अपडेट 50
विमल के कानों में तो झगड़े की वो आवाज़ अभी तक गूँज रही थी। एक मर्दाना आवाज़ भी थी उसमें, तभी मासी ने उसे कमरे में नहीं घुसने दिया, यानी डैड कमरे में थे और मासी के साथ जबरदस्ती कर रहे थे। जबरदस्ती का खयाल आते ही उसे गुस्सा चढ़ जाता है और वो सुनिता को खुद से अलग करता है और उसकी आँखों में घूरने लगता है। विमल की आँखों की चुभन सुनिता से सही नहीं जाती और वो नज़रें झुका लेती है।
विमल: क्या डैड आपके साथ जबरदस्ती कर रहे थे?
सुनिता उसके सवाल से चौंक उठती है, खुद को संभालती है और
'ये क्या बेहूदगी भरी बात कर रहा है तू, अपने डैड के बारे में ऐसा बोलता है तुझे शर्म नहीं आती।'
विमल: आती है, बहुत आती है, उन्हें अपना डैड कहने में भी शर्म आती है। अगर आप उनके साथ मर्जी से होती, तो मुझे इतना दुख ना होता, पर जबरदस्ती मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता। और मुझ से ये झूठ मत बोलो कि उस वक्त वो कमरे में नहीं थे। इस घर में रात के इस वक्त दो ही आदमी हैं, मैं और डैड, मैं बाहर था तो जाहिर है डैड अंदर थे, तभी आपने मुझे कमरे में घुसने नहीं दिया।'
सुनिता: तुझे मेरी कसम, अगर इस बात का जिक्र तूने कभी किसी के सामने अपने मुँह से निकाला। गलती इंसान से ही होती है और तेरे डैड कोई भगवान नहीं, जो गलती ना करे।
विमल देखता ही रह जाता है कि मासी उसके डैड को बचा रही है। वो अपनी नज़रें झुका लेता है।
सुनिता उसके करीब जाती है और उसे अपने सीने से लगा लेती है।
सुनिता के सीने से लग जाने पे क्यों विमल को अद्भुत सा सकून मिलता है, इतना तो कभी अपनी माँ के सीने से लग कर नहीं मिला था। उसके दिल से बाप के लिए उठी नफरत गायब हो जाती है, बस सुनिता के जिस्म से उठनेवाली सुगंध उसकी नस नस में समाने लगती है। सुनिता की भी बरसों से प्यासी ममता को प्यार की चिन्ते मिलने लगती है, उसकी पकड़ विमल पे और सख्त हो जाती है। थोड़ी देर बाद वो विमल को अपने सामने करती है और फिर उसके चेहरे को चुम्बनों से भरने लगती है। अचानक दोनों के होठ एक दूसरे को छू जाते हैं और वहीं रुक जाते हैं। हर तरफ एक सन्नाटा सा छा जाता है। होठों का कम्पन बढ़ जाता है और विमल के हाथ सुनिता के नितम्बों पे कस कर उसे अपनी तरफ खीच लेते हैं। सुनिता की बाहें विमल के गले से लिपट जाती हैं।
जैसे ही विमल उसे अपनी तफ दबाता है उसका खड़ा लंड सुनिता की चूत से टकरा जाता है। दोनों कहीं और पहुँच जाते हैं। होठ से होठ चिपके हुए थे और जिस्म से जिस्म चिपके हुए थे।
ये अहसास दोनों को एक अनजानी मंजिल की तरफ खींचने लगता है। होठ बस होठ की नरमी मेहसूस करते रहते हैं उनके बीच और कोई हरकत नहीं होती। समय वहीं बंद हो के रह जाता है।
कितनी ही देर दोनों ऐसे ही खड़े रहे और फिर अचानक सुनिता को एक झटका लगता है और वो दुनिया में वापस आती है। झटके से खुद को विमल से अलग करती है। विमल की आँखों में एक अजीब सी चाहत देख कर घबरा जाती है। 'नहीं बेटा ये गलत है'
कह कर दरवाजे की सिटकनी खोलती है और कमरे से बाहर निकल वहीं दीवार के सहारे खड़ी हो जाती है। उसके दिमाग में हथौड़े बजने लगते हैं, ये क्या हो गया, अपने बेटे के साथ वो ऐसा कैसे कर सकती है, सोचते सोचते आँखें आँसू से भर जाती हैं। टाँगों में जैसे जान ही नहीं रहती और वो दीवार से घिसटती हुई वहीं बैठ जाती है।
