जिस्म की प्यास
 
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जिस्म की प्यास

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अपडेट 55

ऋतु के कॉलेज में किसी वजह से जल्दी छुट्टी हो गई और वो घर चली गई। घर में कोई नहीं था। अपने लिए चाय बना कर पीती है और फिर बाथरूम चली जाती है। बाथरूम में शीशे के सामने खुद को निहारने लगती है और अपने सभी कपड़े उतार कर अपने बढ़ते हुए मम्मों पे हाथ फेरने लगती है। अचानक उसके दिमाग में वो सीन घूमने लगता है जब उसने रवि को अपनी फोटो हाथ में पकड़े हुए मुठ मारते हुए देखा था।
उसका हाथ अपनी चूत पे चला जाता है और वो ऐसे ही बिना कपड़ों के अपने बेड पे लेट जाती है और एक हाथ से अपने मम्मे को दबाने लगती है और दूसरे से अपनी चूत को सहलाने लगती है।
‘आह्ह्ह्ह रविीीीीी’ उसके मुँह से रवि का नाम निकल पड़ता है और वो अपनी चूत में उंगली चलाने लगती है।
ऋतु की आँखें बंद हो जाती हैं और वो रवि का नाम ले कर अपनी चूत में उंगली करती रहती है, वो ये तक भूल गई थी कि उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद नहीं किया है और कोई भी अंदर आ सकता है। शायद उसे इत्मिनान था कि उसका बाप रमन और भाई रवि दोनों ही शाम तक आएँगे और तब तक उसके पास काफी वक्त था।
इधर रमन, अपने ऑफिस से जल्दी छुट्टी ले कर घर आता है, ताकि वो बची हुई पैकिंग खत्म कर सके। उसे नहीं मालूम था कि ऋता आ चुकी है, इसलिए वो अपनी चाबी से घर खोल कर अंदर आ जाता है।
जैसे ही वो अपने कमरे की तरफ बढ़ता है उसे ऋतु के कमरे से सिसकियों की आवाज़ें सुनाई देने लगती हैं और उसके कदम ऋतु के कमरे की तरफ बढ़ जाते हैं। जैसे ही वो कमरे के पास पहुँचता है, उसकी आँखें फटी रह जाती हैं। अंदर ऋतु एक दम नंगी लेटी हुई अपनी चूत में उंगली कर रही थी। ऋतु का गोरा बदन, उन्नत उरोज और उसकी छोटी सी चूत रमन को अपने पास खींच रही थी। रमन के कदम वही दरवाजे पे रुके रहते हैं।
‘आह्ह्ह्ह रवि आह्ह्ह्ह रवि चोद मुझे, डाल दे अपना लंड मेरी चूत में आह आह आह कब तक मेरी फोटो के सामने मुठ मारोगे आ ना चोद डाल ऊऊफ्फ म्म कितना बड़ा है तेरा’
ऋतु पता नहीं क्या क्या बोल रही थी, और रमन ने जैसे ही रवि का नाम उसके मुँह से सुना, वो चौंक पड़ा, कि कहीं, दोनों भाई बहन चुदाई तो नहीं करते।
सुनिता के जाने के बाद रमन की भूख बड़ी हुई थी, वो इस इंतज़ार में था कि जल्दी सुनिता के पास पहुँचे और जम कर उसकी चुदाई करे।
ऋतु को देख उसका लंड खड़ा होने लगता है और उस से और सहन नहीं होता, वो अपना लंड बाहर निकाल कर मुठ मारने लगता है, उसकी आँखें बंद हो जाती हैं और खयालों में वो ऋतु को चोदने लगता है। उसका लंड कभी इतना सख्त नहीं हुआ था जितना कि आज हो गया था। दिल तो कर रहा था कि अंदर जा कर ऋतु के ऊपर चढ़ जाए और अपना लंड उसकी चूत में घुसा कर उसकी दमदार चुदाई कर डाले। वो अपने खयालों में खो जाता है और भूल जाता है कि ऋतु उसे देख सकती है।
इधर पीछे से रवि भी आज जल्दी घर आ जाता है और अपनी चाबी से घर खोल के अंदर दाखिल होता है तो उसे हॉल से ही रमन खड़ा दिखता है, वो कुछ हिल रहा था। रवि उसकी तरफ कदम बढ़ाता है तो चौंक उठता है, रमन ऋतु की दरवाजे पे खड़ा मुठ मार रहा था और अंदर ऋतु नंगी लेटी हुई अपनी चूत में उंगली चला रही थी। ऋतु के मुँह से अपना नाम सुन वो खुश हो जाता है और हॉल में एक जगह छुप कर देखने लगता है कि रमन आगे क्या करेगा। क्या रमन अंदर ऋतु के पास जाएगा या नहीं?
रवि छुप के सब देख रहा था, उसके जिस्म में भी उत्तेजना बढ़ जाती है। ऋतु का नंगा रूप देख और अपने बाप को उसके कमरे के आगे मुठ मारता हुआ देख कर रवि भी अपना लंड निकाल कर मुठ मारने लगता है, पर उसकी आँखें रमन और ऋतु पे ही टिक्की हुई थी।
'आह्ह्ह्ह ऋऋऋआआआव्व्वीीीीीी चोद.... चोद ....चोद ....फाड़ दे मेरी चूत आह्ह्ह्ह'
बिस्तर पे ऋतु अपनी आँखें बंद कर रवि के बारे में सोचते हुए अपनी चूत में उंगली चला रही थी। सामने दरवाजे पे रमन अपनी आँखें बंद कर ऋतु के बारे में सोचते हुए मुठ मार रहा था और छुपा हुआ रवि इन दोनों को देख मुठ मार रहा था।
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मम्म्म्म्म्माआआआआ ऋऋऋआआआव्व्व्व्व्वीीीीीीीीीीीीी
ऋतु जोर से चीख कर झड़ने लगती है। उसकी चीख के साथ रमन का भी लावा फूट पड़ता है और साथ ही साथ रवि का भी।
तीनों अपनी मंजिल पे एक साथ पहुँचे। रमन और रवि ने आज इतना कामरस छोड़ा जितना पहले कभी नहीं निकला था।
ऋतु आँखें बंद रख अपने आनंद को समेट रही थी कि उसकी चीख रमन को उसके खयालों से बाहर ले आई थी, और वो फटाफट अपने कमरे की तरफ भाग पड़ा।
