अपडेट 61
रितु अपनी नाइटी उतार फेंकती है और नग्न ही रवि के कमरे की तरफ बढ़ जाती है। रवि का कमरा खुला था, वो अंदर जा कर, दरवाजा अंदर से बंद कर लेती है।
रवि अभी भी जाग रहा था। रितु को देख उसके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है। बिस्तर से उठ कर वो अपने कपड़े उतार देता है और रितु की तरफ अपने कदम बढ़ाता है जो अभी भी बंद दरवाजे के साथ खड़ी उसे देख रही थी।
रवि जैसे ही उसके पास पहुँच कर उसे बाहों में लेने की कोशिश करता है। रितु उसे रोक देती है। जी भर के रवि के नंगे रूप को देखती है और जब उसकी नजरें रवि के खड़े लंड पे पड़ती हैं तो शरमा कर नजरें झुका लेती है। रवि से और रुका नहीं जाता वो रितु को उठा कर बिस्तर पे लिटा देता है और उसके गुलाबी होंठों पे टूट पड़ता है, उसके होंठों का अहसास अपने होंठों पे पाते ही रितु भी तड़प कर उसका साथ देने लगती है।
दोनों भाई बहन एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं। दोनों की जुबान आपस में लड़ने लगती है और रवि उसके उरोज दबाने लगता है।
आह्ह्ह्ह भाई धीरे दर्द होता है
रवि आराम आराम से उसके उरोज सहलाने लगता है।
उफ्फ्फ्फ्फ उम्म्म्म्म हाआआईईईईईई
रितु की सिसकियाँ निकलने लगती हैं। रवि उसके एक निप्पल को चूसने लगता है
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उउउउउउईईईईईईईई म्म्म्म्म्माााा
रितु की चूत बहुत गीली हो जाती है और वो रवि के सर को नीचे की तरफ दबाने लगती है। रवि उसका इशारा समझ जाता है और उसके निप्पल को छोड़ कर सीधा उसकी चूत पे आ कर पूरा उसे मुँह में भर के चूसने लगता है।
आआआआआईईईईईईईई और चूस जोर से चूस आह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है
उसकी चूत को चूसते चूसते रवि अपनी एक उंगल उसकी चूत में डाल देता है। पहली बार उसकी चूत में कुछ घुसा था। रितु दर्द से तड़प उठती है।
आह्ह्ह्ह्ह्ह निकाल दर्द हो रहा है
रवि निकालता नहीं पर तेजी से उसकी चूत में अपनी उंगल अंदर बाहर करने लगता है। थोड़ी देर बाद रितु को मजा आने लगता है और वो अपनी गांड उछालने लगती है।
रवि थोड़ी देर में अपनी पोजीशन बदलता है अब वो 69 के पोज में आता है। उसका लंड रितु के मुँह पे लहराने लगा। रितु उसके लंड को सहलाने लगी और फिर जब रवि ने अपनी कमर का जोर लगाया तो रितु ने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और अपनी जुबान फेर फेर कर उसे चाटने लगी।
आह्ह्ह्ह बेबी सक इट …
रितु को थोड़ी परेशानी हो रही थी, रवि फिर पोजीशन बदलता है, खुद नीचे आ जाता है और रितु को अपने ऊपर कर लेता है। अब रितु आसानी से उसका लंड चूस पा रही थी।
रवि का लंड चूसते चूसते रितु को अपने पापा रमण का खड़ा लंड दिखाई देता है, एक दिन वो भी उसके मुँह के अंदर होगा। सोच कर वो और भी उत्तेजित हो जाती है और जोर जोर से रवि के लंड को चूसने लगती है।
रवि को लगने लगा कि वो झड़ने वाला है, पर वो अभी रितु के मुँह में नहीं झड़ना चाहता था वो अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाल लेता है और उसे अपने नीचे कर उसकी चूत पे अपना लंड घिसने लगता है।
रितु तड़प उठती है।
‘आह्ह्ह भाई और मत तड़पा अब डाल दे अंदर। चोद डाल अपनी बहन को।’
‘हाँ मेरी रानी अभी ले, थोड़ा दर्द होगा पहली बार, चिल्लाना मत।’
‘सह लूँगी तू डाल अंदर, अब नहीं रहा जा रहा’
और रवि अपना लंड उसकी चूत पे सेट कर के एक धक्का मारता है।
आआआआआआईईईईईईईईईईई
रितु की चीख निकल जाती है, आँखों से आँसू बहने लगते हैं।
रवि उसके होंठ चूसने लगता है और निप्पल उमेठने लगता है।
रितु की टाइट चूत में मुश्किल से उसके लंड का सुपाड़ा ही घुसा था अभी तक।
रवि बिल्कुल नहीं हिलता और उसके होंठ चूस कर उसके दर्द को कम करने की कोशिश करता है।