विमल को भी झटका लगता है, ये क्या हुआ था, एक तड़प उसके दिल और जिस्म में भर जाती है। कितनी देर वो ऐसे ही खड़ा रहता है और फिर कमरे से बाहर निकल देखता है कि सुनिता वहीं दीवार के सहारे बैठी रो रही थी।
विमल उसके पास जाता है और उसके आँसू पोंछ कर उसे उठाता है। सुनिता को अब भी वो चाहत उसकी आँखों में नज़र आती है और वो हिल के रह जाती है। विमल उसे सहारा दे कर उसके कमरे तक ले जाता है।
'मासी दरवाजा अंदर से बंद कर लो' गहरी नज़रों से सुनिता को देखता है और फिर सर झुका कर अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है। ऐसा लग रहा था जैसे अपनी टाँगों को हुकम दे रहा हो किसी तरह अपने कमरे तक जाने के लिए।
पत्थर की मूर्ति बनी सुनिता उसे जाता हुआ देखती रहती है और आँखों से मोती टपकते रहते हैं।
विमल किसी तरह अपने कमरे में पहुँच कर बिस्तर पे गिर पड़ता है और जो हुआ उसे सोचता रहता है। नींद किस चिड़िया का नाम है ये वो भूल चुका था।
कितनी देर सुनिता दरवाजे पे खड़ी रहती है और उस रास्ते को देखती रहती है जिसपे विमल चल के अपने कमरे तक गया था। खड़े खड़े जान थक जाती है, टाँगों में जब जान बाकी नहीं रह जाती तो दरवाजा अंदर से बंद कर बिस्तर पे लुड़क कर रोने लगती है।
अगले दिन की सुबह क्या गुल खिलाएगी। देखते हैं अगले अपडेट में।
अपडेट 51
रात अभी बाकी है, बात अभी बाकी है।
जिस वक्त रमेश अपने कमरे से निकल कर सुनिता के कमरे की तरफ बढ़ा था काम्या उसके पीछे लग गई थी। रमेश तो झट से सुनिता के कमरे में घुस गया, पर इससे पहले काम्या आगे बढ़ती, उसने विमल को सोनी के कमरे से निकलते हुए देखा, उसके कदम वहीं रुक गए और उसने खुद को छुपा लिया। विमल जब सुनिता के कमरे के आगे रुक गया तो काम्या की साँसे अटक गई, कहीं रमेश विमल की भी नज़रों से गिर ना जाए। फिर जो हुआ वो आप पढ़ चुके हो। अब जब सुनिता, विमल के साथ उसके कमरे में चली गई तो मरता क्या न करता रमेश कमरे से बाहर निकला और जैसे ही नीचे जाने लगा उसके सामने काम्या खड़ी हुई थी, जिसकी आँखें इस वक्त गुस्से से लाल पड़ी थी।
रमेश ने एक पल काम्या को देखा फिर नज़रें झुका कर नीचे उतर गया और काम्या उसके पीछे उतरी।
दोनों जब कमरे में पहुँचे तो काम्या ने पहले दरवाजा बंद किया और फिर रमेश पे बरस पड़ी।
काम्या: मैं तुम्हें आखिरी बार कह रही हूँ। सुधर जाओ अब बहुत हो चुका। बच्चे बड़े हो चुके हैं और ये बातें छुपती नहीं हैं।
मुझे डर लग रहा है कहीं सुनिता ने सच विमल को बता दिया तो फिर जिंदगी भर तुम उसकी शक्ल देखने को तरस जाओगे। और ये मत भूलो, विमल के साथ मैं और दोनों लड़कियाँ भी तुम्हें छोड़ जाएँगे। हम्मे से कोई भी विमल के बिना नहीं रह सकता। सोनी और जस्सी तो बिल्कुल भी नहीं और मैं तो ये दिन भी कैसे काट रही हूँ जब वो हॉस्टल जाता है, ये मुझे पता है।
रमेश काम्या को अपनी बाहों में समेटने की कोशिश करता है तो काम्या उसके हाथ झटक देती है। तुम्हारी यही सजा है आज रात अकेले काटो कमरे में। मैं जा रही हूँ ऊपर, देखूँ कोई समस्या तो नहीं खड़ी हो गई।
काम्या ऊपर जाती है। सुनिता का कमरा अंदर से बंद था, उसे तस्सली होती है कि शायद अब सुनिता सो चुकी होगी।
फिर वो विमल के कमरे के पास जा कर देखती है, दरवाजा खुला हुआ था और विमल ज़मीन पे बैठा रो रहा था। काम्या का दिल धड़क उठता है। ऐसा क्या हो गया? वो कमरे के अंदर चली जाती है और दरवाजा अंदर से बंद कर देती है।
विमल के पास जा कर उसके सर पे प्यार से हाथ फेरती है।
काम्या: क्या बात है विमू, ये तू नीचे बैठ के रो क्यों रहा है?