रमन अपने कमरे में बिस्तर पे पहुँच कर गिर पड़ता है और अभी जो हुआ उसके बारे में सोचने लगता है।
रवि भी चुपचाप अपने कमरे में जा कर लेट जाता है।
ऋतु की मधोशी जब टूटती है तो उसे अपना ध्यान आता है कि वो नंगी पड़ी है। वो फटाफट कमरे का दरवाजा बंद कर बाथरूम में घुस जाती है।
ऋतु नहा कर बाहर निकलती है, अपने कपड़े पहनती है, उसने एक छोटी स्कर्ट और टॉप पहना था, जिसमें से उसकी कातिल जवानी फूट फूट कर निकल रही थी। टॉप के अंदर उसने ब्रा नहीं पहनी थी, जिसकी वजह से उसके निप्पल टॉप फाड़ के बाहर निकलने को तैयार हो रहे थे। उसका मकसद आज रवि को पूरी तरह से पागल करने का था ताकि वो खींचा हुआ उसके पास चला आए।
वो अपने कमरे से बाहर निकलती है किचन में जाने के लिए तो चौंक उठती है, रमन के कमरे की लाइट जल रही थी।
उफ्फ्फ्फ तो क्या पापा घर आ चुके हैं, क्या पापा ने मुझे नंगा तो नहीं देख लिया? है अब पापा को कैसे फेस करूँगी, सोचती हुई वो किचन की तरफ बढ़ती है रात का खाना तैयार करने के लिए और उसकी नज़र रमन के कमरे में चली जाती है। वो ऐसे ही लेटा हुआ था। पैर ज़मीन पे लटके हुए थे और उसका लंड अब भी खड़ा झटके मार रहा था। ऋतु की नज़रें गौर से अपने बाप के लंड को देखती है और उसकी तुलना रवि के लंड से करने लगती है। रवि का लंड अपने बाप से ज्यादा लंबा और मोटा था। ऋतु के जिस्म में झुरझुरी दौड़ जाती है और उसके चेहरे पे हँसी आ जाती है। रमन की हालत बता रही थी कि उसने ऋतु को नंगा अपनी चूत में उंगली करते हुए देख लिया था।
अब जो होगा देखा जाएगा, सोच कर वो किचन में चली जाती है। रवि का कमरा थोड़ा साइड में था इसलिए उसे पता नहीं चलता कि रवि भी आ चुका है।
बरतनों की खड़ खड़ की आवाज़ सुन रमन होश में आता है और फटाफट अपना लंड मुश्किल से पैंट के अंदर डालता है। साफ पता चल रहा था कि उसका लंड खड़ा है। अपनी कमीज़ पूरी बाहर निकाल लेता है ताकि पता ना चले।
पानी लेने के लिए किचन की तरफ जाता है तो अंदर ऋतु को देख उसके होश उड़ जाते हैं। एक तो पहले ही उसे वो नंगी देख चुका था और उसपर ये कातिलाना ड्रेस उसकी जान निकाल लेती है। उस से रुका नहीं जाता और अंदर जा कर पीछे से ऋतु को अपनी बाहों में भर लेता है।
‘क्या बना रही है मेरी गुड़िया?’
ऋतु को रमन का लंड अपनी गांड में चुभता हुआ मेहसूस होता है, पता नहीं क्या सोच कर वो अपनी गांड पीछे कर के रमन के लंड पे अपनी गांड का दबाव डाल देती है। रमन को हरी झंडी मिल जाती है।
‘चिकन बना रही हूँ पापा, आप ड्रिंक के साथ लोगे ना, आपकी मनपसंद डिश बना रही हूँ’
‘वाह आज तो मज़ा आएगा’ कह कर रमन अपने लंड का दबाव और ऋतु की गांड पे बढ़ाता है और उसके बालों को सूँघते हुए अपने हाथ उसकी कमर पे फेरते हुए उसके उरोज की बेस तक ले जाता है।
ऋतु को जैसे ही रमन का हाथ अपने उरोज की नीचे मेहसूस होता है, उसकी सिसकी निकल पड़ती है
‘आह्ह्ह’
रमन अपना हाथ बढ़ाता है ऋतु के एक उरोज पे रख देता है।
ऋतु झट से उसकी पकड़ से बाहर निकलती है।
‘ये क्या कर रहे हो पापा’
रमन उसे पकड़ अपनी तरफ खींचता है, ऋतु के उरोज रमन की छाती पे दब जाते हैं।
‘उफ्फ्फ्फ्फ छोड़ो पापा भाई आनेवाला है’
रमन उसके कंधे पे किस करते हुए कहता है
‘अपनी बेटी से प्यार कर रहा हूँ’
‘आज कैसे बेटी की याद आ गई?’
‘याद तो रोज़ आती है, मेरी बेटी ही मेरे पास नहीं आती’
‘मैं तो आपके पास ही हूँ पापा, आप ही दूर रहते हो’
‘अब मैं अपनी बेटी से कभी दूर नहीं रहूँगा’ कह कर रमन उसकी गांड को मसलते हुए अपने लंड पे उसकी चूत को दबा देता है।
‘आह्ह्ह्ह म्म्मा - क्या कर रहे हो, छोड़ो प्लीज़ ये गलत है’
‘बेटी से प्यार करना कोई गलत नहीं होता’ और रमन ऋतु के गालों पे किस करने लगता है।
तभी रवि के कमरे से कुछ आवाज़ आती है और ऋतु फट से रमन की चंगल से निकलती है, उसकी साँसे भारी हो चुकी थी, रमन किचन से बाहर निकल कर हॉल में जा कर बैठ जाता है।
ऋतु मुश्किल से खुद को संभाल कर चिकन बनाने में लग जाती है। ऋतु की जान आफत में आ जाती है जैसे, रवि घर में है, वो कब आया। तो क्या आज बाप बेटे दोनों ने ही उसका लाइव शो देखा था। ऊऊफ्फ्फ्फ ये क्या हो रहा है। पापा तो आज बहुत आगे बढ़ गए। कहीं पापा मुझे...........इस के आगे वो सोच नहीं पाती, उसकी पैंटी गीली होने लगती है।
इतने में रवि किचन में आता है, ऋतु ने जो ड्रेस पहनी हुई थी, उसे देख कर उसके मुँह से सीटी निकल जाती है।
‘वाउ!!!!!!!! सेक्सी!!!!!’
‘क्या बोला?’ ऋतु पलट कर रवि को झूठी डाँट से बोली।
‘बहुत सेक्सी लग रही है यार, क्या बात है? आज कितनों का कत्ल करेगी?