जब रितु थोड़ी शांत होती है तो रवि फिर एक झटका मार कर अपना आधा लंड उसकी चूत में घुसा देता है। दर्द के मारे रितु बिलबिला उठती है। उसकी चीख रवि के मुँह में ही घुल के रह जाती है और रवि फिर रुक जाता है। थोड़ी देर बाद जब रितु की कमर में हरकत होती है तो रवि अपने आधे घुसे लंड को ही अंदर बाहर करने लगता है। रितु की टाइट चूत में उसका लंड मुश्किल से ही हिल पा रहा था। रितु को दर्द के साथ थोड़ा मजा आने लगता है और उसकी चूत अपना रस छोड़ने लगती है।
रवि अब अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ा देता है।
आह आह म उम हाँ चोद मुझे आह उफ मजा आ रहा है आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
रितु जोर जोर से सिसकने लगती है। रवि तब उसके होंठों पे अपने होंठ रख के एक जोर का झटका मार अपना पूरा लंड अंदर घुसा देता है।
म्म्म्म्म्माााा
रितु फिर चीख पड़ती है पर रवि के होंठ उसकी चीख को कुचल देते हैं। रितु के आँसू फिर बहने लगते हैं। रवि अब उसके आँसू चाटने लगता है।
‘हो गया मेरी रानी, अब पूरा अंदर ले लिया है तूने। अब तुझे दर्द नहीं होगा फिर। बस थोड़ा और बर्दाश्त करले, फिर मजा ही मजा है।’
रवि अब उसके निप्पल चूसने लगता है।
थोड़ी देर बाद जब रितु अपनी गांड ऊपर उठाने लगती है, तो रवि उसकी टाँगें उठा कर अपने कंधों पे रख लेता है और धीरे धीरे अपनी गति बढ़ाने लगता है।
रितु को ज्यादा मजा आने लगता है।
आह आह हाँ जोर से और जोर से फ्फ्फ्फ्फ उम्म्म्म येस येस फास्टर फास्टर भाई और तेज हाँ अंदर तक उफ्फ्फ्फ्फ उम्म्म्म उउईईईईईईई
रवि सटासट अपना लंड जोर से पेलने लगता है उसकी चूत में।
रितु दो बार झड़ जाती है, पर रवि रुकने का नाम नहीं लेता, वो एक मशीन की तरह रितु को चोदने लगता है।
रितु बार बार सातवें आसमान पे पहुँचती है और फिर नीचे आती है।
रवि भी अपने चरम पर पहुँचने लगता है, उसका लंड फूलने लगता है, जो रितु को अपनी चूत में महसूस होता है। वो समझ जाती है कि रवि झड़ने वाला है। पहले तो उसका दिल किया कि बाहर निकालने को बोले, पर उसे इतना मजा आ रहा था कि वो बहती चली जाती है और जैसे ही रवि के वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छूटने लगती हैं, उसकी गर्माहट से रितु फिर झड़ जाती है और कस के रवि से चिपक जाती है।
उसकी चूत रवि के लंड को जकड़ लेती है और एक एक बूँद अपने अंदर समाती रहती है।
रवि उसके ऊपर गिर पड़ता है और हाँफता रहता है। थोड़ी देर बाद जब रवि का लंड ढीला हो कर उसकी चूत से बाहर निकल पड़ता है तो रवि स्की बगल में लेट कर अपनी साँसे संभालने लगता है।
अपडेट 62
रितु बाथरूम जाने के लिए उठती है तो कमर में तेज दर्द होता है और वो तड़प कर गिर पड़ती है। साथ में लेटा रवि स्के ये हालत देखता है तो खुद उठा कर उसे बाथरूम में ले जाता है। गीजर चला कर पानी गर्म करता है। फिर उसकी सफाई कर के उसे थोड़ी देर गर्म पानी में लेटने के लिए कह कर बाहर आ जाता है।
आ कर देखता है कि बिस्तर पे खून के धब्बे पड़े हैं। वो फटाफट चादर बदलता है और उस चादर को अपने वार्डरोब में रख देता है।
फिर वो हॉल में जा कर दो पेन किलर लाता है और बाथरूम में घुस कर रितु को खिलाता है। रवि उसका ऐसे ध्यान रख रहा था जैसे अपनी बीवी का रख रहा हो। रितु की नजरें शर्म से झुकी रहती हैं।
थोड़ी देर गर्म पानी में सिकाई करने के बाद रितु को चैन मिलता है दर्द से। उसके दिल में रवि के लिए और भी प्यार बढ़ जाता है जो अहसास सिर्फ जिस्म की प्यास बुझाने से शुरू हुआ था वहाँ प्यार की कोपलें उगने लगती थी। अब उसे रमण का अपने करीब आना अच्छा नहीं लग रहा था। लेकिन रमण की आँखों में जो चाहत और प्यास उसने देखी थी, वो से बहुत परेशान कर रही थी। उसने सोच लिया था कि वो रवि से इस बारे में खुल के बात करेगी।
रितु बाथटब से बाहर निकल खुद को सुखाती है और हलके कदमों से बाहर निकल बिस्तर पे बैठे रवि को उसके होंठ पे छोटा सा किस करती है और गुड नाइट बोल कर अपने रूम में चली जाती है।