विमल कोई जवाब नहीं देता बस सुबकता रहता है।
काम्या: (उसके कंधे पकड़ के उसे उठाने की कोशिश करती है) चल उठ यहाँ मेरे पास ऊपर बैठ।
विमल उठ कर बिस्तर पे काम्या के पास बैठ जाता है। गर्दन नीचे झुकी रहती है, आँखों से आँसू बह रहे होते हैं।
काम्या: विमल का चेहरा ऊपर उठा कर - क्या बात है बेटा, अपनी माँ को नहीं बताएगा। आधी रात को इस तरह रो क्यों रहा है? क्या बात हुई है?
विमल कुछ नहीं कहता बस पलट कर काम्या से चिपक जाता है।
काम्या उसे अपने सीने से लगा लेती है और प्यार से उसके सर पे हाथ फेरने लगती है।
विमल का चेहरा काम्या के उरोजों के बीच में होता है और काम्या के बदन से आनेवाली खुशबू उसकी साँसों में चढ़ने लगती है। वो अपना चेहरा काम्या के उरोजों की घाटी में रगड़ने लगता है और उसके दोनों गालों पे काम्या के उरोज अपनी मुलायमता के साथ चिपके होते हैं।
काम्या ने नाइटी पहनी हुई थी जो कुछ सेमी ट्रांसपेरेंट थी और उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी।
काम्या उसे बार बार पूछती है, पर विमल कोई जवाब नहीं देता बस अपना चेहरा उसके उरोज के साथ रगड़ता रहता है।
काम्या भी जोर से उसे अपने साथ चिपका लेती है और विमल अपनी बाहों का घेरा काम्या की पीठ पे डाल कर उसे अपनी तरफ दबाता है।
काम्या: बस बेटा रोते नहीं, तेरी माँ है ना तेरे पास सब ठीक कर देगी, अपने दिल की बात अपनी माँ से नहीं करेगा (प्यार से उसके सर पे हाथ फेरती रहती है)
काम्या और विमल दोनों के ही हिलने से विमल का मुँह काम्या के निप्पल पे आ जाता है और उसके होठ निप्पल को अपने कब्जे में कर लेते हैं। पतली नाइटी के साथ ऐसा लग रहा था जैसे निप्पल सीधा उसके मुँह में समा गया है।
आह्ह्ह काम्या सिसक पड़ती है और उसके हाथ अनजाने में विमल के सर को अपने उरोज पे दबा देते हैं। विमल का मुँह और खुल जाता है और वो काम्या के उरोज को मुँह में भर के अपनी जीभ चलाने लगता है।
विमल जोर लगा कर काम्या को बिस्तर पे लिटा देता है और जोर जोर से काम्या के निप्पल को चूसने लगता है। विमल का दूसरा हाथ काम्या के दूसरे उरोज को मसलना लगता है और वो काम्या की टाँगों के बीच में आ जाता है।
काम्या की चूत गीली हो चुकी थी। जैसे ही विमल का कड़ा लंड उसे छूता है उसे झटका लगता है और वो फट से विमल को अपने ऊपर से हटा देती है।
'नहीं विमू ये सब नहीं, माँ बेटे में ये सब नहीं होता।'
'मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ मम्मी प्लीज़ मुझे मत रोको'
'नहीं विमू ये नहीं हो सकता। मैं भी तुझ से बहुत प्यार करती हूँ। पर माँ बेटे में सेक्स नहीं होता।' काम्या उठ के खड़ी हो जाती है और कमरे से बाहर जाने लगती है। विमल लपकता है और काम्या को खींच कर अपनी बाहों में जकड़ लेता है।
'फिर वो क्या था मम्मी जो दिन से मुझे दिखा रही थी। मैं तो तुम्हें डैड के साथ सब कुछ करते हुए देख चुका हूँ।'
'उसका एक मकसद था जो पूरा हो चुका है। तू बस सोनी का खयाल रख।'
'मतलब'
'मतलब तेरे और सोनी के बीच जो हुआ है मैं जानती हूँ। तुझे इसलिए वो सब दिखाया था ताकि तू करना सीख जाए और सोनी का खयाल रख सके, मैं नहीं चाहती थी कि सोनी को मजबूर हो कर घर के बाहर मुँह मारना पड़े और हमारी बदनामी हो'
'मम्मी लेकिन ........'
