जिस्म की प्यास
 
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जिस्म की प्यास

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अपडेट 45

विमल खाना ले के घर आता है तो पता चलता है डैड गुस्से में घर से चले गए हैं और देर से आएँगे।
विमल काम्या से पूछता है।
विमल: माँ क्या बात हुई, आपका झगड़ा क्यों हुआ डैड से।
काम्या: कुछ नहीं बेटा बस ऐसे ही कुछ गलत फहमी हो गई थी।
जस्सी: गलत फहमी या कुछ और, डैड क्या कर रहे थे मासी के साथ।
काम्या: जस्सी!
जस्सी: मैं बच्ची नहीं हूँ माँ। सब जानती हूँ और अपनी आँखों से देखा है। तभी मासी रो रही थी।
विमल: अरे कोई मुझे भी कुछ बताएगा, हुआ क्या?
काम्या: कुछ नहीं हुआ। तुम लोग खाना खा लो। मैं सुनीता को खाना दे के आती हूँ।
विमल खाने की टेबल पे बैठ जाता है।
विमल: जस्सी बता ना क्या हुआ।
जस्सी: कुछ नहीं भाई, भूल जा।
विमल: ना बता, पता तो कर के रहूँगा। तू बताएगी तो ठीक। नहीं तो सीधा कल मासी से पूछूँगा।
सोनी: तू मासी से कोई बात नहीं करेगा। समझा! अभी चुपचाप खाना खा।
विमल: माँ को तो आने दे।
सोनी: पता है ना, जब तक डैड नहीं आएँगे माँ नहीं खाएगी। अब बहस मत कर।
विमल: मैं डैड को फोन करता हूँ।
जस्सी: रहने दे ना। गुस्सा ठंडा होगा आ जाएँगे।
विमल: ये हो क्या रहा है आज इस घर में।
सोनी: तू खाना खा ना।
विमल अपना मोबाइल निकाल कर रमेश को फोन करता है।
विमल: डैड कहाँ हो, खाना ठंडा हो रहा है। जल्दी घर आओ।
रमेश उधर से: तुम खाना खा लो बेटा, मुझे थोड़ी देर हो जाएगी।
विमल: डैड आप आ रहे हो, या लेने आऊँ। और ज्यादा मत पीना। आपकी आवाज़ बता रही है काफी ले चुके हो।
विमल: अच्छा बाबा आता हूँ।
विमल: डैड आ रहे हैं। रुक जाओ। सब साथ में खाएँगे।
जस्सी टेबल से उठ के चली जाती है।
विमल: अब इसे क्या हुआ।
सोनी: मैं लाती हूँ उसे। (और उठ कर जस्सी के पीछे चली जाती है)
विमल टेबल पे परेशान बैठा सोच रहा था कि हुआ क्या है। क्यों मॉम और डैड के बीच झगड़ा हुआ? जस्सी क्यों इतना खुंदक में है? वो बैठा बैठा सोच ही रहा था कि सोनी नीचे आ कर खाने की एक प्लेट ऊपर ले जाती है और थोड़ी देर में नीचे आ जाती है।
विमल: अब ये खाना किस के लिए ऊपर ले गई थी।
सोनी: जस्सी के लिए वो मासी के साथ ऊपर ही खा रही है।
विमल: यार हुआ क्या है?
सोनी: चुप कर अभी रात को बात करेंगे।
इतने में रमेश भी घर आ जाता है, उसने काफी पी रखी थी, कदम लड़खड़ा रहे थे। विमल उसे सहारा दे कर टेबल की तरफ ले के चलता है पर रमेश सीधा अपने कमरे में जाता है और बिस्तर पे गिर पड़ता है।
रमेश ने कभी इतनी नहीं पी थी जितनी उसने आज पी ली थी। सोनी ऊपर जाकर काम्या को नीचे लाती है तो अंदर रमेश के पास चली जाती है।
सोनी: भाई फटाफट खा और हम भी अपने कमरे में चलते हैं। मॉम डैड को खिला देंगी और खुद भी खा लेगी। परसों के लिए पैकिंग भी करनी है।
विमल कुछ नहीं बोलता। फटाफट अपना खाना ख़त्म करता है और सोनी को एक नजर अच्छी तरह देख कर ऊपर अपने कमरे में चला जाता है।
सोनी सारे बर्तन संभालती है। एक नजर माँ के कमरे में डालती है। हल्की हल्की आवाज़ें आ रही थी। अब कोई झगड़ा नहीं हो रहा था। सोनी डोर नॉक करती है अंदर से काम्या की आवाज़ आती है।
‘कौन?’