रवि तकिए को अपने सीने से लगा कर लेट जाता है। उस तकिए में रितु की सुगंध समा गई थी। आज पता नहीं कितने साल बाद वो चैन से सोया था क्योंकि आज उसे रितु मिल गई थी पूरी तरह से।
धीरे धीरे रितु के बारे में सोचते हुए वो भी नींद के आगोश में चला जाता है।
ये रात वही रात है जहाँ एक तरफ रितु रवि से चुद गई और दूसरी तरफ चलती हुई इनोवा में विमल सुनिता की गोद में सर रख के लेटा हुआ था।
सोये सोये विमल अपना चेहरा घुमा लेता है और अब स्की नाक बिल्कुल सुनिता की चूत के करीब थी। उसकी चूत से आती हुई खुशबू से विमल की नींद उड़ जाती है। विमल अपनी नाक सुनिता की चूत के ऊपरवाले हिस्से पे रगड़ने लगता है। ऐसा लग रहा था जैसे हिलती हुई कार की वजह से विमल हिल रहा हो। अपनी चूत के पास कुछ रगड़ता हुआ महसूस कर सुनिता की आँख भी खुल जाती है उसे विमल की नाक रगड़ने से मजा आने लगता है और स्की टाँगे अपने आप थोड़ी खुल जाती हैं। उसने पजामा सूट पहना हुआ था और उसकी पजामा बिल्कुल जिस्म के साथ चिपकी हुई थी। जैसे सुनिता अपनी टाँगे खोलती है विमल का चेहरा थोड़ा अंदर हो जाता है और विमल की नाक एक दम उसकी चूत पे आ जाती है। विमल गहरी गहरी साँस लेता हुआ उसकी चूत की सुगंध को अपने अंदर समा रहा था। सुनिता के हाथ उसके सर को अपनी चूत पे दबा लेते हैं।
बेध्यानी में सुनिता क्या करती जा रही थी, उसे पता ही नहीं था। अपने बेटे के सर को अपनी चूत पे दबा कर जैसे उसे बहुत शांति मिल रही थी। सुनिता के जिस्म में इस अहसास से उत्तेजना बढ़ जाती है। उसकी टाँगें और खुल जाती हैं और विमल के होंठ पजामी समेत उसकी चूत को अपने अंदर समेटने की कोशिश करने लगते हैं।
जैसे ही विमल के होंठ सुनिता की चूत को निगलने की कोशिश करते हैं, सुनिता से ये सुखद अनुभूति बर्दाश्त नहीं होती और अपने मुँह से निकलने वाली जोरदार सिसकी को दबा कर वो झड़ने लगती है। उसकी चूत से फव्वारा सा छूटने लगता है जो पजामी से रिस्ता हुआ विमल के मुँह में समाने लगता है। विमल वो सारा रस पी जाता है, पर अपना चेहरा वहाँ से नहीं हटाता।
सुनिता का शर्म के मारे बुरा हाल हो जाता है, आज उसका बेटा उसकी चूत का रस पी गया था। अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब उसका लंड उसकी चूत में समा जाएगा। ये खयाल आते ही सुनिता के जिस्म में फिर से एक नई उत्तेजना जन्म लेने लगती है और फिर से उसका हाथ विमल के चेहरे को अपनी चूत पे दबाने लगता है। थोड़ी देर में सुनिता फिर झड़ जाती है और फिर एक बार विमल को सुनिता की चूत का रस पीने को मिल जाता है। दोनों जानते थे कि दोनों जाग रहे हैं, पर दोनों ही इस बात से अनजान बने रहते हैं।
और थोड़ी देर बाद रात का वो सफर भी खत्म होता है। रमेश ने इनोवा होटल के पोर्च में लगा दी थी।
अपडेट 63
रमेश फटाफट चेकइन करवाता है। तीन कमरे एक लाइन में थे और कमरे की खिड़की नैनी लेक की तरफ थी, जिसका नजारा बहुत ही बढ़िया था।
रमेश और काम्या तो सीधा बिस्तर में घुस जाते हैं नींद पूरी करने के लिए। सोनी भी बिस्तर में घुस जाती है। पर सुनिता की आँखों से नींद उड़ चुकी थी। वो फ्रेश होती है और अपना जॉगिंग सूट निकाल कर पहन लेती है। जॉगिंग सूट में भी उसकी जवानी खिल रही थी। सुनिता रोज सुबह सुबह जॉगिंग करती है अपने जिस्म को फिट रखने के लिए।
होटल के पीछे एक घुमावदार पगडंडी जा रही थी, सुनिता उसी पगडंडी पे चली जाती है। पहाड़ों में सुबह सुबह की हवा बड़ी ताजी होती है। सुनिता उस सोंधी हवा का लुत्फ उठाते हुए चलती रहती है। जब सुनिता बाहर निकली थी तो विमल ने से जाते हुए देख लिया था, इस तरह वो अकेले निकल जाएगी कहीं, ये सोच कर विमल थोड़ा परेशान हुआ पर जब ध्यान से देखा कि स्ने जॉगिंग सूट पहन रखा है तो विमल ने भी फटाफट अपना शॉर्ट और टी-शर्ट पहनी और उसी दिशा में सुनिता के पीछे चल दिया।
15 मिनट के अंदर सुनिता काफी आगे निकल आई थी और वहाँ पेड़ों के जुरमुठ में उसे कुछ आवाजें सुनाई दी। सुनिता को थोड़ा डर लगा और वो पलट पड़ी।