ऋतु मन ही मन खुश होती है पर ऊपर से
‘चुप बदतमीज़, बहन को ऐसे बोलते हैं क्या? जा हॉल में जा के बैठ, पापा वहीं बैठे हैं’
‘ओह!’ रवि सर खुजाता हुआ हॉल में चला जाता है।

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अपडेट 56

एस पे डबल नशा चढ़ रहा था, एक स्कॉच का जिसने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था और दूसरा रितु की कातिल जवानी का।
रितु फिर उसके लिए पेग बनाती है और इस बार अपने बाल खोल देती है, जो उसकी कमर तक लहराने लगते हैं।
रमन के गाल पे प्यार से हाथ फेरते हुए कहती है,
‘अभी आई, तब तक ये ड्रिंक खत्म करो।’
एक तो कातिल जवानी, उसपे लहराते हुए उसके सिल्की बाल, रमन की जान ही निकल रही थी, उसके जिस्म में उत्तेजना चरम पे पहुंच चुकी थी और अब रुकना उसके लिए मुश्किल हो रहा था, उसका दिल कर रहा था कि अभी रितु को दबोच कर उसके ऊपर चढ़ जाए।
रितु ने अपने दोनों प्रेमियों का कत्ल करने का ठान लिया था, वो रमन के कमरे में जाकर दरवाजा बंद करती है और अपनी मम्मी का वॉर्डरोब खोल कर कुछ ढूंढने लगती है।
उसे अपने मतलब की ड्रेस मिल जाती है। अपने सारे कपड़े उतार कर वो उस ड्रेस को पहन लेती है। खुद को शीशे में निहारती है और बाहर निकल आती है।
जैसे ही रमन की नजर उसपे पड़ती है, उसका गला सूखने लगता है, लुंड में इतना तनाव आता है, जैसे अभी टूट के अलग हो जाएगा। आंखें उबल कर बाहर आने लगती हैं और हवस से लाल सूरख हो जाती हैं।
रितु ने सुनिता की सबसे सेक्सी नाइटी पहन ली थी, एकदम पारदर्शी, जो मुश्किल से उसकी गांड तक आ रही थी और अंदर उसने कुछ नहीं पहना था। काली नाइटी में उसका गोरा बदन और भी निखर के अपनी छटा दिखा रहा था।
वो रमन की तरफ बढ़ने लगती है, रमन का गला और सूखने लगता है, वो सीधा स्कॉच की बोतल उठा कर अपने मुंह से लगा लेता है और आधी खाली कर देता है।
जैसे-जैसे वो रमन के पास आने लगी, वैसे-वैसे रमन की हालत और भी खराब होने लगी।
अपनी आंखें रितु पे गड़ी हुई रख वो फिर से बोतल अपने मुंह से लगा लेता है और गटागट पीने लगता है। नीट स्कॉच उसका सीना अंदर से चीर रही थी, बोतल खाली होते-होते, उसका सिर भी घूमने लगता है। बोतल बिल्कुल खाली हो जाती है, पर उसके हल्क का सूखापन और भी बढ़ जाता है।
रितु पास आकर अपना पैर ठा कर सीधा रमन के लुंड पे रख देती है, हल्के से दबाती है और फिर रमन की छाती पे रख उसे पीछे ढकेल देती है।
रमन की आंखें तो बस रितु की खुली चूत पे गड़ जाती हैं।
रितु और आगे होती है और अपना पांव रमन के होंठों के पास ले आती है। रमन उसके गोरे नाजुक पांव को कुत्ते की तरह चाटने लगता है।
‘ये क्या किया आपने, पूरी बोतल अकेले पी गए, अब मेरा क्या होगा,’ रितु इतनी सेक्सी अदा से बोली कि रमन की गांड तक फट गई, अब वो एक घूंट भी शायद और नहीं पी सकता था। रितु फिर अपना पैर उसकी छाती पे लाकर धीरे-धीरे उसके लुंड तक ले जाती है और फिर से दबाकर बोली,
‘अभी आई।’
रमन बस तड़पता हुआ देखता ही रह जाता है।
मटकती हुई रितु फिर रमन के कमरे में जा रही थी, और रमन एक कुत्ते की तरह नीचे झुक कर उसकी गांड का नजारा लेने लगा।
रितु उसकी अलमारी से एक और बोतल निकाल के ले आती है।
कमरे में आकर रितु बोतल खोलती है और प्यासी निगाहों से रमन को देखते हुए अपनी जुबान बोतल के मुंह के चारों तरफ फेरती है और फिर बोतल का मुंह अपने मुंह में भर लेती है और हरकत ऐसी करती है कि जैसे लुंड चूस रही हो। रमन तड़प के खड़ा हो जाता है और लड़खड़ाते हुए रितु की तरफ बढ़ता है।
रितु को लगता है कि वो गिर जाएगा और भाग कर उसके पास आती है, रमन उसे बांहों में भर उसके गाल पागलों की तरह चूमने लगता है। और जैसे ही रमन का हाथ उसके उरोज पे आता है, रितु चटक के दूर हो जाती है और अपनी नशीली आंखों से ना का इशारा करती है।
रितु फिर रमन के पास आती है।
‘बहुत प्यास लगी है ना पापा।’
उफ्फ्फ्फ क्या सेक्सी अंदाज था कहने का, रमन का रोयां-रोयां जल उठता है।
रितु बोतल पे फिर अपनी जुबान फेर कर रमन के मुंह से लगा देती है। उसकी आंखों में देखते हुए रमन पीने लगता है और फिर अपने हाथ का पंजा रितु के उरोज पे रख उसे सख्ती से दबा देता है।
आआआआआआईईईईईईईईईईईईई रितु की चीख निकल पड़ती है।
रमन आधी बोतल खाली कर चुका था और पीना उसके बस में नहीं था। वो बोतल से मुंह हटा कर उसे रितु के मुंह पे लगा देता है, रितु भी 2-3 घूंट भर लेती है, उसके सीने में जलन होने लगती है और वो बोतल हटा के टेबल पे रख देती है।
रमन अब ज्यादा ही लड़खड़ाने लगा था। बहुत ही ज्यादा हो गई थी। रितु उसके हाथ को अपने कंधे पे रख उसे उसके कमरे में ले जाती है, उसे बिस्तर पे लिटाने लगती है तो रमन उसे पकड़ के खींच लेता है और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका देता है।
उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ रितु सनसना उठती है, पहली बार किसी मर्द ने उसके होंठों के अपने होंठ रखे थे। रितु की आंखें बंद हो जाती हैं। रमन के हाथ उसके उरोज पे चले जाते हैं और बड़ी बेरहमी से दबाने लगता है। रितु तड़प के उसकी चंगुल से निकलती है। रमन उसे फिर अपने पास खींचता है।
रितु उसके होंठ पे अपने होंठ रख देती है। एक गहरा चुम्बन लेकर बोलती है,
‘क्या सच में मुझ से प्यार करते हो?’