'बस विमू ये बात सिर्फ तू और मैं जानते हैं, सोनी को नहीं पता चलना चाहिए, और अब तू मेरे करीब इतना कभी नहीं आएगा'
'ठीक है मम्मी, अगर मैं सच में तुम्हें प्यार करता हूँ, तू एक दिन आप खुद मेरे पास आओगी। मैं उस दिन का इंतज़ार करूँगा।'
'वो दिन कभी नहीं आएगा विमू, ये बात अपने दिल से निकाल दे'
'देखते हैं मम्मी कौन जीतता है, आपका हठ या मेरा प्यार।'
काम्या कमरे से बाहर निकल जाती है और सोनी के कमरे में जा कर उसके साथ लेट जाती है। उसकी नींद पूरी उड़ चुकी थी।
विमल भी रात भर जागता रहता है।
अपडेट 52
ये रात सब की जिंदगी में एक कहर लेके आने वाली थी। सुनिता को नींद नहीं आ रही थी, उसे अपने होठों पे विमल के होठों का अहसास तड़पा रहा था, उसके लंड की चुभन अपनी चूत में मेहसूस हो रही थी। बरसों से जिस बेटे से दूर रही थी वो, उसका सामीप्य उसके वज़ूद को हिला रहा था। बार बार अपने होठों पे अपनी जुबान फेर कर वो विमल के होठों की चुआन को मेहसूस कर रही थी, जो कुछ हुआ था वो अनजाने में हुआ था पर उसका असर बहुत भयंकर हो रहा था।
उधर काम्या को विमल के होठ अपने निप्पल पे मेहसूस हो रहे थे, कितना भी वो खुद को विमल से दूर रखना चाहती थी पर ये होठ उसे तड़पा रहे थे। विमल की आँखें उसे अपने जिस्म में गड़ती हुई मेहसूस हो रही थी।
जैसे ही वो सोनी के बिस्तर में लेटी, सोनी ने उसे बाहों में भर लिया। विमल के जाने के बाद उसे नींद नहीं आ रही थी, उसकी चूत में आग लग चुकी थी। अपनी माँ को अपने पास पा कर उसे अपनी आग बुझाने का रास्ता मिल चुका था। सोनी जैसे ही काम्या के साथ चिपकी, उसे काम्या के गीले उरोज का आभास हो गया। हालाँकि माँ बेटी दोनों आपस में एक दूसरे के जिस्म के साथ खेल चुकी थी, पर अभी भी इतना नहीं खुली थी, इसलिए सोनी कुछ नहीं बोलती।
काम्या ने सोनी को खुद से दूर करने की कोशिश की, पर सोनी कहाँ मानने वाली थी, उसने काम्या के होठों से अपने होठ चिपका दिए। सोनी के हाथ काम्या के उरोज मसलने लगे। काम्या विमल के साथ बहुत गरम हो के आई थी, इसलिए वो ना चाहते हुए भी सोनी के साथ बहने लगी।
दोनों एक दूसरे के होठ चूसने लगती है और कपड़े जिस्म का साथ छोड़ देते हैं। जुबानें जैसे एक दूसरे से युद्ध कर रही थी। जिस्मों का तापमान बढ़ने लगता है और दोनों एक दूसरे के उरोज मसलने लगती हैं।
दोनों के निप्पल तरसने लगते हैं होठों में समाने के लिए। दोनों ही पोजीशन बदलती हैं ताकि दोनों एक दूसरे का निप्पल चूस सके। जिस्मों की थरथराहट बढ़ जाती है। सिसकियाँ मुँह में घुटने लगती हैं।
वासना का ज्वारभाटा उठने लगता है। दोनों की चूत कुलबुलाने लगती है और रिसते हुए अपना ध्यान रखने का इशारा करती है।
दोनों मचल उठती हैं और 69 में आ जाती हैं। एक दूसरे की चूत से बहते हुए रस को लपलपाने लगती है।
काम्या एक सेकंड में पहचान गई कि सोनी चुद चुकी है, उसकी चूत अब खिले हुए फूल की तरह थी। दोनों ने एक दूसरे की चूत को अपनी उंगलियों से खोला और अपनी जुबान बीच में डाल कर जुबान से चुदाई शुरू कर दी। तेज़ी से दोनों की जुबान एक दूसरे को चोद रही थी और होठों में चूत को जकड़ा हुआ था। दोनों की कमर थोड़ी देर में हिलने लगी और अपनी चूत दूसरे के मुँह पे मार ने लगी।
करीब 10 मिनट तक दोनों एक दूसरे की चूत पे कहर ढालती रही और फिर दोनों ही एक साथ झड़ने लगी और कामरस के चटखारे लेने लगी। जिस्म की आग थोड़ी ठंडी हो चुकी थी।