वहाँ दो इस्राइली लड़के नशा कर रहे थे, जब उनमें से एक की नजर सुनिता पे पड़ी जो सुनसान रास्ते पे अकेले जॉगिंग कर रही थी तो वो अपने साथी को ले कर सुनिता के पीछे पड़ गए। अपने पीछे तेज कदमों की चाप सुन सुनिता ने भागना शुरू कर दिया, पर ढलान में नीचे की तरफ भागना इतना आसान नहीं था।
भागते हुए सुनिता का पाँव फिसलता है और वो सड़क पे गिर कर नीचे की तरफ लुढ़क पड़ती है। उधर से विमल भी उसी सड़क पे ऊपर की तरफ आ रहा था। उसकी नजर अपनी तरफ लुढ़कती हुई सुनिता की तरफ पड़ती है और पीछे दो फिरंगी लड़के भागते हुए दीखते हैं तो विमल सुनिता की तरफ भागने लगता है और इससे पहले वो सुनिता को थाम पाता सुनिता उस से टकरा जाती है और विमल का बैलेंस भी खराब हो जाता है और वो भी गिर पड़ता है। अब हालत ये थी कि दोनों एक दूसरे से सटे हुए लुढ़कते हैं और इस गिराव को रोकने के लिए विमल साइड में से बाहर निकली हुई चट्टान पे अपना पाँव फंसाता है। एक झटका सा लगता है, विमल का पाँव मुड़ता है उनके गिराव में रुकावट आती है पर सुनिता के जिस्म का जोर पड़ने की वजह से विमल के पाँव पे जोर पड़ जाता है और शायद उसके पाँव में मोच आ जाती। सड़क पे घिसटने की वजह से दोनों को काफी खरोंचे आ जाती हैं।
विमल को सुनिता के साथ देख वो दोनों फिरंगी पलट पड़ते हैं। अब विमल और सुनिता दोनों ही हाँफ रहे थे। जब साँस संभलती है तो सुनिता उठ के खड़ी होती है, अपने कपड़े झाड़ती है और हाथ बढ़ा कर विमल को सहारा देती है उठने के लिए। विमल उठ के जैसे ही अपने पाँव पे जोर डालता है उसकी चीख निकल जाती है दर्द के मारे। सुनिता फटाफट नीचे बैठ के देखती है, विमल का पाँव काफी सूज चुका था।
सुनिता विमल को सहारा दे कर किसी तरह होटल पहुँचती है और फटाफट डॉक्टर ऑन ड्यूटी को बुलवाती है। जब तक डॉक्टर आता होटल का स्टाफ विमल को सहारा देकर उसे उसके रूम में बिस्तर पे लिटा देते हैं।
जब तक डॉ. आता, सुनिता, विमल की सारी खरोंचे डेटॉल से साफ करती है और उनपे एंटीसेप्टिक लगाती है।
दर्द के बावजूद विमल को ठिठोली सूझती है
‘मासी डार्लिंग, यूँ ना अकेले फिरा करो, सबकी नजर से बचके करो, फूल से ज्यादा नाजुक हो तुम चाल संभल के चला करो…’
‘चुप, बहुत मुँह खुल गया है तेरा’
‘अरे मासी डार्लिंग नाराज क्यों होती हो, मैं तो बस यूँ ही तुम्हारा दिल बहलाने की कोशिश कर रहा था। अब जॉगिंग जाना हो तो इस बंदे को साथ ले लेना’
‘हाँ हाँ पहले ठीक तो हो ले, मेरी वजह से देख कितनी चोट आ गई तुझे’
‘मर्द लोग इतनी छोटी चोटों से नहीं डरते। कल तक ठीक हो जाऊँगा’
‘ओह हो तो साहिब अब मर्द बन गए हैं’
‘कोई शक!!’
इस से पहले आगे कोई बात होती डॉ. आ जाता है। विमल का पाँव अच्छी तरह चेक करता है, कुछ दवाइयाँ देता है और पाँव पर कम से कम 3 दिन तक जोर डालने के लिए मना करता है, साथ ही बर्फ की सिकाई बताता है।
डॉ. चला जाता है, सुनिता विमल को दवाई खिलाती है और फिर मिनीफ्रिज से बर्फ निकाल कर उसके पाँव की सिकाई करने लगती है। विमल की नजरें सुनिता पे टिक जाती हैं। सुनिता जब स्की तरफ देखती है तो अंदर ही अंदर सिहर जाती है। विमल की आँखों में उसे अपने लिए चाहत दिखाई दे रही थी। सुनिता अपनी नजरें तुरंत मोड़ती है और फिर 10 मिनट तक उसकी पाँव की सिकाई करती है।
सिकाई के बाद वो विमल से ये कह कर कि थोड़ी देर में आती है, अपने कमरे में चली जाती है और अपने जिस्म में लगी खरोंचों पे ध्यान देती है। डेटॉल से साफ कर हर जगह एंटीसेप्टिक लगाती है और अपने कपड़े बदल कर फिर विमल के कमरे में जाती है।
सुनिता ने स्ट्रेचेबल नीले रंग की जीन्स और हल्के पीले रंग का टॉप पहना था।
उफ कोई भी देख कर ये नहीं कह सकता था कि वो तीन बच्चों की माँ बन चुकी है। 20-22 साल की लड़कियों को सही टक्कर दे रही थी।
सुनिता जैसे ही विमल के कमरे में घुसती है, विमल का लंड बगावत कर देता है और शॉर्ट में उसे छुपाना आसान नहीं था। विमल झट से एक चादर अपने ऊपर डालता है।