रमन को ऐसा लगा जैसे किसी ने जोर का थप्पड़ उसके गाल पे ही नहीं उसकी आत्मा तक पे मार दिया हो। उसका नशा काफूर हो जाता है, दिल, दिमाग, आत्मा, सब ग्लानि से भर उठते हैं।
रितु उसकी छाती को सहलाते हुए फिर पूछती है-
‘बोलो ना, डू यू रियली लव मी, और जस्ट वांट टू फक मी।’
रमन के कान जैसे फटने लगते हैं। उसकी बेटी सीधा ही उससे पूछ रही थी। उसके जिस्म से सारी वासना पसीना बन कर बह जाती है। उसकी हालत बहुत खराब होने लगती है।
रितु फिर अपने होंठ उसके होंठ पे रखती है, एक प्यारा सा चुम्बन लेती है और हल्के से उसकी छाती मलने लगती है।
‘बोलो ना, चुप क्यों हो, प्यार करते हो, या बस चोदना चाहते हो? जो दिल में है आज बोल दो, मैं बुरा नहीं मानूंगी।’
रमन की आंखों से आंसू बहने लगते हैं, जिस्म शीतल पड़ जाता है। उसकी अंतरात्मा तक चीत्कार करने लगती है।
‘आज रात अच्छी तरह सोचना पापा, अगर आप मुझ से सच में प्यार करते हो, तो मैं आपकी भी हो जाऊंगी, अगर ये सिर्फ वासना है तो मुझ से दूर रहना। लव यू,’ और फिर एक चुम्बन उसके होंठों पे कर रितु कमरे से बाहर चली जाती है।
रमन फटी आंखों में आंसू भरे हुए उसे कमरे से बाहर जाता हुआ देखता रहता है।
रितु बाहर आती है, उसे भी थोड़ा दुख हो रहा था रमन से इस तरह बात करने पर, पर वो नहीं चाहती थी, कि सिर्फ वासना के तहत वो अपने बाप के नीचे बिछ जाए।
वो रमन और रवि की तुलना करने लगती है। ना जाने कब से रवि उसकी फोटो के आगे मुठ मार रहा था, पर उसने कभी रितु को छुआ तक नहीं था। और रमन ने तो ना जाने कितनी हदें पार कर ली थी। शायद कसूर उसका ही था, आज उसने अपना कमरा बंद नहीं किया था। अब अगर कोई इंसान किसी जवान लड़की को नंगा देखेगा तो उसका यही हाल होगा।
वो रमन के जवाब का इंतजार करेगी, ये सोच कर वो स्कॉच की बोतल उठाती है, दो घूंट भरती है और बोतल लेकर रवि के कमरे की तरफ बढ़ जाती है।

जिस्म की प्यास जब बढ़ती है, तो सारी मर्यादाएं खत्म हो जाती हैं, आदमी भूल जाता है रिश्ते नातों को, याद रहता है तो बस यही कि वो एक आदमी है और सामने एक लड़की या औरत। उसके पास लुंड है और सामने वाली के पास एक चूत। और लुंड का तो काम ही है चूत में घुसना। लुंड और चूत दोनों ही बस अपने मिलन के बारे में सोचते हैं। दिमाग क्या कहता है, वो सब गया भाड़ में।
ऐसा ही कुछ हाल में बैठा हुआ रमन सोच रहा था, वो भूल चुका था कि रितु उसकी बेटी है, उसे कोई हक नहीं पहुंचता उसे वासना की दृष्टि से देखने का। उसे रवि की मौजूदगी खल रही थी। और वो एक खतरनाक खेल खेलने के लिए आमादा हो जाता है।
जैसे ही रवि हाल में आता है। रमन उसकी तरफ गौर से देखता है और,
‘अरे रवि जा मेरी अलमारी से स्कॉच की बोतल ले आ।’
रवि जाकर रमन की अलमारी से बोतल निकाल लाता है और रमन के सामने टेबल पर रख देता है।
‘जा किचन से 3 ग्लास, बर्फ और सोडा ले आ, और साथ में काजू भी ले आना- जब तक चिकन रेडी होता है, काजू से काम चलाते हैं।’
‘3 ग्लास’ के बारे में सुनकर रवि के कान खड़े हो जाते हैं। वो कहता कुछ नहीं बस किचन चले जाता है और सारा सामान इकट्ठा करने लगता है।
रितु उससे पूछ लेती है, ‘3 ग्लास क्यों ले जा रहा है। कोई और भी आ गया है क्या, पापा के दोस्त?’
‘नहीं, पापा ने 3 ग्लास मंगवाए हैं – तू संभल के रहना – पीना नहीं, नजर बचा कर फेंक देना या मेरे ग्लास में डाल देना।’
‘मतलब?’
‘मतलब पापा आज हम दोनों को भी अपने साथ पिलाएंगे।’
‘क्या?’
‘चिल्ला मत, जो कह रहा हूं वो करना बस,’ कहकर रवि बाहर हाल में चला जाता है, वो सारा सामान लेकर जो रमन ने मंगवाया था।
रितु सोचने लगती है कि क्या पापा नशा चढ़ाके चोदना चाहते हैं, ऐसे तो मजा नहीं आएगा और वो अपने दिमाग में कोई प्लान बना लेती है। अब भी उसे अपनी गांड में रमन का लुंड चुभता हुआ महसूस हो रहा था, लेकिन उसके दिमाग में पहले रवि था, बाद में जो मर्जी चोद ले। और वो तेजी से चिकन डिश की तैयारी में लग जाती है, बस थोड़ी देर ही रह गई थी अच्छी तरह पकने में।
अंदर पहुंचकर रवि सामान टेबल पे रखता है और रमन से पूछता है,
‘पापा आज तीन ग्लास किस लिए?’
‘अरे भाई हम 7 दिन बाद इंडिया जानेवाले हैं, तो सोचा क्यों ना सेलिब्रेट किया जाए, कॉमन जॉइन मी।’
रमन दो ग्लास में ड्रिंक डालकर एक रवि को पकड़ाता है।
‘पापा पर मैं और ड्रिंक?’
‘चल चल मेरे आगे ड्रामा मत कर, मैं जानता हूं तू पीता है, चल आज बाप के साथ भी चियर्स कर, बेटा जब जवान हो जाता है, तो वो दोस्त ज्यादा होता है।’
दोनों बाप-बेटे चियर्स करते हैं और एक-एक सिप लेते हैं।
रमन हाल से ही चिल्लाता है, ‘अरे रितु बेटा कितना टाइम लगेगा?’
‘बस पापा अभी लाई।’
‘चल यार, क्या लड़कियों की तरह पी रहा है, बॉटम्स अप।’
अब रवि के पास कोई चारा नहीं था, वो भी बाप के साथ एक घूंट में ग्लास खत्म कर देता है। और खत से उसके दिमाग में ये खयाल आता है कि पापा उसे तल्ली करना चाहते हैं ताकि वो रितु के साथ मस्ती कर सकें। ओह ओह तो तो ये माजरा है।
अब रवि भी अपने बाप का बेटा था, एक शेर दूसरा सवा शेर।
‘पापा आप दूसरा पेग बनाओ मैं अभी आया,’ कहकर वो किचन जाता है, फ्रिज से मक्खन निकालकर 250 ग्राम एक पल में चबा डालता है।
‘अरे इतना मक्खन क्यों?’
‘शhh,’ रवि होंठों पे उंगली रख रितु को चुप रहने का इशारा करता है।
‘तू भी खा के आना।’
बोल कर रवि अंदर चला जाता है। रितु कुछ पल सोचती है लेकिन रवि की बात नहीं मानती और ऐसे ही चिकन लेकर हाल में चली जाती है।
‘अरे वाह आ गई बेटा चल आ इधर मेरे पास आकर बैठ।’
रमन उसे अपने पास बैठने के लिए बोलता है तो रितु उसके पास जाकर बैठ जाती है।
‘चल रवि तीन ग्लास बना।’
रितु बोल पड़ती है, ‘3 किसलिए?’
रमन जवाब देता है, ‘भाई आज हम सेलिब्रेट कर रहे हैं इंडिया की वापसी को इसलिए तो स्कॉच खोली है, कॉमन कॉमन।’
‘पर पापा मैं और शराब!’