‘माँ मैं, कुछ चाहिए तो नहीं, किचन सब संभाल दी है मैंने।’
‘कुछ नहीं बेटा जा के सोजा और एक बार चेक कर लेना मासी के रूम में पानी है या नहीं’
‘OK Good night Mom, Good Night Dad.’ बोल कर सोनी ऊपर जाती है। सीढ़ियों पर ही विमल उसका इंतज़ार कर रहा था।
विमल उसका हाथ पकड़ता है तो सोनी छुड़ा लेती है। और धीमी आवाज़ में बोलती है। ‘कमरे में जा मैं आ रही हूँ। एक बार मासी और जस्सी को चेक कर लूँ।’

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अपडेट 46

आज घर में सब लोग जाग रहे थे।
जस्सी की आँखों के सामने वो सीन घूम रहा था, कैसे उसका बाप जबरदस्ती अपनी साली को माँ के सामने ही चूम रहा था। अपने बाप का ये रूप उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
रमेश जाग रहा था, आज बरसों के बाद सुनीता उसके सामने आई थी और वो खुद को रोक नहीं पा रहा था। रमेश ने शादी के बाद ही सुनीता को देखा था, तबसे वो उसका दीवाना बन चुका था। अगर शादी से पहले वो सुनीता को देख लेता तो उसी से शादी करता। ऐसा नहीं था कि वो काम्या से प्यार नहीं करता था पर सुनीता उसकी रग रग में समाई हुई थी। आज वो खुद को रोक नहीं पाया था और सुनीता को देखते ही उसपे टूट पड़ा था, ये भी भूल गया था कि अब बच्चे बड़े हो चुके हैं। अब जस्सी के सामने वो नीचे गिर चुका था और उसे खुद से भी नफरत हो रही थी, काश उसने खुद पे कंट्रोल रखा होता। शराब तो इसलिए पी कि बच्चों को लगे वो नशे में है और रात को इस टॉपिक पे कोई बात ना हो। सुबह देखा जाएगा क्या माहौल बनता है।
काम्या जाग रही थी कि जो आग बरसों पहले बुझ गई थी वो फिर शोलों का रूप ना लेले। इस आग को सुनीता ने ही बुझाया था अपने पति को मजबूर कर के कि वो गल्फ में नौकरी करे।
सुनीता जाग रही थी और सोच रही थी कि उसकी दबी हुई ममता कहीं भड़क ना जाए। वो राज जो इतनों सालों से दबा हुआ है कहीं बाहर ना आजाए। वो नहीं चाहती थी कि उसे फिर वापस भारत आना पड़े पर गल्फ में हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे कि रमन ने उसे मजबूर कर दिया वापस आने के लिए। अब वो भारत में ही रहना चाहता था और बच्चों को भी भारत में रखना चाहता था ताकि वो अपनी मिट्टी की खुशबू सूँघ सकें और उसका आदर करना सीख सकें।
सुनीता के दिमाग में उसके बच्चे रितु और रवि नहीं थे बस विमल ही घूम रहा था। कितना बड़ा हो गया है वो, कितना हैंडसम लगता है। उसे एयरपोर्ट का मिलन याद आ जाता है। कैसे विमल का लंड उसकी चूत पे दस्तक दे रहा था। सोच सोच कर सुनीता की चूत गीली होने लगती है। और वो तकिए को अपनी जांघों में दबा कर सोने की कोशिश करती है। वो रमेश को अपने से दूर रखना चाहती थी। वो अच्छी तरह जानती थी, कि एक बार रमेश फिर उसके करीब आ गया तो सारा घर टूट जाएगा, सब बिखर जाएगा और पाँचों बच्चों की जिंदगी तहस नहस हो जाएगी।
वो अपनी बहन काम्या से बहुत प्यार करती है और उसकी जिंदगी में कांटे नहीं डालना चाहती थी। इसलिए वो खुद को रमेश से दूर रख रही थी।
तीन लोग और भी जाग रहे थे रमन जो पैकिंग में लगा हुआ था।
रितु जो दरवाजे के पीछे छुप कर अपने भाई रवि को देख रही थी। रवि उसकी फोटो हाथ में पकड़ के मुठ मार रहा था और बार बार उसकी फोटो को चूम रहा था। रितु की चूत भी गीली हो जाती है रवि का तमतमाया हुआ मोटा लंबा लंड उसकी आँखों के सामने था। वो हांफती हुई अपने कमरे में चली जाती है और अपनी चूत पे अत्याचार करने लगती है। रितु रवि से छोटी है और अपने भाई को बहुत प्यार करती है। आज पहली बार उसने अपने भाई का लंड देखा और मुठ मारते हुए उसे देखा था। रवि के हाथ में उसकी फोटो थी, इसका मतलब साफ था कि वो उसे चोदना चाहता है। पर आज तक रवि ने कभी भी रितु को इस बात का अहसास नहीं होने दिया था।