‘अरे तू सोया नहीं। सो जा थोड़ी देर आराम मिलेगा’
‘नींद नहीं आ रही मासी’
‘चल मैं तुझे सुलाती हूँ’
और सुनिता उसके करीब बैठ कर उसके बालों को सहलाने लगती है। मजबूरन विमल अपनी आँखें बंद करता है और बंद आँखों के अंदर ही उसे सुनिता दिखाई देने लगती है। उसका लंड शॉर्ट में तूफान मचा देता है और उसका तंबू अब चादर भी छुपा नहीं पा रही थी।
सुनिता की नजर उस तंबू पे पड़ती है तो वही अटक जाती है। उठान इतना था कि विमल के लंड की लंबाई का अंदाजा लिया जा सकता था। इतना लंबा सोच कर सुनिता का कलेजा मुँह को आ जाता है। उसके पति रमण का तो कुछ भी नहीं था इसके सामने। फिर इस लंबाई का राज उसकी समझ में आ जाता है। रमेश का लंड भी काफी लंबा था तो उसके बेटे का तो होगा ही।
वो अपनी नजरें हटाने की कोशिश करती है, पर नजरें स्का साथ नहीं देती। विमल भी अपने खड़े लंड की वजह से कुछ परेशानी में आता है और करवट लेता है ताकि सुनिता के सामने उसका तंबू ना रहे। पर सुनिता के मन में तो खलबली मच ही चुकी थी।
चलें जरा देखें वहाँ रितु क्या कर रही है
इधर रितु सुबह उठ कर सबका नाश्ता बनाती है। रमण और रवि दोनों ही टेबल पे आ के बैठ जाते हैं।
रवि की नजरों में रितु के लिए अथाह प्यार का सागर था। और जैसे ही रितु की नजर रमण पे पड़ती है तो उसकी आँखों में उसे ग्लानि के साथ साथ की प्यास नजर आती है, रमण बार बार अपनी नजरें रितु के वक्षस्थल पर गड़ाता फिर हटाता जैसे उसके दिमाग में कोई जंग चल रही हो। धीरे धीरे वो ग्लानि का भाव उसकी आँखों से खत्म हो जाता है और वहाँ सिर्फ एक अनभुज प्यास दिखाई देती है, एक इल्तिजा दिखाई देती है।
रितु को रमण पे शायद तरस आ जाता है। जैसे ही रमण उठ कर ऑफिस के लिए निकलने लगता है।
रितु: पापा आज दोपहर में जल्दी आ जाना।
रमण जैसे ही ये सुनता है उसके भुझे चेहरे पे मुस्कान आ जाती है और वो निकल पड़ता है।
रमण के जाने के बाद।
रितु रवि से: भाई आज तो शाम को देर से आना।
रवि: क्यों क्या हुआ?
रितु: रात को बताऊँगी, अभी कुछ मत पूछ, और प्लीज वो पिल्स!!!
रवि: हाँ लेता आऊँगा, तू कॉलेज नहीं जा रही?
रितु: नहीं आज नहीं। कुछ काम है।
रवि उठता है और रितु को अपनी बाहों में भर कर उसके होंठ चूमने लगता है।
थोड़ी देर बाद रवि चला जाता है और रितु बाथरूम में घुस जाती है।
अपडेट 64
रितु बाथरूम में घुस कर अपने कपड़े उतारती है और खुद को लंबे कद के शीशे में निहारती है। रात की चुदाई के बाद उसकी चूत के लब खुल चुके थे, अपनी चूत को देख कर शरमा जाती है और फिर बाथटब तैयार कर उसमें घुस जाती है।
गर्म गर्म पानी उसकी देह को काफी सकून पहुँचा रहा था।
नहाने के बाद रितु अपने कमरे में आ कर अपना वार्डरोब खोलती है, कुछ देर अपने कपड़े देखती है, फिर कुछ सोच कर रमण के कमरे में चली जाती है और सुनिता का वार्डरोब खोलती है। काफी कपड़े तो सुनिता ले जा चुकी थी, पर कुछ फिर भी रह गए थे, उन कपड़ों में सुनिता की कुछ लिंगरी थी, जिनमें से उसने एक पहनी थी पहले। रितु सारी लिंगरी देखती है और उनमें से एक चुन लेती है।
गुलाबी रंग की लिंगरी, जिसका गला बहुत डीप था उसमें से उसके आधे उरोज दिख रहे थे। और लिंगरी की लंबाई सिर्फ उसकी गांड तक आ रही थी।
रितु गुलाबी रंग की पैंटी पहनती है और बिना ब्रा के लिंगरी पहन लेती है।
फिर किचन में जा कर लंच की तैयारी करती है और सारा इंतजाम करने के बाद अपने बिस्तर पे आ के लेट जाती है और अपने मोबाइल से सोनी को फोन करती है।
रितु: हाय सोनी, क्या कर रही है यार।
सोनी: कुछ नहीं यार बस अभी सो कर उठी हूँ, तू सुना कैसी रही कल।
रितु: काल तो मेरा काम हो गया, उफ क्या चुदाई करता है रवि।
सोनी: सच! जॉइन द गैंग बेबी।
रितु: तो क्या तू भी?
सोनी: हाँ मेरी जान, विमल का बस चले तो सारा दिन अपने नीचे रखे मुझे, लेकिन आजकल तो तेरी मॉम के पीछे पड़ गया है।
रितु: क्या मेरी मॉम के पीछे?
