जिस्म की प्यास जब जागती है तो अच्छे अच्छों के दिमाग घास चरने चले जाते हैं। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ।
मैं एक सीधी सादी लड़की बस अपने फैशन डिज़ाइनिंग कोर्स में ही मस्त रहती थी। फैशन की दुनिया में अपना नाम बनाना चाहती थी, बस दिन रात नए नए डिज़ाइन सोचा करती थी और उनकी ड्रॉइंग बनाया करती थी।
एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि मेरी जिंदगी के बारे में सोचने का नज़रिया ही बदल गया। इससे पहले कि मैं अपनी कहानी आपको सुनाऊँ मैं अपने परिवार के बारे में आपको बताती हूँ:
रमेश कपूर - 49 yrs हैवी बिल्ट बॉडी - एक नंबर के चोदू - बस चूत पसंद आनी चाहिए फिर नहीं बचती। अपना बिज़नेस चला रहे हैं। पैसे की पूरी रेल पेल है।
काम्या - 44 साल लगती है 30 साल की - 38-30-38 - हाउसवाइफ
विमल: 24 साल मेरा बड़ा भाई - MBA कर रहा है हॉस्टल में रहता है। हफ्ते में एक बार घर ज़रूर आता है। एक दम हीरो के माफिक पर्सनैलिटी, लड़कियाँ देख कर ही आहें भरने लगती हैं।
मैं: रम्या - 20 साल 34-24-30 मुझे देखते ही सबके लंड खड़े हो जाते हैं। फैशन डिज़ाइनिंग का कोर्स कर रही हूँ।
रिया: मेरी छोटी बहन 18 साल - 30-22-30 एक दम पटाखा, नटखट चुलबुली, जुबान कैंची की तरह चलती रहती है अभी MBBS में एडमिशन लिया है, जितना खूबसूरत जिस्म उतना ही तेज़ दिमा
UPDATE 1
रम्या
घर से इंस्टिट्यूट और इंस्टिट्यूट से घर, यही थी मेरी जिंदगी। अपने सपनों की ही दुनिया में खोई रहती थी। एक जुनून सवार था मुझ पे। बहुत बड़ी फैशन डिज़ाइनर बनने का। माँ और भाई भी मेरा पूरा साथ देते थे। भाई तो जब भी घर आता, घंटों मेरे साथ बैठ के मेरे डिज़ाइन डिस्कस करता, कुछ को अच्छा कहता, कुछ को बहुत बढ़िया और कुछ में तो इतनी कमियाँ निकालता कि मुझे हैरानी होती, उसे डिज़ाइन्स के बारे में इतनी पहचान कैसे है। वो मार्केटिंग में स्पेशलाइज़ कर रहा था।
MBBS की पढ़ाई में इतना जोर होता है पर फिर भी मेरी छोटी बहन रिया संडे को मेरे डिज़ाइन पकड़ के बैठ जाती और अपनी राय देती, कई बार तो उसकी राय बिल्कुल किसी प्रोफेशनल डिज़ाइनर की तरह होती।
माँ मुझे किचन में बिल्कुल काम नहीं करने देती थी, बस रोज़ सुबह की चाय बनाना मेरी ड्यूटी थी, क्योंकि पापा सुबह मेरे हाथ की चाय पीना पसंद करते थे। कहते हैं दिन अच्छा निकलता है और मुझे भी बहुत खुशी होती।
मेरी सारी फ्रेंड्स अपने बॉय फ्रेंड्स के साथ ज्यादा वक़्त गुज़ारा करती थी, पर मैं लड़कों से हमेशा दूर रही। मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि मेरा कोई बॉय फ्रेंड नहीं। मुझे तो जो भी वक़्त मिलता नए नए डिज़ाइन्स सोचने में ही निकल जाता। घर से निकलती तो लड़कों की चुभती हुई नज़रें मेरा पीछा करती, मेरा जिस्म है ही इतना मस्त कि देखनेवाले जलते रहते थे पर कोई मेरे पास फटकने की कोशिश नहीं करता था। मेरे पापा और भाई का डर सब के दिलों में रहता था। इंस्टिट्यूट में भी लड़के मेरे आगे पीछे रहते पर मैं कोई भाव नहीं देती।