विमल जाग रहा था उसे सोनी का इंतज़ार था, उसकी प्यारी बहन जिसकी वजह से उसके लंड को सकून मिलना शुरू हुआ था। कभी सोनी उसकी नजरों के सामने होती, तो कभी काम्या का चुदता हुआ नग्न रूप उसके दिमाग को फाड़ने लगता और कभी सुनीता मासी के भरे भरे बूब्स और चौड़ी गांड उसके सामने घूमने लगती, और इस सबका असर उसके लंड पे हो रहा था जो अपने पूरे रूप में आ कर उसके पजामे को फाड़ने के लिए व्याकुल हो रहा था।
सोनी सुनीता के कमरे में पानी रख कर जस्सी के पास जाती है, वो अभी तक जाग रही थी।
सोनी: क्या हुआ यार अभी तक सोई नहीं। क्या बात हुई थी, बता मुझे, आज तू इतने गुस्से में क्यों आ गई थी।
जस्सी: डैड ऐसे निकलेंगे मैंने सोचा नहीं था।
सोनी: क्या किया डैड ने।
जस्सी: वो मासी को जबरदस्ती चूम रहे थे।
सोनी: तू क्यों बड़ों के बीच आती है। जीजा साली में इतना तो चलता ही है।
जस्सी: पर जबरदस्ती तो ठीक नहीं होती ना।
सोनी: तो क्या मासी खुद मॉम के सामने डैड से बोलती आओ मुझे चूमो। ऐसा ही होता है। इस बात पे ज्यादा तूल मत दे। धीरे धीरे सब समझ जाएगी तू। अभी अपनी MBBS की पढ़ाई पे ही ध्यान दे, इन बातों को अगर देख भी ले तो अनदेखा कर दिया कर। चल सोजा अब। कल पैकिंग करनी है।
जस्सी को सुला कर सोनी धड़कते दिल से विमल के कमरे की तरफ बढ़ती है। विमल जैसे ही उसे देखता है वो लपक कर उसे अपनी बाहों में भर लेता है और इससे पहले सोनी कुछ बोलती विमल के होंठ उसके होठों से चिपक जाते हैं।
आह्ह्ह्ह सोनी की सिसकी निकल पड़ती है जो विमल के होठों में ही दब के रह जाती है।
सोनी, खुद को छुड़ाती है विमल से, ‘नहीं विमल आज नहीं कोई भी आ सकता है, सब जाग रहे हैं’
विमल: क्या यार मुझे नींद कहाँ आएगी तेरे बिना।
सोनी: थोड़ा सब्र रखना भी सीख भाई, इतना उतावलापन अच्छा नहीं होता।
विमल उसे फिर अपनी बाहों में खींच लेता है।
‘जो आदत तूने लगा दी है अब सब्र नहीं होता’ और फिर सोनी के होंठ चूमता है।
सोनी: आह्ह मत कर ना, प्लीज आज रुक जा
मैं जा रही हूँ अपने कमरे में और सोनी फटाफट विमल के कमरे से निकल जाती है। उसके होठों पे मुस्कान थी, विमल को यूँ तड़पता हुआ देख उसे मजा आ रहा था। अपने कमरे में जाती है, पर दरवाजा अंदर से बंद नहीं करती और बाथरूम में घुस जाती है।
विमल तड़प उठता है जब सोनी भाग कर कमरे से चली जाती है। कितनी ही देर वो कमरे में इधर से उधर घूमता ही रहता है। पर जब और रहा नहीं जाता तो वो सोनी के कमरे की तरफ बढ़ जाता है। जैसे ही दरवाजे पे हाथ लगाता है, वो खुल जाता है, यानी सोनी सिर्फ उसे तड़पा रही थी। कमरे में घुस कर वो अंदर से दरवाजा बंद कर लेता है।

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अपडेट 47

सुनीता की आँखों से नींद कोसों दूर थी। कहते हैं कि कोई भी लड़की ना पहला प्यार भूल सकती है और ना ही वो पहला लंड जो उसकी चूत में घुसा हो, पर यहाँ तो बात उससे भी आगे बढ़ गई थी।
जब किसी को उसकी ममता से दूर कर दिया गया हो तो उसके दिल की हालत आप सोच सकते हो, और वर्षों से सुनीता भी खून के आंसू पीती रही सिर्फ काम्या के लिए।
बिस्तर पे करवटें बदलते बदलते सुनीता अपने अतीत की गहराइयों में पहुँच जाती है, जिसे सिर्फ चंद लोग ही जानते थे, वो खुद, काम्या, रमेश और उसके माता पिता जो अब इस दुनिया में नहीं रहे।