सोनी: तेरी मॉम के पीछे तो दोनों ही पड़े हैं मेरा बाप भी और भाई भी, यार है ही इतनी सेक्सी, कभी कभी तो मुझे डर लगता है कि तेरी मॉम के चक्कर में विमल मुझे छोड़ देगा।
रितु: नहीं यार लड़कों को बस चूत चाहिए होती है, कोई भी मिल जाए, देख लेना तेरी मारनी कभी नहीं छोड़ेगा।
सोनी: और सुना क्या चल रहा है।
रितु: यार डैड भी मेरे पीछे पड़ गए हैं। बड़ी मुश्किल से उन्हें रोका हुआ है।
सोनी: तेरे तो मजे हो गए, दूसरा लंड मिल रहा है।
रितु: यार पर डैड के साथ?
सोनी: तो क्या फर्क पड़ता है, मौसा जी के भी मजे हो जाएँगे और तुझे भी नया स्वाद मिल जाएगा।
रितु: नहीं यार डैड के साथ ठीक नहीं लगता, कल मॉम को पता चल गया तो?
सोनी: कुछ नहीं होता। मेरी मॉम को यहाँ अपने भाई से चुदवाऊँगी, तू वहाँ अपने डैड से चुद ले। मैं तो सोच रही हूँ, घर में माहौल ही ऐसा हो जाए, जिसका जिसके साथ दिल करे उसे चोद ले। कोई पर्दा नहीं। देख सब कितना खुश रहने लगेंगे।
रितु: हम्म बात तो सही है तेरी, पर मैं रवि से प्यार करने लगी हूँ।
सोनी: मैं भी तो विमल से प्यार करती हूँ। अगर वो मुझे बता कर किसी और को चोदेगा तो मुझे दुख नहीं होगा। उल्टा मैं उसकी मदद करूँगी, कहीं बाहर तो जा नहीं रहा, बस माँ और मासी के पीछे पड़ा है। सब अपने ही तो हैं क्या फर्क पड़ता है। उसे मौका दिलाने के लिए मैं सोच रही हूँ, डैड का लंड लेलूँ, तो डैड मेरे साथ बिजी हो जाएँगे और विमल को सही मौका मिल जाएगा।
रितु: सच में तू अपने डैड के साथ भी करेगी?
सोनी: हाँ, कौन सा मेरी चूत घिस जाएगी, और मजा दोनों को आएगा। भाई का काम भी बन जाएगा।
रितु: आज मैंने डैड को जल्दी आने के लिए बोला है, वो तो मौका ढूंढ रहे हैं मेरी लेने के लिए।
सोनी: लग जा मेरी जान और रात को फोन करके बताना क्या हुआ।
रितु: चल बाय, रात को कॉल करती हूँ।
सोनी: बाय, हैव अ नाइस फक।
फोन के बाद रितु सोचने लगती है कि वो रमण यानी अपने पिता के साथ कितना आगे बढ़े। अपने लिए उसकी आँखों में जो प्यास उसने देखी थी उसे देख कर वो अंदर ही अंदर बहुत खुश थी, और इस प्यास को बुझाने के लिए अगर वो रमण से कुछ भी माँगेगी तो वो ना नहीं कर पाएगा।
फिर वो सोनी की बातें सोचने लगती है, घर में माहौल ऐसा होना चाहिए, जिस्से चाहे चोद लो, कोई पर्दा नहीं, कोई शर्म नहीं, बिल्कुल एक दम खुल्ला वातावरण।
यानी एक ही बिस्तर पे वो रमण के साथ और रवि सुनिता के साथ फिर थोड़ी देर बाद जोड़ा बदल जाता है वह कितना मजा आएगा, एक ही दिन में दो लंड का मजा मिलेगा और चारों एक साथ भी तो कर सकते हैं, दोनों आदमी एक ही औरत को चोदें, एक चूत में डाले और दूसरा गांड में और मुँह में एक चूत।
उफ कितना मजा आएगा, सोच सोच कर रितु की चूत गीली होने लगती है।
अपडेट 65
उधर रमण का मन ऑफिस में बिल्कल नहीं लग रहा था, बार बार उसके सामने रितु का वो रूप आ रहा था जब घर जा कर उसने से अपनी चूत में उंगली करते हुए देखा था। चाहे उसे नशा चढ़ गया था पर फिर भी उसके होंठों के अहसास को वो महसूस कर रहा था अपने होंठों पे। वो बार बार अपने होंठों पे जुबान फेर रहा था और आँखें बंद कर रितु के होंठ अपने होंठ पे महसूस कर रहा था। उफ ये दोपहर कब होगी। कब जाएगा वो अपनी रितु के पास, उसकी चूत का रस पिएगा, उसके जिस्म के एक एक हिस्से पे अपनी मोहर लगाएगा।
उसका लंड पैंट में तूफान मचाने लगता है।
हे भगवान ये मैं क्या सोचने लग गया, वो मेरी बेटी है, कैसे मैं उसे वासना की निगाह से देख सकता हूँ। उफ कितना बड़ा पाप कर रहा था मैं। घिन आती है मुझे अपने आप से। पता नहीं क्या सोच रही होगी वो मेरे बारे में।