अब सोनी फिर पलट के काम्या के होठों के पास आ कर उसे चूमने लगी, दोनों अपनी चूत का रस दूसरे के मुँह पे मेहसूस करते हुए एक दूसरे को चूम और चाट रही थी। और फिर एक दूसरे के साथ लुड़क पड़ी।
जब साँसे संभल गई तो दोनों एक दूसरे के जिस्म को सहलाते हुए नींद के आगोश में चली गई।
अगले दिन नाश्ते के बाद दोपहर को निकलने के लिए फाइनल पैकिंग कर जा रही थी, कि जस्सी के कॉलेज से फोन आता है कि स्पेशल लेक्चर्स होनेवाले हैं, बाहर से एक स्पेशलिस्ट टीम आई हुई थी। मन मार कर जस्सी हॉस्टल के लिए निकल जाती है।
दोपहर को लंच के बाद सभी नैनीताल के लिए निकल पड़ते हैं। रमेश और काम्या आगे बैठे हुए थे और रमेश ड्राइव कर रहा था। पीछली सीट पे विमल और सुनिता थे। सुनिता खिड़की के साथ सट के बैठी हुई थी और विमल दूसरी खिड़की के साथ बीच में सोनी बैठी हुई थी। सफर के दो घंटे बाद रमेश गाड़ी एक रेस्तरां के सामने रोक देता है। सभी फ्रेश होने अंदर चले जाते हैं और फिर रमेश सब के लिए कॉफी मँगवा लेता है। सुनिता विमल के पास बैठी हुई थी उसने अपने और रमेश के बीच गैप डाला हुआ था। रमेश बार बार सुनिता की तरफ देख रहा था पर विमल के होते हुए ज्यादा ध्यान और गौर से नहीं देख पा रहा था ऊपर से काम्या भी उससे नाराज़ थी। सोनी नोट कर रही थी कि किस तरह रमेश बार बार सुनिता को देख रहा है और उसके चेहरे पे मुस्कान आ रही थी जा रही थी। विमल चुप चाप कॉफी पीता है, वो ना तो काम्या से नज़रें मिला रहा था ना ही सुनिता से।
इस बार चलते वक्त सोनी सुनिता को अंदर बैठने को बोलती है और खुद खिड़की पे आ जाती है। अब सुनिता एक तरह से विमल के साथ चिपकी हुई थी। दोनों की जाँघे आपस में रगड़ खा रही थी। सुनिता के बदन से उठती हुई खुशबू विमल को बेकाबू कर रही थी और वो अपने जिस्म का बोझ सुनिता पे डालने लगता है।
रमेश बैक व्यू मिरर से बार बार सुनिता पे नज़रें गड़े हुए था, सुनिता इससे चिढ़ जाती है और विमल की गोद में सर रख लेती है ताकि वो रमेश को नज़र ही ना आए।
विमल को एक झटका सा लगता है और उसके हाथ सुनिता के गालों को सहलाने लगते हैं। उसका लंड खड़ा होने लगता है जो सुनिता को अपने गाल पे चुभता हुआ सा मेहसूस होता है, वो अपनी पोजीशन थोड़ी चेंज कर विमल की जाँघों पे अपना सर रखती है ताकि उसके लंड से थोड़ी दूर रह सके पर उठती नहीं।
विमल की हालत खराब हो रही थी, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करे।
विमल गाड़ी रुकवाता है, बाहर जा कर पिशाब करता है और फिर सोनी की साइड में आ कर उसे अंदर होने के लिए बोलता है। सुनिता अब दूसरी खिड़की के पास हो जाती है और अब वो रमेश को नज़र नहीं आ सकती थी।
अपडेट 53
इनोवा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती जा रही थी, हवा में ठंडक आने लगी थी। सोनी पीछे पड़े बैग में से शॉल्स निकालती है दो आगे देती है काम्या को। रमेश गाड़ी रोक कर शॉल ओढ़ लेता है। एक शॉल वो सुनिता को देती है और एक वो विमल के ऊपर डाल कर खुद भी उसके साथ चिपक जाती है।
सुनिता शॉल ओढ़ कर बंद खिड़की के साथ टेक लगा लेती है और अपनी आँखें बंद कर लेती है उसे अपने चेहरे पे विमल के खड़े लंड की चुभन परेशान करती रहती है।