काम्या की शादी को तीन साल हो चुके थे, पर कोई बच्चा नहीं हो रहा था। डेढ़ साल तो रमेश और काम्या ने इस बात को कोई महत्व नहीं दिया पर जैसे ही दो साल पूरे हुए, चिंता के बादल लहराने लगे क्योंकि काम्या की माँ बार बार अपने दोते की फरमाइश कर रही थी।
रमेश के घर में सिर्फ उसका छोटा भाई ही रह गया था तो काम्या को रमेश के घर से कोई ताने देनेवाला नहीं था। पर काम्या खुद भी तो माँ बनना चाहती थी।
रमेश और काम्या दोनों ही ने बहुत से डॉक्टर्स को अप्रोच किया। दोनों ही बिल्कुल ठीक थे। ना रमेश में कोई कमी थी और ना ही काम्या में। पर फिर भी काम्या माँ नहीं बन पा रही थी। डॉक्टर्स ने सिर्फ इतना कहा कि काम्या को साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम है जो वक़्त के साथ ठीक हो जाएगी।
काम्या बहुत उदास रहने लगी और उसका दिल बहलाने के लिए सुनीता होली के दिनों में उसके पास आ गई।
होली के दिन की सुबह रमेश फुल मस्ती में था उसने बहुत हुड़दंग बाज़ी की, अभी काम्या और सुनीता उठे नहीं थे कि रमेश ने दोनों को रंगवाले पानी से नहला दिया। दोनों ही हड़बड़ा के उठी और रमेश ‘होली है! होली है!’ चिल्लाने लगा। दोनों की नाइटी बुरी तरह गीली हो गई थी और दोनों के ही कामुक उरोज अपनी झलक दिखाने लगे।
‘ये भी कोई तरीका है होली खेलने का, बाहर जाइये आप’ काम्या चिल्लाई पर रमेश कुछ और ही मूड में था उसने लपक कर काम्या को अपनी भुजाओं पे उठा लिया और कमरे से बाहर निकल पड़ा। घर के पीछे उसने एक बहुत बड़ा टब तैयार कर रखा था जो रंग भरे पानी से लबालब भरा हुआ था। रमेश काम्या को उसी टब में गिरा देता है। छपाक! चारों तरफ पानी के छींटे फैलते हैं और रमेश खुद भी उस टब में घुस जाता है। काम्या चिल्लाती हुई खड़े होने की कोशिश कर रही थी, कि वो टब से बाहर निकल सके, पर रमेश फिर उसे पकड़ लेता है और उसके होठों पे अपने होंठ चिपका देता है।
कमरे के बाहर खड़ी सुनीता ये सारा मंजर देख रही थी। रमेश जब काम्या को चूमने लगा तो जवान सुनीता की उमंगें भी साथ साथ भड़की। काफी देर तो काम्या छटपटाई फिर क्योंकि उसे भी मजा आने लगा था तो उसने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और रमेश का साथ देने लगी।
सुनीता से और ना देखा गया, वो वापस कमरे में घुस गई और बाथरूम में जाकर उसने गीली नाइटी उतार कर, ना जाने क्या सोचा और बिना ब्रा और पैंटी के सलवार सूट पहन लिया। फिर वो किचन में घुस गई, चाय बनाने के लिए।
और बाहर रमेश के हाथ काम्या के सारे जिस्म पे घूम रहे थे और अभी तक दोनों के होंठ जुदे हुए थे।
सुनीता किचन से चिल्लाती है ‘चाय तैयार हो गई’
रमेश काम्या के होंठ छोड़ कर बोलता है “साली साहिबा, बाहर यहीं ले आओ”
सुनीता चाय बाहर ले आती है और काम्या पे जब उसकी नजर पड़ती है तो अपनी नजरें झुका लेती है। काम्या की नाइटी उसके बदन से चिपकी हुई उसकी कमर तक उठी हुई थी और उसकी पैंटी साफ झलक रही थी।
सुनीता चाय वहाँ बाहर टेबल पे रख देती है और मुड़ के किचन की तरफ जाने लगती है।
रमेश उसे आवाज़ लगाता है ‘साली साहिबा कहाँ चली, यहीं हमें साथ बैठो।’
सुनीता के बढ़ते कदम रुक जाते हैं ‘अपनी चाय ले के आ रही हूँ’ कह कर वो किचन में चली जाती है और थोड़ी देर वहीँ खड़ी रहती है। इस उम्मीद में कि काम्या अपनी नाइटी ठीक कर लेगी।
सुनीता जब बाहर आती है तो काम्या को उसी हालत में पाती है। रमेश और काम्या दोनों ही कुर्सी पे बैठ कर चाय पी रहे थे। सुनीता उनकी बगल में बैठ कर चाय पीने लगती है और आँखों ही आँखों से काम्या को इशारा करती है नाइटी ठीक करने के लिए। पहले तो काम्या कुछ समझती नहीं और जब सुनीता उसे बार बार इशारा करती है तो काम्या अपनी हालत देखती है। लाज के मारे उसके गाल टमाटर से भी ज्यादा लाल सुरख हो जाते हैं और वो झेंपते हुए अपनी नाइटी ठीक करती है। रमेश के होठों पे शरारती मुस्कान तैर जाती है।