कुछ गलत नहीं कर रहा तू रमण, देखा नहीं था कैसे अपनी चूत में उंगली कर रही थी। अब उसे लंड चाहिए, कैसे वो रवि का नाम ले रही थी। तो क्या वो रवि से चुदना चाहती है। अगर रवि उसे चोद सकता है तो मैं क्यों नहीं। घर की बात घर में रहेगी। कह भी तो रही थी कि साबित करूँ मैं उसे प्यार करता हूँ। हाँ मैं साबित करूँगा कि मैं उसे प्यार करता हूँ। दुनिया में एक ही रिश्ता होता है लंड और चूत का, बाकी सब दिखावा है। हाँ बाकी सब दिखावा है।
रमण के अंदर एक जंग चल रही थी, और इस जंग में लंड जीत जाता है, अब उस से सब्र नहीं होता, वो तबियत खराब का बहाना बना कर बहल निकल पड़ता है। और सीधा एक ज्वेलर के पास जाता है और रितु के लिए बहुत अच्छे कानों के बूँदे खरीद लेता है और सीधा घर के लिए निकल पड़ता है।
घर पहुँच कर रमण बेल बजाता है, जैसे ही रितु को बेल सुनाई देती है वो अपने खयालों से बाहर आती है, उसे जैसे मालूम था कि बाहर रमण ही होगा, उसका चेहरा शर्म से लाल पड़ जाता है और हलके हलके कदमों से जा कर वो दरवाजा खोलती है, उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी।
दरवाजा खुलते ही रमण जैसे ही रितु को देखता है उसका खड़ा लंड चिल्लाने लगता है, पकड़ ले और डाल दे चूत में। पर रमण पत्थर की तरह उसे देखता रह जाता है, रमण की चुभती हुई नजरें रितु बर्दाश्त नहीं कर पाती और पलट जाती है, वो सीधा किचन की तरफ बढ़ती है रमण के लिए पानी लाने के लिए।
लेकिन रमण वहीँ दरवाजे पे खड़ा रह जाता है, रितु का जानलेवा रूप जो उसने अभी देखा था वो उसकी आँखों में पर्दे की तरह छा जाता है और उसके कदम वहीँ जम जाते हैं।
रितु जब पानी ले कर आती है तो रमण को वहीँ दरवाजे पे खड़ा पाती है, उसे अपने हुस्न पे नाज होने लगता है।
रितु: ‘अरे क्या हुआ, आप वहाँ क्यों खड़े रह गए, अंदर आईये और दरवाजा भी बंद कर दीजिए। मैं पानी यहाँ रख रही हूँ और लंच का इंतजाम करती हूँ’
रमण: उन्न ओह (वो अंदर आ कर पानी पीता है और सोफे पे बैठ जाता है।)
रमण से बैठा नहीं जाता वो किचन में चला जाता है। अंदर रितु गैस पे खाना गर्म कर रही थी। रमण उसके पीछे आ कर उससे सट जाता है और रितु घबरा कर चीख पड़ती है और मुड़ के देखती है तो रमण था।
‘उफ आपने तो डरा दिया। जाइये हॉल में बैठिए मैं बस अभी खाना लेकर आ रही हूँ’
रमण फिर उसके साथ सट जाता है और उसकी कमर में हाथ लपेट लेता है और उसकी गर्दन को चूमने लगता है।
‘अकेला में वहाँ क्या करूँ, अपनी बेटी के साथ यहीं रहता हूँ’
रितु को रमण के खड़े लंड की चुभन अपनी गांड पे महसूस होती है और उसकी साँसे तेज हो जाती हैं।
‘आह्ह्ह्ह जाइये ना, क्या कर रहे हैं’
रमण उसकी मरमरी बाहों पे अपने हाथ फेरता है और उसके कंधे को चूम लेता है।
‘अपनी बेटी से प्यार कर रहा हूँ’
‘छोड़िये ना, पहले खाना तो खा लीजिए’
रमण उसे अपनी तरफ घुमाता है। रितु का चेहरा नीचे झुका होता है। चेहरे पे लाली छाई होती है।
रमण उसके चेहरे को ऊपर उठाता है, रितु अपनी आँखें बंद कर लेती है और रमण
‘आई लव यू जान’ कह कर उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है और हाथ पीछे ले जाकर गैस बंद कर देता है।
रितु के जिस्म में झुरझुरी दौड़ जाती है, वो पीछे हटना चाहती है पर रमण उसे अपने साथ चिपका लेता है। रमण उसे चूमता रहता है, रितु भी गर्म होने लगती है और उसके होंठ खुल जाते हैं। जैसे ही रितु के होंठ खुलते हैं रमण की जब अंदर चली जाती है जिससे रितु चूसने लगती है। रमण अपने हाथ पीछे ले जा कर उसकी गांड को अपनी तरफ दबाता है जिसकी वजह से उसका खड़ा लंड रितु की चूत पे दस्तक देने लगता है। अपनी चूत पे रमण के लंड का अहसास पा कर रितु सिसक पड़ती है पर उसकी सिसकी रमण के मुँह में ही दब के रह जाती है। दोनों गहरे फ्रेंच किस में डूब जाते हैं।
जब दोनों की साँसे फूलने लगती हैं तो दोनों अलग होते हैं। रितु का चेहरा उत्तेजना और शर्म से लाल सुर्ख हो जाता है। दोनों ही बहुत तेज तेज साँसे ले रहे थे। रितु रमण की आँखों में नहीं देख पाती और उसके सीने में अपना मुँह छुपा लेती है।