‘अरे ये स्कॉच है व्हिस्की नहीं, इससे नशा नहीं होता, और तुम तो नई जेनेरेशन की लड़की हो, तुम्हारी मम्मी भी तो मेरे साथ पीती है।’
रवि 3 ग्लास डाल लेता है, रमन का उसने बड़ा पेग बनाया था और अपना और रितु का छोटा।
स्कॉच की खासियत ये है, कि नशा बहुत धीरे-धीरे चढ़ता है और देर तक रहता है, ना कि व्हिस्की की तरह जो फटाफट चढ़ता है और जल्दी उतर भी जाता है।
खैर तीनों के दो-दो पेग हो जाते हैं। क्योंकि रितु पहली बार पी रही थी, उसे थोड़ा सरूर चढ़ने लगता है, ऊपर से मनोवैज्ञानिक कारण भी था कि वो पहली बार पी रही थी।
जब उसे थोड़ा सरूर चढ़ता है तो रवि से बोलती है,
‘रवि म्यूजिक लगा यार, बोरियत हो रही है, थोड़ा डांस करेंगे, क्यों पापा।’
रवि उठ के म्यूजिक लगाता है, बहुत ही अच्छी धुन पर स्लो डांस करने वाली।
‘चलो पापा पहले आप मेरे साथ डांस करो।’
रमन की तो बांछें खिल जाती हैं। वो ठाकर रितु के पास आता है और उसे अपनी बांहों में थामता है।
रितु का एक हाथ रमन की कमर के होता है और दूसरा उसके कंधे पे। रमन को दोनों हाथ उसकी कमर पे होते हैं।
डांस करते-करते रमन का एक हाथ उसकी गांड पे चला जाता है और दूसरा उसकी पीठ पर। रितु की आंखों में नशे की लाली के साथ-साथ उत्तेजना की भी लाली आ जाती है, उसकी सांसें भारी हो जाती हैं और वो अपने सिर रमन के कंधे से लगा लेती है। रमन भी अपने होंठ उसकी गर्दन पे लगाकर हल्के-हल्के चूमने लगता है। रमन हल्के-हल्के उसकी गांड मसलने लगता है और दबाव बढ़ाकर उसे और अपने करीब करता है। अब रितु की चूत से रमन का उभरा हुआ लुंड टकरा रहा था।
आह्ह्ह रितु के मुंह से हल्की सी सिसकी निकल पड़ती है और रमन का दबाव और भी ज्यादा हो जाता है। वो भूल ही गया था कि रवि दोनों को देख रहा है।
रितु भी रमन से और चिपकती है और उसके खड़े निप्पल रमन को अपनी छाती में चुभते हुए महसूस होने लगते हैं। उसके लुंड में तनाव और भी बढ़ जाता है जो रितु को अपनी जांघों के जोड़ पे महसूस होता है।
रमन उसकी गर्दन चाटने लगता है और उसके कान में धीरे से कहता है, ‘आई लव यू, तुम बहुत सुंदर हो।’
अपने बाप के मुंह से ये सुन रितु का चेहरा शर्म से लाल हो उठता है और वो दूर हो जाती है। रमन उसे खींचने लगता है तो बोल पड़ती है,
‘बस पापा, अब रवि की बारी है, थोड़ी देर बाद फिर आपके साथ डांस करूंगी।’
रमन के पास कोई चारा नहीं रहता, मन मसोस कर बैठ जाता है और अपने लिए ड्रिंक बनाकर पीने लगता है।
रितु अब रवि के साथ डांस करने लगती है। जवान जोड़ा और भी कस के एक-दूसरे के साथ चिपक कर डांस करने लगता है।
रवि रितु के कान में धीरे से कहता है, ‘डांस के बाद पहले ड्रिंक, फिर मैं अपने कमरे में चला जाऊंगा, तू पापा को ज्यादा पिलाकर सोने पे मजबूर कर देना।’
‘तेरे जाने के बाद पापा ने कुछ कर दिया तो?’
‘इतनी जल्दी कुछ नहीं होता, बस हाथ फेरेंगे, फेरने देना और पिलाती रहना।’
‘मैं ही पापा के साथ लग गई तो?’
‘तेरी मर्जी, कौन चाहिए तुझे, मैं या पापा।’
‘ओह रवि अब तक कहां था तू।’
‘डर लगता था, कहीं तू नाराज ना हो जाए।’
‘अब डर नहीं लग रहा।’
‘नहीं।’
‘क्यों?’
‘बाद में बताऊंगा।’
‘आई लव यू।’
‘आई लव यू टू।’
और रवि, रमन की नजरें बचा कर रितु के होंठ चूम लेता है।
‘आह्ह्ह रवि,’ रितु सिसक पड़ती है और अपनी चूत का दबाव रवि के खड़े लुंड पे बढ़ा देती है।
इतने में म्यूजिक खत्म हो जाता है और दोनों अलग हो जाते हैं।
‘बस एक ड्रिंक और, फिर मैं सोने जा रहा हूं, कल कॉलेज भी तो जाना है,’ बोलकर रवि फिर 3 ग्लास बनाता है और इस बार रमन का ग्लास पटियाला बना देता है।
रमन पे ज्यादा सरूर चढ़ने लगा था और रवि बात सुन वो खुश हो जाता है कि वो सोने जा रहा है, अब उसे मौका मिल जाएगा रितु को सेड्यूस करने के लिए।
जैसे ही रवि उसे ग्लास पकड़ाता है, रमन एक घंट में खत्म कर देता है, जैसे कि रवि को जाने के लिए बोल रहा हो।
रवि और रितु एक-दूसरे की आंखों में देखते हुए आराम से अपनी ड्रिंक खत्म करते हैं और फिर रवि चला जाता है। जब तक रवि वहां था रमन की बेचैनी बढ़ती रहती है।
रवि के जाने के बाद रितु भी कहती है,
‘पापा अब सोने चलते हैं, बहुत देर हो चुकी है।’
रमन, ‘अरे थोड़ी देर रुक फिर चलते हैं।’
रितु बोतल उठाके देखती है, मुश्किल से एक पेग बच हुआ था, वो रमन का ग्लास भरती है,
‘पापा ये तो खाली।’
‘तू म्यूजिक लगा, मैं और ले के आता हूं।’
रितु उठ के म्यूजिक लगाती है, रमन अपने कमरे में जाकर एक और बोतल ले आता है।
रमन उसे डांस के लिए खींचता है तो पहले रितु ग्लास उठाकर रमन के होंठ से लगा देती है। रमन खत से पी जाता है।