जैसे चाय ख़त्म होती है रमेश उठता है और हाथों में गुलाल ले कर सुनीता के पीछे आ कर उसे दबोच लेता है और उसके चेहरे और जिस्म को अच्छी तरह से रगड़ते हुए गुलाल लगाने लगता है। काम्या भी पीछे नहीं रहती वो भी सुनीता पे टूट पड़ती है और सुनीता चिल्लाती रह जाती है।
सुनीता भी रंग में आ जाती है और उन दोनों को गुलाल लगाने लगती है। रमेश उसे गुलाल लगाते हुए उसे बूब्स भी अच्छी तरह मसल रहा था और सुनीता अपनी सिसकियों का गला घोंटती जा रही थी। फिर रमेश उसे भी उठा कर टब में डाल देता है।
‘छपाक’ की आवाज़ होती है। सुनीता टब में गोते लगाती है और रमेश और काम्या दोनों ही होली है होली है के नारे लगाते हैं।
इनकी ढींगामस्ती एक घंटा और चलती है फिर काम्या रोक लगा देती है। आज रमेश होली खेलने अपने दोस्तों के पास नहीं गया था तो कोई भी टपक सकता था।
काम्या और सुनीता दोनों ही कपड़े बदलती हैं पर नहाती नहीं, क्योंकि गली मोहल्ले से कोई भी आ सकता था।
रमेश के दोस्त भी आए अपनी अपनी बीवियों के साथ और सबने एक दूसरे को बड़ी शालीनता से गुलाल लगाया।
दोपहर तक पूरा घर तहस नहस हो चुका था। हर तरफ कोई ना कोई रंग बिखरा हुआ था।
काम्या और सुनीता नहा कर किचन में लग जाती हैं। आज लंच के लिए रमेश चिकन और मटन लेके आया हुआ था।
काम्या उसके लिए चिकन टिक्का तैयार करती है, क्योंकि उसे मालूम था रमेश आज ड्रिंक ज़रूर करेगा। रमेश साल में 6-7 बार से ज्यादा नहीं पीता था इसलिए काम्या भी इतराज़ नहीं करती थी।
स्नैक्स जब तैयार हो जाता है तो काम्या टेबल पे सर्व करती है। रमेश, दोनों बहनों को साथ में बैठने के लिए कहता है और उनके लिए भी ड्रिंक बनाता है। सुनीता पहले मना करती है, पर काम्या के ज़ोर देने पर मान जाती है।
ड्रिंक के दौर चलते हैं और तीनों सरूर में आने लगते हैं। सुनीता को ज्यादा चढ़ रही थी, क्योंकि वो पहली बार पी रही थी।
रमेश हल्का म्यूजिक लगाता है और काम्या के साथ डांस करने लगता है। काफी देर तक दोनों डांस करते हैं, फिर रमेश सुनीता को भी डांस के लिए खींच लेता है। काम्या थक कर बैठ जाती है और अपनी ड्रिंक की चुस्कियाँ लेती रहती है। रमेश डांस करते वक़्त सुनीता को अपने जिस्म से चिपका लेता है और सुनीता अपना सिर उसके कंधे पे रख देती है।
डांस करते करते, रमेश को और मस्ती चढ़ती है और वो सुनीता के होंठ पे अपने होंठ रख देता है।
पहली बार किसी आदमी ने उसके होठों को अपने होठों से छुआ था। सुनीता घबरा जाती है, पर नशा और होठों से उठती हुई तरंगें उसे अपने बस में कर लेती हैं और वो भी अपने होंठ रमेश के होठों के साथ चिपकाए डांस करती रहती है। पता नहीं काम्या ने दोनों को क्यों नहीं रोका। शायद उसे भी कुछ ज्यादा नशा चढ़ गया था और गलत सही की पहचान ख़त्म हो गई थी। या जीजा साली की इतनी छेड़ छाड़ को वो बुरा नहीं मानती थी।
रमेश सुनीता के होठों को चूसने लगा तो सुनीता को अपनी जांघों के बीच कुछ होता हुआ महसूस होने लगा और वो रमेश से और भी चिपकती चली गई।
थोड़ी देर बाद रमेश सुनीता को छोड़ देता है। सुनीता की आँखें लाल हो चुकी थी और जिस्म में आग भड़क चुकी थी। उसे रमेश का अलग होना अच्छा नहीं लगा।
रमेश अपने लिए एक और ड्रिंक बनाता है और एक साँस में गटक जाता है।
फिर वो काम्या को डांस के लिए खींच लेता है और इस बार दोनों का डांस बहुत कामुक हो जाता है, जिसका गहरा असर सुनीता पे पड़ने लगता है।