सोनी विमल की जाँघों पे हाथ फेरने लगती है और सीधा उसके लंड तक पहुँच जाती है। अपने लंड पे सोनी के हाथ को मेहसूस कर विमल चौंक पड़ता है और नज़रें घुमा कर सुनिता की तरफ देखता है जो आँखें बंद कर के पड़ी ही थी। सुनिता के खूबसूरत चेहरे की कशिश विमल के लंड को और भी सख्त कर देती है वो अपनी आँखें बंद कर सुनिता के साथ हुए छोटे लम्हें के चुम्बन को मेहसूस करने लगता है। उसका लंड झटके मारने लगता है और अब पैंट में उसे बंद रखना विमल के लिए मुश्किल हो जाता है, सोनी उसकी पैंट की ज़िप खोल कर उसके लंड को बाहर निकाल कर उसे राहत दिलाती है और अपने कोमल हाथों से उसे सहलाने लगती है।
विमल बंद आँखों में सुनिता का तस्सवुर लिए हुए सोनी को सुनिता समझने लगता है और उसे कस के अपने साथ चिपका लेता है। सोनी अपने मुँह से निकलने वाली चीख को बड़ी मुश्किल से रोकती है। विमल सोनी के उरोज को पकड़ मसलने लगता है और सोनी के हाथ उसके लंड पे तेज़ी से चलने लगते हैं।
रमेश एक दो बार पीछे देखता है पर कोने में डुबकी सुनिता उसे नज़र नहीं आती। काफी देर से वो कार चला रहा था और थक चुका था। थोड़ी दूर उसे एक अच्छा रेस्तरां दिखता है तो वो कार रोक लेता है।
कार के रुकते ही विमल और सोनी को झटका लगता है और विमल बड़ी मुश्किल से अपने लंड को पैंट में घुसाता है। विमल कार से निकल सीधा बाथरूम की तरफ भागता है उसे यूँ भागता हुआ देख कर सोनी हँसने लगती है।
काम्या उससे हँसी की वजह पूछती है तो सोनी भागते ही विमल की तरफ इशारा करती है। काम्या के चेहरे पे भी हँसी आ जाती है। सुनिता कुछ उदास सी लग रही थी, काम्या उसके गले में बाहें डाल कर पूछती है 'तेरा मुँह क्यों लटका हुआ है रमन की याद आ रही है क्या?'
अब सुनिता उसे कैसे बताती कि रमन नहीं विमल उसके अंदर समाता जा रहा है 'अरे नहीं दी बच्चों के बारे में सोच रही थी दोनों बड़े शरारती हैं रमन की नाक में दम करके रखा होगा'
'बच्चे शरारत नहीं करेंगे तो क्या तू और मैं करेंगे चल ज़रा फ्रेश होके आते हैं, फिर पता नहीं रास्ते में कोई अच्छा रेस्तरां कब तक मिलेगा'
तीनों लेडीज़ बाथरूम की तरफ बढ़ जाती हैं और रमेश वहीं एक कुर्सी पे बैठ कर सबका इंतज़ार करता है।
विमल को काफी टाइम लगता है बाथरूम में इससे पहले ही काम्या वगैरह आ जाती हैं। उनके आने के बाद रमेश बाथरूम चला जाता है।
विमल का लंड बैठने को तैयार ही नहीं होता, बड़ी मुश्किल से वो उसे पैंट में सेट कर अपनी कमीज़ बाहर निकाल लेता है और बाहर आ जाता है। उसे देख कर सोनी अधरों पे फिर मुस्कान दौड़ जाती है।
काम्या चाय कॉफी मँगवाती है, सब आराम से ठंड के माहौल में गरमा गरम चाय और कॉफी का मज़ा लेते हैं। कॉफी खत्म कर रमेश थोड़ी देर टहलता है और अपने कसे हुए जोड़ों को राहत पहुँचाता है। उसे विमल की ड्राइविंग पे भरोसा नहीं था और तेज़ चलते ही हाइवे पे वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था।
थोड़ी देर बाद सब फिर इनोवा में बैठ जाते हैं। इस बार विमल बीच में बैठा था क्योंकि वो सुनिता के पास बैठना चाहता था। इस बार विमल सुनिता की शॉल में घुस जाता है और सोनी के चेहरे पे गुस्से और जलन के भाव आ जाते हैं।
सुनिता भी उसे मना नहीं करती क्योंकि उसका दिल भी विमल के साथ रहने को कह रहा था।
विमल सुनिता के कंधे पे अपना सर रख कर आँखें बंद कर लेता है जैसे सोने लगा हो, और सुनिता प्यार से उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगती है। विमल का हाथ धीरे धीरे सुनिता की जाँघ पे चला जाता है और वो उसे सहलाने लगता है। सुनिता को एक झटका लगता है पर वो कुछ बोलती नहीं।