दोनों फिर डांस करने लगते हैं, डांस तो अब एक बहाना ही रह गया था, मतलब तो जिस्म को जिस्म से चिपकाना ही था।
रमन इस बार अपना हाथ पीछे से रितु की टॉप में घुसाकर उसकी कमर पे फेरने लगता है।
‘आह्ह पापा, ये क्या कर रहे हो।’
‘अपनी बेटी से प्यार कर रहा हूं,’ कहकर रमन उसकी गर्दन चाटते हुए उसकी कान की लो को अपने मुंह में भर के चूसने लगता है।
‘उफ्फ्फ पापा ये गलत है।’
‘कुछ गलत नहीं, मैं तो बस अपनी बेटी से प्यार कर रहा हूं,’ कहते हुए रमन फिर उसके कान को लो चूसने लगता है।
रितु के जिस्म में आंधियां चलने लगती हैं, उसे लग रहा था कि वो उड़ती हुई कहीं चली जाएगी।
रमन उसकी गांड को अपनी तरफ दबाकर अपने लुंड का दबाव उसकी चूत पे करने लगता है।
अब तक रितु की पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी, इतना रस बह रहा था।
रितु खुद को अलग करती है। ‘बस पापा, थक गई,’ और नई बोतल खोल रमन के लिए बड़ा और अपने लिए बहुत छोटा पेग बनाती है।
रमन सोफे पे बैठ जाता है और रितु के हाथ से पेग लेकर खाली कर देता है।

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अपडेट 58

ऋतु जब रवि के कमरे के बाहर पहुँच जाती है तो उसके कदम रुक जाते हैं। रमन के साथ हुई छेड़छाड़ ने उसे बहुत गर्म कर दिया था, उसकी चूत में खुजली मची हुई थी और पानी रिस-रिस कर जाँघों तक बह रहा था।
वो जानती थी कि अगर वो अंदर गई तो आज कुंवारी नहीं रहेगी। क्या भाई के साथ आगे बढ़ जाए, दिमाग में बार-बार ये सवाल उठ रहा था। उसकी चूत चिल्ला-चिल्ला कर बोल रही थी कि आगे बढ़, पर दिमाग रोक रहा था। फिर अचानक दिमाग में बात आई कि अब तक वो क्या कर रही थी, अपने पापा के साथ, कैसे आधी नंगी होकर पापा के सामने चली गई थी, और चुदने में कौन सी कसर बाकी रह गई थी। वो तो पापा की ज़मीर को अगर उसने छेड़ा न होता, तो इस वक़्त पापा का लंड उसकी चूत की खुजली मिटा रहा होता।
आगे बढ़ ऋतु, रवि तुझसे सच में प्यार करता है, उसके प्यार में सिर्फ़ वासना नहीं है। अगर होती तो वो कब का इधर-उधर छूने की कोशिश करता। बेचारा सिर्फ़ फोटो के सामने मुठ मारता रहता है और आज पहली बार उसने 'आई लव यू' कहा था। बाद जा आगे, उसे उसका प्यार दे दे।
कैसे जाऊँ अंदर, वो मेरा भाई है, प्रेमी नहीं। भाई के साथ कैसे इतना आगे बढ़ूँ? भाई है तभी तो इतना प्यार करता है, और भाई प्रेमी क्यों नहीं हो सकता? घर की बात घर में, किसी से ब्लैकमेल होने का कोई डर नहीं। समाज में कोई बदनामी नहीं। होने दे आज संगम एक लंड और एक चूत का। तू लड़की है और वो एक लड़का, तुझे लंड चाहिए और उसे चूत।
ऋतु के कदम वहीं जम के रह गए। इतने में रवि ने दरवाज़ा खोल लिया, क्योंकि वो डर रहा था कि इतनी देर हो गई है, कहीं पापा ने ऋतु को... आगे वो सोच न सका। दरवाज़ा खोलते ही सामने ऋतु नज़र आई, जो इस वक़्त उर्वशी को भी मात कर रही थी। रवि उसके दिल की हालत समझ गया और हाथ बढ़ाकर उसका हाथ थाम लिया। रवि ने उसे अंदर की तरफ़ खींचा और ऋतु किसी मोम की गुड़िया की तरह खिंचती चली गई।
रवि ने उसके हाथ से बोतल लेकर वहीं टेबल पर रख दी। ऋतु की नज़रें नीचे ज़मीन पर गड़ी हुई थीं। जिस्म में कंपन हो रहा था। ऋतु के इस रूप को रवि न जाने कितनी देर तक देखता रहा और फिर आगे बढ़कर उसने ऋतु के चेहरे को पकड़ कर उठाया और उसकी आँखों में झाँकने लगा, जिसमें जिस्म की भूख के साथ-साथ कई सवाल भी दिख रहे थे।
ऋतु की नज़रें भी उसकी नज़रों से मिल गईं और दोनों जैसे अपनी नज़रों से ही बातें करने लगे।
‘आई लव यू ऋतु’
रवि के मुँह से निकल पड़ा और ऋतु तड़प के उसके सीने से लिपट गई। रवि की बाहों ने उसे अपने घेरे में ले लिया और एक अजीब सी ठंडक उसके सीने में समा गई। पता नहीं कब से वो तड़प रहा था ये तीन शब्द ऋतु से बोलने के लिए और आज बोल ही दिया, तब जाकर उसे थोड़ा चैन मिला। ऋतु जब उसे लिपटी तो ऐसा लगा जैसे संसार की सारी खुशियाँ उसे मिल गईं।
ऋतु के हाथ भी रवि की कमर के चारों तरफ़ बढ़ने लगे और उसने रवि को ख़ुद के साथ ऐसे चिपकाया जैसे डर लग रहा हो कि कहीं वो उससे दूर न चला जाए।
‘ऋतु’
ऋतु की साँसें ज़ोर-ज़ोर से चल रही थीं। रवि के होंठों पर अपना नाम उसे किसी मिश्री की तरह कानों में मिठास घोलता सा लगा। कितने प्यार से वो पुकार रहा था।
‘ऋतु’
‘हम्म’
‘आई लव यू’
‘एक बार और कहो ना’
‘आई लव यू, आई लव यू, आई लव यू’
‘सच?’
‘तुझे शक है मेरे प्यार पे?’
‘नहीं, पर डर लगता है’
‘किस बात का?’
‘हम भाई-बहन हैं, ये प्यार अगर अपनी सीमाएँ लाँघ गया तो क्या होगा? कब तक इसे छुपा के रख सकेंगे? जब मम्मी-पापा को पता चलेगा तब क्या होगा? जब हमारी शादी होगी तब क्या होगा?’
‘मुझ पर भरोसा है?’