रमण गहरी गहरी साँस लेता हुआ रितु की पीठ सहलाता रहता है।
फिर रमण उसे अपनी गोद में उठा कर अपने रूम में ले जाता है और बिस्तर पे लिटा देता है।
रितु अपनी आँखें बंद कर के लेटी रहती है। और रमण अपनी शर्ट और बनियान उतार कर उसके साथ लेट जाता है।
रमण रितु के ऊपर झुकता है और फिर उसके होंठ चूसने लगता है। रितु भी स्का साथ देने लगती है और जैसे ही रितु की हाथ रमण को अपने घेरे में लेते हैं तो उसे रमण के नंगे होने का अहसास होता है, रमण की चौड़ी पीठ पे उसकी उंगलियाँ घूमने लगती हैं। रितु की उंगलियों का स्पर्श अपनी पीठ पे पा कर रमण के जिस्म में जलजला सा उठ जाता है और वो पागलों की तरह रितु के होंठ चूसने लगता है।
रितु के जिस्म में भी तड़प बढ़ती है पर जैसे उसे कुछ याद आता है और वो जोर लगा कर रमण की पकड़ से निकल जाती है।
रमण हैरान हो जाता है कि एकदम रितु को क्या हो गया। वो सवालिया नजरों से रितु को देखता है।
‘आप तो आते ही शुरू हो गए, पहले मेरे सवाल का जवाब तो दीजिए’
‘पूछो क्या पूछना चाहती हो’
‘कितना प्यार करते हो मुझ से? या सिर्फ मेरे जिस्म से ही खेलना चाहते हो?’
‘तुझे मेरे प्यार पे शक है क्या?’
‘एक बाप के नाते आपके प्यार पे कोई शक नहीं, उल्टा मैं तो खुद को खुशकिस्मत समझती हूँ कि मुझे और रवि को आप जैसा पापा मिला---- लेकिन जो आप करना चाहते हो मेरे साथ वो बाप बेटी में नहीं होता- वो सिर्फ दो प्रेमियों के बीच में ही होता है – तो इस लिहाज से आप मेरे प्रेमी बनना चाहते हो?’
‘हाँ’
‘लेकिन अगर मैं आप को अपना प्रेमी बना लूँ तो बदले में मुझे अपने प्रेमी से एक वादा चाहिए’
‘कैसा वादा?’
‘मैं जो भी माँगूँ वो आपको देना पड़ेगा’
‘क्या चाहती हो? माँग लो जो माँगना है’ रमण इस हालत में नहीं था कि वो रितु की किसी भी बात को मना कर सके, वो रितु को जल्द से जल्द अपनी बाहों में चाहता था।
‘मैं इस घर में खुल्ला वातावरण चाहती हूँ – यहाँ दो मर्द हैं और दो औरतें – कोई भी किसी के साथ कभी कभी चुदाई कर सकता है – पर कभी भी कोई जबरदस्ती नहीं करी जाएगी- क्या आप राजी हो?’
‘मतलब तुम रवि के साथ भी?’
‘ना सिर्फ मैं रवि के साथ जब दिल करे चुदाई करूँ, रवि भी मॉम के साथ जब दिल करे चुदाई कर सकता है, और जब हम दोनों का दिल करे हम दोनों आपस में चुदाई कर सकते हैं’
‘बोलो आप को मंजूर है?’
‘मुझे मंजूर है पर क्या तुम्हारी मॉम मानेगी?’
‘मॉम को मनाना मेरा काम है- आप बस अपनी मंजूरी दो’
‘ठीक है अगर तुम अपनी मॉम को राजी कर सकती हो, तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं’
‘ओह पापा आई लव यू’ रितु रमण के सीने से चिपक जाती है।
रमण अपनी पैंट की जेब से बूँदे निकालता है और रितु को देता है।
‘है कितने प्यारे हैं- आप खुद ही पहनाओ अपनी प्रेमिका को’
रमण उसे बूँदे पहनाता है और रितु ड्रेसिंग टेबल पे जा कर खुद को निहारती है। रमण उठ के पीछे आता है और पीछे से उसे अपनी बाहों में जकड़ लेता है। उसकी नाइटी को कंधों से सरकाता है और उसके कंधे को चूमने लगता है।
‘आह्ह्ह्ह’ रितु सिसक पड़ती है
अब सारी दीवारें टूट चुकी थी, बाप बेटी का रिश्ता प्रेमी और प्रेमिका में बदल गया था।
‘ओह लव मी डैड’
‘नो मोर डैड’
‘येस, माय लव, लव मी’
और रमण रितु को अपनी तरफ घुमाता है। रितु प्यासी नजरों से रमण को देखती है और अपने होंठ आगे बढ़ा देती है। रमण उसके होंठ चूसने लग जाता है। रितु अपनी बाहों का घेरा रमण के गले में डाल कर उस से चिपक जाती है। रितु रमण के बालों को सहलाती हुई अपने होंठों का रस रमण को पिलाती रहती है।
रमण अपना एक हाथ उसके उरोज पे रख देता है और रितु काँप उठती है, उसकी चूत में खुजली मचने लगती है।