विमल अपना दूसरा हाथ सोनी की शॉल में घुसा कर उसकी जाँघ सहलाते हुए उसकी चूत पे अपना हाथ फेरने लगता है। सोनी खुश हो जाती है और वो विमल के साथ चिपक जाती है। सोनी की चूत को सहलाते ही विमल सुनिता के कंधे के नंगे हिस्से पे किस करता है। सुनिता थोड़ा सा मुड़ जाती है और विमल का सर उसकी क्लीवेज पे आ जाता है और वो अपनी जुबान उसकी क्लीवेज पे फेरने लगता है। सुनिता के जिस्म में आग भड़कने लगती है और वो विमल का सर को अपनी छाती पे दबा लेती है। विमल अपने जिस हाथ से उसकी जाँघ सहला रहा था उसे वो सुनिता की कमर के पीछे से ले जा कर उसके उरोज पे रख देता है और कस के उसके साथ चिपक जाता है। अपने उरोज पे विमल के हाथ का अहसास सुनिता में और गर्मी पैदा कर देता है और वो ना चाह कर भी बहती चली जाती है। विमल अपना सर उठा कर सुनिता के होठ पे अपने होठ रख देता है। दोनों के जिस्म को झटका लगता है और विमल कस के सोनी की चूत दबा देता है।
सोनी अपनी सिसकियाँ रोकने के लिए अपना होठ अपने दाँतों में दबा लेती है। सोनी से और बर्दाश्त नहीं होता, वो अपनी सलवार ढीली करती है और पैंटी नीचे सरका देती है, अब विमल का हाथ सीधा उसकी नंगी चूत पे आ जाता है और वो उसकी चूत में अपनी उंगली घुसा देता है। सोनी धीरे धीरे अपनी कमर हिला कर विमल की उंगली से अपनी चूत की चुदाई करने लगती है। कहीं किसी को पता ना चल जाए इस डर की वजह से उसकी तनाव और भी बढ़ जाती है और वो जल्दी ही झड़ने लगती है। जैसे ही सोनी झड़ती है, विमल अपना हाथ खींच लेता है और उसकी शॉल से ही साफ कर अब वो सुनिता को कस के अपने साथ भींचता है और जोर से उसके होठ चूसने लगता है।
सुनिता बहती जा रही थी और वो भी विमल के होठ चूसने लगती है। जैसे ही विमल का हाथ नीचे सरक कर सुनिता की चूत पे पहुँचता है उसे झटका लगता है और वो विमल से अलग हो जाती है।
विमल अपनी गलती पे पछताने लगता है और सुनिता के सामने अपने कान पकड़ कर धीरे से माफी माँगता है। पर सुनिता अपनी पोजीशन बदल कर खिड़की के बाहर देखने लगती है। सुनिता की आँखें नम हो जाती हैं, उसे समझ नहीं आ रहा था क्यों वो विमल के साथ बहकने लगती है।
सोनी जब अपने ऑर्गैज़म से बाहर निकलती है तो अपनी पैंटी और सलवार ठीक कर वो अपनी शॉल विमल पे डाल उसमें घुस कर विमल के लंड को बाहर निकाल कर अपने मुँह में ले कर चूसने लगती है।
विमल का सारा ध्यान सुनिता पे ही लगा रहता है। और साथ साथ वो अपने लंड की चुसाई का मज़ा लेने लगता है।
विमल को डर लगता है कि कहीं सुनिता उसकी तरफ ना देख ले और शॉल के अंदर सोनी की हिलते हुए सर को पहचान ना ले। इस डर और चढ़ती हुई वासना से उसका लंड और सख्त हो जाता है।
सोनी काफी देर उसके लंड को चूसती है पर विमल झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसे तो अब सुनिता की चूत की गर्मी चाहिए थी।
इतने में रमेश फिर गाड़ी रोक देता है और विमल फिर अपने बाप को गाली देता है अपने लंड को मुश्किल से अंदर करता है। सोनी भी संभल के बैठ जाती है।
अपडेट 54
इनोवा के रुकते ही सोनी फटाफट बाहर निकलती है और बाथरूम की तरफ बढ़ जाती है। अंदर जा कर वो अपनी गीली पैंटी उतार के अपने पर्स से दूसरी पैंटी निकाल कर पहन लेती है और उतारी हुई पैंटी वहीं डस्टबिन में फेंक देती है।
काम्या भी खुद को हल्का करने के लिए बाथरूम चली जाती है। सुनिता गाड़ी में ही बैठी रहती है। विमल गाड़ी से बाहर निकलता है और जब देखता है कि सुनिता बाहर नहीं निकलती तो जैसे ही रमेश बाथरूम की तरफ बढ़ता है विमल गाड़ी में सुनिता के पास जा कर बैठ जाता है,
विमल: मासी आप मुझ से नाराज़ हो?