नशे में इंसान अपनी सुध बुध खो देता है और यही हो रहा था। डांस करते करते काम्या के कपड़े उतरने लगते हैं, दोनों को ध्यान ही नहीं रहता कि सुनीता उन्हें लाइव शो देते हुए देख रही है। रमेश काम्या के निप्पल को मुँह में ले कर चूसने लगता है और काम्या की सिसकियाँ निकलने लगती हैं। सुनीता चाह कर भी उन पर से नजरें नहीं हटा पाती और उसकी टाँगें कांपने लगती हैं वो वहीँ सोफे पे ढेर हो जाती है और काम्या को रमेश की पैंट उतारते हुए देखने लगती है।
रमेश की पैंट और अंडरवियर दोनों उसका साथ छोड़ देते हैं और उसका 7-8 इंच लंबा तना हुआ मोटा लंड आज़ाद हो कर फुफकारने लगता है। काम्या उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ सहलाने लगती है और रमेश एक एक कर उसके निप्पल को चूसता है, काटता है और दोनों उरोज पर रमेश की उंगलियों के निशान छपने लगते हैं।
सुनीता आँखें फाड़े सब कुछ होता हुआ देख रही थी, उसका गला सूख जाता है और उसका एक हाथ अपने उरोज को दबाने लगता है और दूसरा उसकी चूत को सहलाने लगता है।
काम्या वहीँ नीचे कारपेट पे लेट जाती है और रमेश को अपने ऊपर खींच लेती है। दो जिस्म एक दूसरे में समाने के लिए तड़प रहे थे। काम्या अपनी टाँगें फैला देती है और रमेश उसकी टाँगों के बीच बैठ कर अपना लंड उसकी चूत पे घिसने लगता है। सुनीता की आँखें जैसे उबल पड़ी थी।
काम्या: चोद डालो मुझे, आज मुझे माँ बना दो। डालो ना क्यों देर कर रहे हो। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
रमेश काम्या की चूत में अपना लंड घुसा देता है और दोनों की कमर एक दूसरे से टकराने लगती है।
सुनीता का गला बिल्कुल सूख चुका था। वो टेबल पे पड़ी व्हिस्की की बोतल उठाती है और नीट ही 3-4 घूँट लगा लेती है। उसका सीना तेज़ी से जलने लगता है।

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अपडेट 48

पर जो आंच उसके जिस्म में उठ चुकी थी उसके सामने ये जलन कुछ नहीं थी।
रमेश के धक्के जोर पकड़ने लगते हैं और सुनीता अपने जिस्म की माँग के हाथों मजबूर हो जाती है। वो अपने कपड़े उतार फेंकती है और जा कर रमेश की पीठ से चिपक जाती है।
रमेश को जब उसका अहसास होता है तो वो उसे अपने सामने खींच लेता है और उसके होंठ चूसते हुए काम्या को जोर जोर से चोदने लगता है।
काम्या इतनी देर में दो बार झड़ चुकी थी, और सुनीता के पास आने पर रमेश में और जान आ जाती है।
काम्या का जिस्म इतना आनंद पा कर ढीला पड़ जाता है, उसकी आँखें बंद हो जाती हैं और रमेश अपना लंड काम्या की चूत से बाहर निकाल कर सुनीता को अपनी गोद में उठा कर सोफे पे लिटा देता है।
सुनीता के उन्नत गुलाबी उरोज उसे पागल कर देते हैं और वो उन पर टूट पड़ता है। सुनीता की सिसकियाँ जोर जोर से निकलने लगती हैं और वो रमेश के सिर को अपने उरोज पे दबा देती है।
सुनीता का हाथ खुद ब खुद रमेश के लंड पे चला जाता है जो उसकी बहन के चूत रस से पूरी तरह गीला था और चमक रहा था।
सुनीता जैसे ही रमेश के लंड को पकड़ती है रमेश के जिस्म में आग के शोले भड़कने लगते हैं।
रमेश सुनीता की टाँगों के बीच में आ कर उन्हें अपने कंधों पे रखता है और अपने लंड को सुनीता की चूत से रगड़ने लगता है।
एक कुँवारी लड़की के नंगे जिस्म पर एक मर्द के हाथ जब घूमने लगते हैं तो उसका जिस्म सितार वादन की तरह सभी सुरु के तार छेड़ देता है, यही हाल सुनीता का हो रहा था।
अचानक रमेश को ख्याल आता है कि सुनीता कुँवारी है और सोफे पे जो पोजीशन बनी हुई थी, वो किसी कुँवारे की सील तोड़ने के लिए ठीक नहीं थी। रमेश वापस हटना चाहता था पर बहुत देर हो चुकी थी।