बस अपनी दो फ्रेंड्स के साथ ही ज्यादा टाइम गुज़रती। क्योंकि हमें ग्रुप प्रोजेक्ट्स मिलते हैं तो ग्रुप में एक दो लड़के भी होते हैं। मैं उनसे सिर्फ प्रोजेक्ट के बारे में ही बात करती थी और उनको भी पता था कि अगर कोई ज्यादा आगे बढ़ने की कोशिश करेगा तो मैं ग्रुप ही छोड़ दूँगी। इस लिए इन दो लड़कों से मेरी दोस्ती बस काम तक ही थी, ना वो आगे बढ़े ना मैंने कोई मौका दिया। धीरे धीरे गली के लड़के भी मेरी इज़्ज़त करने लगे और उनकी आँखों से वासना भरी नज़रें गायब हो गई। पर इंस्टिट्यूट के लड़के मुझे देख कर आहें भरते थे, बहुत कोशिश करते थे कि मेरे से दोस्ती बढ़ाएँ पर मेरा सख्त रवैया उन्हें दूर ही रखता था।
मैं कभी किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी बस दो टूक मतलब की बात। मेरी सहेलियाँ भी जब अपने बॉयफ्रेंड्स के बारे में बातें करती तो मैं उठ के चली जाती।
यूँही चल रही थी मेरी जिंदगी कि एक तूफान आया और मेरे जीने की राह बदल गई।
UPDATE 2
आज मम्मी पापा सुबह ही पापा के दोस्त के यहाँ चले गए। उनके दोस्त की बेटी की शादी होने वाली थी तो तैयारियों में उनकी मदद करनी थी। दोपहर तक मैं भी अपने इंस्टिट्यूट से वापस आ गई। और कुछ खा पी कर थोड़ी देर आराम किया। धोबी आ कर प्रेस किए हुए कपड़े दे गया तो मैंने सोचा कि सबके कपड़े उनकी अलमारी में लगा देती हूँ।
मम्मी के कपड़े लगा रही थी एक बॉक्स दिखा जो बिल्कुल पीछे रखा हुआ था। मैंने पहले ऐसा बॉक्स मम्मी के पास नहीं देखा था, अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए मैंने वो बॉक्स खोल लिया तो देखा कि दुनिया भर की DVD पड़ी हुई हैं। मुझे ताज्जुब हुआ कि मम्मी ये डीवीडी अपनी अलमारी में क्यों रखती है। उनमें से एक DVD पे गोआ लिखा हुआ था। मैंने सोचा शायद गोआ की साइटसीइंग के ऊपर होगी। मैंने कपड़े लगाए और वो DVD ले कर अपने रूम में आ गई।
DVD अपने लैपटॉप पे लगाया और पहले सीन देखते ही मेरी आँखें फटी फटी रह गई। ये एक पॉर्न डीवीडी थी पर इस में जो दिख रहा था वो मेरे वज़ूद को हिला बैठा। ये DVD शायद उस वक़्त की थी जब हम पैदा भी नहीं हुए थे।
हाँ DVD में मेरे पापा, मम्मी और चाचा चाची एक दम नंगे एक दूसरे के जिस्म के साथ खेल रहे थे। मम्मी नीचे बैठ चाचा का लंड चूस रही थी और चाची मम्मी की चूत चूस रही थी और पापा चाची की चूत में अपना लंड डाल के चोद रहे थे। मम्मी ने चूस चूस कर चाचा का लंड खड़ा कर दिया। फिर पापा ने अपना लंड चाची की चूत में से निकाल लिया।
चाचा बिस्तर पे पीठ के बल लेट गए और चाची उठ कर चाचा के लंड पे बैठती चली गई, जब चाचा का पूरा लंड चाची की चूत में समा गया तो चाची ने अपनी गांड इस तरहा उठाई कि उसका छेद साफ साफ दिख रहा था, पापा चाची के पीछे चले गए और अपना लंड चाची की गांड में गुसा दिया। अब दोनों मिलके चाची को चोद रहे चाची की सिसकियाँ गूँज रही थी। मम्मी जो खाली हो गई थी वो चाचा के पास आ गई और चाची की तरफ मुँग करके चाचा में मुँह पे बैठ गई।
चाचा नीचे से धक्के मार कर चाची की चूत में अपना लंड पेल रहे थे और मम्मी के अपने मुँह पे बैठने के बाद चाचा ने मम्मी की चूत को चाटना और चूसना शुरू कर दिया शायद अपनी जीभ मम्मी की चूत में घुसा दी होगी क्योंकि मम्मी ने जोर की सिसकी मारी और चाची को पकड़ लिया।
मम्मी और चाची ने एक दूसरे के बूब्स पकड़े और दबाने लगी, दोनों के होठ आपस में जुद गए। मम्मी की तो सिर्फ चूत चूसी जा रही थी पर चाची की तो दोनों तरफ से चुदाई हो रही थी। पापा जोर जोर से चाची की गांड मार रहे थे। पापा के धक्के के साथ चाची आगे होती और चाचा का लंड चाची की चूत में अंदर तक घुस जाता और जब पापा अपना लंड बाहर निकालते तो चाची अपनी गांड पीछे करती जिससे चाचा का लंड चाची की चूत से बाहर निकलता।