‘नहीं होता तो यहाँ तक नहीं आती’
‘फिर मुझ पर छोड़ दे सब, मैं तुझ पर कोई आँच नहीं आने दूँगा, कभी तेरा साथ नहीं छोड़ूँगा’
‘ओह रवि, आई लव यू’
अब ऋतु ने अपना सिर उठाकर रवि की तरफ़ देखा। रवि के होंठ झुकने लगे, ऋतु की आँखें बंद हो गईं और जैसे ही दोनों के होंठ आपस में मिले, दोनों के जिस्म में एक बिजली की लहर दौड़ गई।
दोनों की धमनियों में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है। साँसें एक-दूसरे में घुलने लगती हैं। जिस्मों का तापमान बढ़ने लगता है। ऋतु के होंठ खुल जाते हैं और रवि उसके होंठ चूसने लगता है, बिल्कुल आराम से, कोई जल्दी नहीं, जैसे मिश्री की मिठास चूस रहा हो। ऋतु के हाथ ख़ुद-ब-ख़ुद रवि के चेहरे को थाम लेते हैं और रवि के हाथ ऋतु की पीठ को सहलाने लगते हैं।
थोड़ी देर बाद ऋतु भी रवि का होंठ चूसने लगती है। दोनों बिल्कुल खो जाते हैं। समय जैसे रुक जाता है इन दोनों की प्रेम लीला को देखने के लिए।
जब साँस लेना दूभर हो जाता है तो दोनों अलग होते हैं और हाँफते हुए अपनी साँस सँभालने लगते हैं। रवि की नज़र टेबल पर पड़ी स्कॉच की बोतल पर जाती है और वो बोतल थामकर 3-4 घूँट मार लेता है और बिस्तर पर बैठकर ऋतु को अपनी गोद में बिठा लेता है।
दोनों अपलक एक-दूसरे को देखते रहते हैं और फिर जैसे एक बिजली कौंधती है, दोनों के होंठ फिर एक-दूसरे से चिपक जाते हैं और इस बार जुबानें आपस में अंगड़ाइयाँ लेने लगती हैं। दोनों एक-दूसरे का थूक पीते रहते हैं। रवि का हाथ रेंगता हुआ ऋतु के उरोज को थाम लेता है।
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाईiiiiiiii
ऋतु सिसक पड़ती है और ज़ोर से रवि के होंठ को चूसने लगती है।

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अपडेट 59

रवि के हाथ का कसाव रितु के उरोज पे बढ़ जाता है पर इतना भी नहीं कि रितु को दर्द महसूस हो और रितु के जिस्म में बेचैनी बढ़ जाती है।
रितु की चूत से रस बह बह कर रवि के पजामा को गीला कर रहा था। रवि उसे बिल्कुल एक नाजुक गुलाब के फूल की तरह ले रहा था, कहीं फूल की पंखुड़ी में कोई चोट ना आ जाए।
रितु के होंठ छोड़, रवि के होंठ रितु की गर्दन पे आ जाते हैं और वो बड़े प्यार से उसे चूमने और चाटने लगता है।
जिस्म में उठती हुई चिंगारियाँ रितु की सिसकियों का आह्वान करने लगती हैं और रितु खो जाती है रवि के प्यार में। रितु के हाथ भी रवि के जिस्म को सहलाने लगते हैं। कसा हुआ कसरती बदन छूने पे रितु खुद को संभाल नहीं पाती और फिर उसके होंठ रवि के होंठों से भिड़ जाते हैं।
जिस्म की प्यास से मजबूर रितु बहकती जा रही थी, पर फिर भी दिमाग का कोई कोना जागरूक था, जो इतनी जल्दी उसे आगे बढ़ने नहीं दे रहा था।
अचानक रितु अपने होंठ रवि से अलग कर लेती है।
वो रवि की गोद से उठ जाती है। रवि अवाक उसे देखता रह जाता है।
‘भाई मुझे माफ़ करना, शायद अभी मैं इस सब के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हूँ’
‘इधर आ मेरे पास बैठ’
ना चाहते हुए या चाहते हुए, बीच मझधार में फंसी रितु उसके पास बैठ जाती है।
‘गुड़िया मैं जानता हूँ तुझे क्या चाहिए- भरोसा रख तेरी मर्जी के बिना मैं कभी आगे नहीं बढ़ूँगा- मैं तब तक ठहर नहीं छोड़ूँगा जब तक तू खुद नहीं बोलेगी’
‘वादा’
‘हाँ वादा’
‘ओह भाई, आई लव यू, आई लव यू’ कहते हुए रितु फिर रवि को चूमने लगती है, वो पागलों की तरह रवि के चेहरे पे चुम्बनों की बौछार कर देती है।
रवि उसे धीरे से बिस्तर पे लिटा देता है। उसके मदमाते यौवन की चट्टा का रस पान करता है और उसके जिस्म को चूमने लगता है होंठों से नीचे गर्दन, गर्दन से नीचे उसकी छाती का ऊपरी हिस्सा फिर एक एक उरोज पर हलके हलके चुम्बन करता है। रितु के निप्पल सख्त हो नाइटी को फाड़ने की कगार पे पहुँच जाते हैं। रवि हलके हलके उन्हें चूमता है और फिर नाइटी समेत ही उन्हें चूसने लगता है।
उउउफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ ब्ब्ब्ब्भ्ह्ह्ह्ह्हाईईईई
क्या कर रहे हो………उउउईईईईईईई म्म्म्म्म्मुुुुुुम्म्म्म्म्म्मीईईईई
रवि धीरे धीरे दोनों निप्पल एक एक कर चूसता है, हलके हलके काटता है और बिना कोई जोर डाले हलके हलके उसके उरोज सहलाता है।
रितु का जिस्म तड़पने लगता है, एक डर उसके अंदर बैठ जाता है कि कहीं वो खुद ही तो वो रेखा नहीं तोड़ देगी जिसमें उसने रवि को बाँधा था। ऐसी होती है जिस्म की प्यास, जो इंसान को सब कुछ भुलाने पे मजबूर कर देती है।
काफी देर तक रवि उसके दोनों उरोज को अच्छी तरह चूसता है, पर बिना कोई दर्द दिए, सिर्फ अहसास और उत्तेजना की भावनाएँ रितु को तड़पाती रहती हैं, वो इतनी उत्तेजित हो जाती है कि नागिन की तरह बल खाने लगती है। उसके जिस्म का पोरे पोरे एक सुखद अहसास की अनुभूति से भर जाता है।
ब्ब्ब्ब्भ्ह्ह्ह्हाईईईईईईईई आआआआआईईईईई म्म्म्म्म्माााा
उसकी सिसकियों का जैसे बाँध टूट पड़ता है, शायद वो इस दुनिया से दूर कहीं और किसी और दुनिया में चली जाती है, रह रह कर उसकी कुलबुलाती चूत अपने अंदर उठती ज्वाला से उसे जला रही थी, मजबूर हो कर वो अपनी टाँगे पटकने लगती है।

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अपडेट 60

रवि उसके उरोज छोड़ कर नीचे बढ़ता है और उसकी जाँघें थाम कर हलके हलके चुम्बन कर के उसकी चूत की तरफ बढ़ता है।
रितु के जिस्म में आग के शोले उठने लगते हैं उसकी सिसकारियाँ तेज हो जाती हैं।
रवि उसकी छोटी सी प्यारी चूत पे पहुँच जाता है जो बिल्कुल किसी संतरे की फाँक की तरह दिख रही थी और अपने छोटे होंठ खोल और बंद कर रही थी।