रमेश सुनीता को उठा कर नीचे कारपेट पे काम्या के पास ही लिटा देता है। सुनीता शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर लेती है।
काम्या तो अपनी आँखें बंद करे किसी और दुनिया में पहुँच चुकी थी। उसे कुछ आभास ही नहीं था कि उसके करीब क्या हो रहा है जीजा साली में।
रमेश फिर पोजीशन में आता है। कुछ पल पहले सुनीता के उरोज चूसता है उसके जिस्म की आग को और भड़काता है और फिर उसकी कमर को थाम कर अपने लंड का जोर उसकी चूत पे लगा देता है।
आआआआआआआआआआआआआआआआआआ सुनीता चीख पड़ती है और उसकी कुमसिन छोटी चूत में रमेश के लंड का सुपाड़ा घुस जाता है।
सुनीता की आँखों से आंसू निकलने लगते हैं और उसका जिस्म छटपटाने लगता है।
रमेश थोड़ी देर रुका और फिर एक बहुत ही जोर का झटका लगा दिया। उसका लंड सुनीता की चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया। सुनीता ऐसी चिल्लाई जैसे कसाई ने चुरा उसकी चूत में घोंप दिया हो।
उसकी चीख इतनी जोर की निकली कि काम्या हड़बड़ाती हुई उठ गई और जो मंजर उसके सामने था उसने उसका सारा नशा काफूर कर दिया।
वो आँखें फाड़े सुनीता की चूत में घुसे रमेश के लंड को देख रही थी और सुनीता की चूत से बहते हुए खून को।
सुनीता अब दर्द सह चुकी थी, उसका कुँवारापन ख़त्म हो गया था। अब अगर काम्या रमेश को रोकती भी तो बहुत देर हो चुकी थी, काम्या को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे और उसके सामने रमेश के धक्के सुनीता की चूत में लगने लगे और थोड़ी देर में सुनीता भी मजे से अपनी गांड ऊपर उछालने लगी।
दोनों की चुदाई देख कर जहाँ काम्या को एक तरफ गुस्सा चढ़ रहा था वहीं खुद उसका जिस्म गर्म होने लगा और उसकी चूत कुलबुलाने लगी।
सुनीता की टाइट चूत के घर्षण को रमेश सह ना सका और जल्दी ही उसकी चूत में झड़ गया पर उससे पहले सुनीता दो बार ऑर्गेज़म का सुख पा चुकी थी।
रमेश ने अपना लंड अच्छी तरह सुनीता की चूत में खाली कर दिया और फिर उसकी बगल में गिर कर हांफते हुए अपनी साँसें संभालने लगा।
सुनीता की आँखें बंद हो चुकी थी वो मजे की दुनिया में पहुँच गई थी।
और काम्या का जिस्म तपने लगा था, वो फटाफट बाथरूम गई एक गीला कपड़ा लाकर पहले उसने रमेश के लंड को साफ किया फिर सुनीता की जांघों को। और उसके बाद वो रमेश के लंड को चूसने लगी उसे तैयार करने के लिए, क्योंकि अब उसे अपनी चूत में उठती हुई खुजली को मिटाना था।
थोड़ी देर में रमेश का लंड फिर खड़ा हो गया और काम्या की भयंकर चुदाई शुरू हो गई।
उस दिन रमेश ने दोनों को अगले दिन सुबह तक 3-3 बार चोदा था।
वक़्त गुजरा और सुनीता के प्रेग्नेंट होने की खबर आ गई। काम्या तब तक प्रेग्नेंट नहीं हुई थी। काम्या ने सुनीता का एबॉर्शन नहीं होने दिया और उसे ले कर दूसरे शहर चली गई। जब वापस आई तो काम्या की गोद में हँसता खेलता तंदुरुस्त लड़का था जो आज विमल बन चुका था।
ये राज सिर्फ तीन लोग जानते थे रमेश, सुनीता और काम्या। सुनीता के पति को भी इसका नहीं मालूम था। और काम्या ने रमेश को दोबारा सुनीता के पास फटकने नहीं दिया।
सुनीता की शादी हो गई, पर वो अंदर ही अंदर घुलती रहती विमल के लिए, उसकी अंतर्आत्मा उसे गालियाँ देती अपने बेटे को खुद से दूर करने के लिए।
विमल के आने के बाद काम्या खुश रहने लगी और भगवान की दया से अगले कुछ सालों में वो दो लड़कियों की माँ बन गई।
विमल के बचपन के सुख को ना भोगने के कारण सुनीता की ममता अधूरी ही रह गई। उसकी छाती विमल के होठों के सुख को तरसती रहती है।
सोचते सोचते पता नहीं कब सुनीता की आँख लग गई।

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अपडेट 49

अब आगे.....
