस्तर पे लिटा देता है और फिर से उसकी चूत को चूसना शुरू कर देता है।
रितु सिसकती है, और उसके अंदर की ज्वाला उसे जलाने लगती है, वो रमण को अपने ऊपर खींचती है।
रमण उसकी मंशा समझ जाता है और अपने लंड को उसकी चूत पे लगा कर घिसने लगता है। रमण का लंड रवि के मुकाबले में थोड़ा कम लंबा था और मोटा भी ज्यादा नहीं था। पर रितु अभी ज्यादा नहीं चुदी थी, इसलिए उसकी चूत अभी भी बहुत टाइट थी।
रमण अपने लंड को उसकी चूत में फंसा कर उसके ऊपर आता है और उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ कर एक धक्का मारता है।
रितु की चूत काफी गीली हो चुकी थी इस लिए रमण का लंड सरकता हुआ आधा अंदर घुस जाता है। रितु दर्द से बिलबिलाती है पर उसकी चीख रमण के मुँह में ही दब के रह जाती है।
रमण दूसरा झटका मार अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा देता है और रितु दर्द सेहती हुई रमण की पीठ पे मुक्कों की बरसात कर देती है।
रमण अब रुकता नहीं है और सटासट उसे चोदने लगता है। रितु दर्द से तड़पती रहती है करीब 5 मिनट बाद उसे राहत मिलनी शुरू होती है और मजा आने लगता है। रितु की गांड अपने आप ऊपर उठने लगती है और वो रमण के धक्कों का साथ देने लगती है।
रमण उसके निप्पल को मुँह में भर के चूसने लगता है और साथ साथ उसे चोदता रहता है। रितु के मुँह आजाद होता है और उसकी दबी हुई सिसकियाँ आजाद हो जाती हैं।
उफ फ उम उम ओह है आह आह आह
येस येस फास्टर फास्टर, जोर से और जोर से
चोदो चोदो और जोर से हम्म फक मी फक मी हार्डर
रितु की सिसकियाँ रमण को भड़काती रहती हैं और बुलेट ट्रेन की गति से दोनों के जिस्म टकराने लगते हैं।
दोनों के बदन पसीने से भर जाते हैं। रमण की गति उसे चोदने की और भी तेज हो जाती है।
दोनों अपनी चुदाई में इतना मस्त हो जाते हैं कि उन्हें समय का ज्ञान ही नहीं रहता और रवि कब घर में घुसा उन्हें पता ही नहीं चलता।
कमरे के बाहर खड़ा रवि दोनों को देख रहा था किस तरह पागलों की तरह दोनों चुदाई में मस्त थे।
जिस्मों के टकराने से थप थप की आवाज उठ रही थी और रितु की चूत फच फच फच का अपना ही राग निकाल रही थी।
रवि दोनों को देखता रहता है और उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। रितु की मस्ती भरी सिसकियाँ उसे जहर से भुजे तीर की तरह कानों में चुभती हुई महसूस हो रही थी।
रितु को चोदने के बाद उसके दिल में रितु की जगह कुछ और ही बन गई थी। पत्थर की तरह खड़ा खड़ा वो बस देखता ही रह जाता है।
दोनों अपने में मस्त चुदाई का आनंद ले रहे थे।
और दोनों ही झड़ने के करीब आ चुके थे, पहले रितु चीख मार के झड़ती है और अपने नाखून रमण की पीठ में धंसा कर उसके साथ चिपक जाती है। रमण भी ज्यादा देर का मेहमान नहीं था। 8-10 धक्कों के बाद वो भी अपना लावा रितु की चूत में छोड़ने लगता है जो रितु की चूत को मरहम की तरह सेंकने लगता है।
रमण रितु के ऊपर ही गिर पड़ता है और दोनों अपनी तेज चलती हुई साँसों को संभालने लगते हैं।
रवि भुजे मन से अपने कमरे में चला जाता है और जोर से दरवाजा बंद करता है।
‘भड़क’
ये आवाज रमण और रितु को होश में ले आती है। रितु की नजर जब दीवार पे लगी घड़ी पे पड़ती है तो शाम के 7 बज रहे थे, वो फटाफट बिस्तर से उठती है और बाथरूम में घुस जाती है और रमण भी फटाफट अपने कपड़े पहन लेता है। पर अभी उसकी हिम्मत नहीं होती कि वो कमरे से बाहर निकले।
रितु खुद को ठीक कर बाथरूम से बाहर आती है।
‘रात का खाना आप बाहर से मँगवा लेना, रवि आ चुका है, मैं उसके पास जा रही हूँ, आप मत आना मैं सब संभाल लूँगी’
रमण बिस्तर पे बैठा रह जाता है और रितु रवि के कमरे की तरफ बढ़ जाती है।

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