रवि की जुबान जैसे ही उसकी चूत को छूती है, रितु के जिस्म में एक झलझला आ जाता है। उसका जिस्म अकड़ जाता है और वो अपनी चूत से कर्मस की नदी ब्हा देती है, जिसे रवि चट्टे हुए पीने लगता है।
रितु का संखलन इतनी जोर का हुआ था कि उसकी आँखें मुंद गई और जिस्म ढीला पड़ गया।
रवि ने से थोड़ी देर के लिए छोड़ दिया ताकि वो अपने आनंद को अपने अंदर समेट सके।
अब रवि अपने सारे कपड़े उतार देता है और रितु के साथ लेट कर उसके पतले होंठों पे अपनी उंगलियाँ फेरने लगता है।
थोड़ी देर में रितु अपनी आँखें खोलती है, तो रवि उसकी नाइटी को उसके जिस्म से अलग कर देता है। रितु की नजर जब रवि पे पड़ती है तो शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर लेती है।
रवि उसके होंठ पे किस करता है।
‘रितु आँखें खोल ना’
रितु ना में सर हिलाती है।
रवि उसका हाथ पकड़ के अपने लंड पे रखता है। रितु अपनी आँख खोल के देखती है फिर झट से बंद कर लेती है, और अपना हाथ हटाने की कोशिश करती है, उसके जिस्म में झुरझुरी दौड़ जाती है, रवि उसका हाथ हटने नहीं देता। धीरे धीरे रितु उसके लंड को थाम लेती है और अपने आप ही उसका हाथ उसके लंड को सहलाने लगता है।
रवि उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाता है और उसके होंठ चूसने लगता है। रितु की पकड़ उसके लंड पे सख्त हो जाती है। वो भी खुल के रवि का साथ देने लगती है। जिस्म में फिर चिंगारियाँ उठने लगती है।
रवि से धीरे धीरे लिटा देता है और उसके जिस्म के साथ चिपक जाता है। अपने साथ पहली बार रितु को किसी मर्द के नंगे जिस्म के सटने का अहसास हुआ था। उसके दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, साँसों में तेजी आ जाती है।
रवि की उत्तेजना भी बहुत बढ़ गई थी, पर वो खुद पे संयम रख कर बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था ताकि रितु को सम्पूर्ण आनंद मिले। रितु का हाथ अभी भी रवि के लंड पे था और वो धीरे धीरे उसे सहला रही थी, उसके जिस्म में इस वजह से रोमांच बढ़ता जा रहा था।
रवि उसके जिस्म के पर आ जाता है, उसके यौवन कलश को अपने हाथों में थाम उसके होंठ पे अपने होंठ रख देता है। रवि की लंड रितु के हाथ से छूट जाता है और वो उसके जिस्म को अपने साथ बीनच कर उसकी पीठ पे अपने हाथ फेरने लगती है।
रवि का लंड उसकी जाँघों के बीच में आ कर उसकी चूत का चुम्बन लेने लगता है।
उत्तेजना और डर दोनों ही रितु को हिला के रख देते हैं और वो पागलों की तरह रवि के होंठ चूसने लगती है। दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे। उसकी सिसकियाँ रवि के होंठों के बीच अपना दम तोड़ती रहती हैं।
रवि उसके उरोजों का मर्दन करने लगता है। कभी दबाता है तो कभी निप्पल उमेठने लगता है। रितु की चटपटाहट बढ़ती है वो अपनी टाँगे बीनच कर रवि के लंड का अहसास अपनी चूत पे महसूस करती है। टाँगे खोलती है, बंद करती है। एक अजीब नशा उसपे चढ़ने लगता है, जिस से वो बिल्कुल अनजान थी। वो इस नशे में डूब जाती है और रवि से और चिपकने लगती है।
अचानक बाहर बड़ी जोर की आवाज होती है। दोनों भाई बहन होश में आते हैं। रितु बहुत घबरा जाती है, फटाफट अपनी नाइटी पहनती है, रवि अपना पजामा पहन कर बाहर निकलता है तो देखता है कि रमण फर्श पे गिरा पड़ा था।
रवि उसके पास जा कर उसे उठाता है। ‘क्या हुआ पापा, गिर कैसे गए।’
रमण: बस नींद में ध्यान नहीं रहा और ठोकर लग गई। आह्ह्ह
रवि: पापा ज्यादा लगी है क्या
रमण: लगता है कमर में मोच आ गई। मुझे बिस्तर तक ले चल और पानी की एक बोतल ले आ।
तब तक रितु भी आ जाती है और रवि के साथ मिल कर रमण को उसके बिस्तर पे लिटा देती है।
रितु: भाई तू पानी ले आ, मैं पापा की कमर पे आयोडेक्स मल देती हूँ, उन्हें आराम मिल जाएगा।
रवि जा कर पानी ले आता है। रमण पानी पी कर बिस्तर पे लेट जाता है।
रितु: भाई जा के सोजा, मैं पापा को आयोडेक्स लगा कर सोने चली जाऊँगी।
रवि का चेहरा उतर जाता है और वो चुप चाप अपने कमरे में चला जाता है। अब नींद कहाँ आनी थी। अभी भी उसे अपने जिस्म के साथ रितु के जिस्म का अहसास हो रहा था। वो बिस्तर पे करवटें बदलता रहता है।
इधर रितु की नाइटी वही थी, जिसमें उसका सारा जिस्म झलक रहा था। रमण की नजरें जब रितु पे पड़ती हैं तो फिर उसके अंदर वासना जागने लगती है, उसका लंड फिर खड़ा होने लगता है।
रितु उसकी कमर पे आयोडेक्स लगा के जाने लगती है तो रमण उसे अपने ऊपर खींच लेता है और रितु ऐसे गिरती है कि उसके होंठ रमण के होंठ से सट जाते हैं और रमण की बाहें उसे खुद से चिपका लेती हैं।
रमण पागलों की तरह उसके होंठ चूसने लगता है, रितु पहले से ही बहुत गर्म थी, तो वो भी रमण का साथ देने लगती है। दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं।
रमण की जुबान जैसे ही रितु के मुँह में घुसती है, रितु सिहर जाती है और कस के रमण को पकड़ लेती है और उसकी जीभ चूसने लगती है।
रमण अचानक अपना हाथ रितु के उरोज पे ले आता है तो रितु को एक झटका लगता है। वो रमण से अलग हो कर बैठ जाती है।
‘अभी आपने मेरे सवाल का जवाब देना है पापा। बस अब और इस से आगे नहीं’ कह कर रितु अपने कमरे में चली जाती है।
उसके दिमाग में अब तक जो हुआ वो घूमने लगता है, रवि से तो वो प्यार करने लगी थी, पर उसके पापा जो उसके साथ करना चाहते हैं वो उसे अजीब लग रहा था।
फिर दिमाग में खयाल आया कि जब वो भाई के साथ सब कुछ करने को तैयार है तो पापा के साथ भी कर सकती है, फर्क क्या पड़ेगा, दोनों ही तो घर के और उसके अपने हैं।
उसके चेहरे पे एक मुस्कान आ जाती है, उसे रवि का उतरा हुआ चेहरा याद आता है और उसके कदम उसे रवि के कमरे की तरफ खींचने लगते हैं।

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