विमल की नजर जैसे ही बिस्तर पे पड़ती है उसका लंड फुफकारने लगता है। सोनी बिस्तर पे गुलाबी नेट वाली ब्रा और पैंटी में ही लेटी हुई थी। विमल को देखते ही उसके होठों पे कातिलाना मुस्कान आ जाती है।
विमल फटाफट अपने कपड़े उतारता है और अंडरवियर में सोनी के पास जा के लेट जाता है।
सोनी दूसरी तरफ करवट ले लेती है। विमल उसे अपनी तरफ करने की कोशिश करता है पर वो नहीं होती और होठों में अपनी हँसी दबा के रखती है।
विमल कुछ पल और कोशिश करता है फिर अचानक वो सोनी की ब्रा के हुक खोल देता है।
सोनी अपनी ब्रा को संभालते हुए उठ जाती है।
‘विमल जा यहाँ से, आज खतरा है पकड़े जाएँगे। कोई भी नहीं सो रहा आज। प्लीज जा’
‘बस थोड़ी देर, फिर चला जाऊँगा’
‘थोड़ी देर में क्या होगा। एक बार शुरू हो गए तो ना तू रुकेगा ना मैं रुक पाऊँगी। प्लीज जा एक दो दिन बाद देखेंगे जब माहौल थोड़ा ठंडा हो जाएगा’
‘प्लीज मेरी रानी, बस थोड़ी देर, मान जा ना’
तभी बाहर किसी के चलने की आवाज़ होती है और दोनों को साँप सूँघ जाता है। सोनी फटाफट अपनी ब्रा ठीक करती है और पास पड़ी एक नाइटी पहन लेती है। विमल भी खटकट अपने कपड़े पहनता है। विमल बाहर झाँकता हुआ निकलता है और जैसे ही अपने कमरे की तरफ जाने की लगता है साथ वाले कमरे से जोर की आवाज़ें आने लगती हैं जैसे लड़ाई हो रही हो। विमल के कदम रुक जाते हैं और वो उस कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ता है। विमल बाहर से नॉक करता है
‘मासी क्या हुआ कुछ प्रॉब्लम है क्या? मैं अंदर आ जाऊँ?’
अंदर एक दम शांति छा जाती है।
‘विमल रुक मैं आ रही हूँ’ सुनीता कमरे से बाहर आ जाती है।
‘क्या हुआ मासी?’
‘कुछ नहीं बेटा, नींद नहीं आ रही थी। चल तेरे कमरे में चलते हैं। कुछ देर बातें करते हैं।’
विमल हैरानी से सुनीता की तरफ देखता है और कमरे में जाने की कोशिश करता है।
सुनीता फट उसकी बाँह पकड़ लेती है और खींचते हुए ‘चल ना’
विमल खींचा चला जाता है। दोनों कमरे में घुस जाते हैं और सुनीता पलट कर दरवाजा अंदर से बंद कर लेती है।
विमल भोचक्का सा खड़ा रहता है और सुनीता दरवाजा बंद करते ही उससे लिपट जाती है और उसके चेहरे को बोसों से भर देती है और साथ साथ बोलती रहती है ‘विमु मुझे माफ कर दे बेटा, बहुत साल दूर रही तुझसे’
विमल की हैरानी बढ़ती रहती है और सुनीता के चुम्बन ख़त्म ही नहीं होते, उसकी आँखों से आंसू बहते रहते हैं।
थोड़ी देर बाद विमल को होश आता है और खुद को अलग करता है।
‘क्या बात है मासी? इतनी परेशान क्यों हो? बताओ ना। बताओ किस तरह मैं आपकी परेशानी दूर कर सकता हूँ।’
‘कुछ नहीं बेटा, तुम से इतने साल दूर रही हूँ, अब मिले हैं तो दिल भर आया है। आ अपनी मा....सी के कलेजे से लग जा

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