सुनिता कोई जवाब नहीं देती।
विमल: मासी प्लीज़ मुझ से बात करो, नहीं तो मैं जलता रहँगा ये सोच कर कि मैंने आपको तकलीफ दी है। मुझ से जो भी गलती हुई है उसे भूल जाओ और मुझे माफ कर दो, फिर कभी ऐसा नहीं होगा। प्लीज़ मासी आई प्रॉमिस।
सुनिता फिर भी कोई जवाब नहीं देती उसकी आँखों से आँसू बह रहे होते हैं।
विमल से ये बेरुखी बर्दाश्त नहीं होती। वो सुनिता के चेहरे को अपनी तरफ घुमाता है और उसकी आँखों में आँसू देख तड़प उठता है।
विमल: मासी प्लीज़ आप रोना बंद कर दो, मैं अब आप से दूर ही रहँगा। फिर कभी ऐसी कोई गलती नहीं करँगा।
सुनिता ये कैसे बर्दाश्त करती कि विमल उस से दूर हो जाए। वो तड़प कर विमल को अपने से लिपटा लेती है। 'नहीं बेटा तुझ से कोई गलती नहीं हुई। मैं ही बहक गई थी। फिर कभी मुझ से दूर होने की बात मत करना'
इस से पहले कि दोनों में आगे कोई और बात होती बाकी लोग गाड़ी के पास आ जाते हैं। विमल सुनिता से अलग हो कर बैठ जाता है और सुनिता फिर खिड़की के बाहर देखने लगती है।
सब लोग बैठ जाते हैं और रमेश इनोवा स्टार्ट कर हाइवे पे डाल देता है, सड़क थोड़ी खाली लग रही थी इस लिए वो स्पीड बढ़ा देता है ताकि जल्दी पहुँच सके।
सोनी की प्यास भुझ चुकी थी, वो चाहती थी कि विमल की प्यास भी बुझा दे उसका लंड चूस कर पर क्योंकि इस बार रमेश ने जल्दी गाड़ी रोक दी थी इस लिए वो डर रही थी और सफर की थकावट से उसे नींद भी आने लगी थी। वो टेक लगा कर आँखें बंद कर लेती है।
काम्या भी आगे शॉल अच्छी तरह लपेट कर आँखें बंद कर चुकी थी।
तीन लोग जाग रहे थे, रमेश जो ड्राइव कर रहा था, विमल जो अपने और सुनिता के बारे में सोच रहा था और सुनिता जो अभी हुए हादसे के बारे में सोच रही थी, उसे खुद पे हैरानी हो रही थी कि ममता का ये कौनसा रूप है जो उसे विमल के होठों तक ले गया था।
विमल बैठा बैठा सोच रहा था कि जब एक रिश्ते की मर्यादा भंग हो चुकी है तो बाकी रिश्ते भी अगर भंग हो जाते हैं तो क्या फर्क पड़ता है। बहन भाई के नाजुक रिश्ते को तो वो पहले ही लाँघ चुका है अब मासी और माँ के साथ भी अगर सीमाएँ टूट जाती हैं तो क्या फर्क पड़ता है। कौनसा दुनिया में ढिंढोरा पीटना है, बात घर की घर में ही तो रहनी है।
पिछले कुछ दिनों में जो भी उसके साथ हुआ था वो एक एक लम्हा उसकी आँखों के सामने से गुजर रहा था और उसकी तड़प काम्या और सुनिता के लिए बढ़ती ही जा रही थी। वो दोनों को पूरी इज्ज़त भी देना चाहता था साथ ही दोनों को अपने बिस्तर की शोभा भी बनाना चाहता था। कैसे होगा ये सब, बस इसी उधेड़बुन में रहते हुए वो सुनिता की गोद में सर रख कर अधलेटा हो जाता है।
एक पल को सुनिता चौंकती है पर अपने आप उसके हाथ विमल के सर पे फिरने लगते हैं और विमल की आँखें बंद होने लगती हैं। सुनिता भी धीरे धीरे नींद के आगोश में चली जाती है।