फिर पापा के धक्के के साथ चाचा का लंड चाची की चूत में घुस जाता। पापा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से चाची की गांड मारने लगे। नीचे से चाचा ने भी अपनी कमर उछालनी शुरू कर दी और अब तो मम्मी भी अपनी गांड चाचा के मुँह पे ऊपर नीचे करती हुई चाची की जीभ को अपनी चूत में ले रही थी। पूरे कमरे में एक तूफान आया हुआ था और ये तूफान मेरे सर चढ़ रहा था। मैंने पहले कभी कोई ब्लू फिल्म नहीं देखी थी और आज देखी भी तो उसमें सब मेरे घर के लोग ही थे। पापा के धक्के और तेज़ हो गए और थोड़ी देर में पापा आह्ह्ह्ह्ह भरते हुए चाची की गांड में झड़ने लगे और चाचा भी तेज़ी से अपनी कमर उछालते हुए चाची की चूत में झड़ने लगे, चाची का तो बुरा हाल था, चाचा के लंड पे इतना रस छोड़ रही थी जो चाचा के लंड से होता हुआ नीचे बिस्तर पे तालाब बना रहा था। इधर मम्मी भी चाचा के मुँह पे झड़ गई और चाचा गपागप मम्मी की चूत का सारा रस पी गए। चारों ही हाँफते हुए बिस्तर पे निढाल पड़ गए और अपनी साँसे संभालने लगे।
अभी डीवीडी में और भी बहुत कुछ बाकी था। मैंने वो डीवीडी अपनी अलमारी में छुपा दी और बाथरूम भाग गई। अपने कपड़े उतारे और शावर के नीचे खड़ी हो गई। चारों की चुदाई का सीन अब भी मेरी आँखों के सामने घूम रहा था। मेरे जिस्म में एक आग सी लग गई थी। मेरी चूत में हज़ारों चीटियाँ जैसे रेंग रही थी। मेरा बुरा हाल हो रहा था पर इस आग को कैसे शांत करूँ ये समझ में नहीं आ रहा था, मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पे चला गया और मैं उसपे जुल्म ढाने लगी, मेरी उंगली मेरी चूत में घुस गई और मेरी एक चीख निकल पड़ी, पहली बार अपनी चूत में मैंने उंगली डाली थी। फिर अपनी उंगली को अंदर बाहर करने लगी और तब तक करती रही जब तक मेरी चूत ने अपना रस नहीं छोड़ दिया और मुझे थोड़ा सकून मिला।
इस DVD ने मेरे जिस्म की प्यास जगा दी थी। एक तूफान मेरे दिलोदिमाग में खलबली मचा रहा था।
UPDATE 3
बाथरूम से आने के बाद सबसे पहले मैंने वो DVD अपने लैपटॉप पे डाउनलोड करी और फिर जल्दी से उसे उसकी जगह पे रख दिया।
बार बार वही नज़ारे मेरी आँखों के सामने तैर रहे थे। मम्मी पापा ये सब सिर्फ चाचाचाची के साथ करते हैं या और लोग भी शामिल हैं? क्या ये सिर्फ एक बार हुआ था या अब भी होता है? अब मैं बच्ची तो थी नहीं कि सेक्स के बारे में ना जानती हूँ। मैं अपनी सारी बातें मम्मी से किया करती थी, मम्मी मेरे लिए सबसे बड़ी दोस्त है। क्या मैं इस के बारे में भी मम्मी से पूछ सकती हूँ? शायद नहीं, मम्मी मेरे सामने लज्जित हो जाएगी।
फिर सच्चाई का कैसे पता करूँ। वो डीवीडी आगे देखने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी और अब तो मम्मी पापा किसी भी वक़्त आ सकते थे।
मैंने किचन में जाकर रात का खाना तैयार किया, ताकि मम्मी वो आ कर किचन में काम ना करना पड़े। करीब एक घंटे बाद मम्मी पापा आ गए और मम्मी काफी हैरान हुई कि मैंने खाना तैयार कर रखा है और खुश भी बहुत हुई, क्योंकि वो काफी थक चुकी थी।
रात को खाना खा कर सब सोने चल दिए। मैंने अपने कमरे में बिस्तर पे लेटी सोचती रही कि सच का कैसे पता करूँ और जो आग मेरे जिस्म में लग चुकी थी उसे कैसे शांत करूँ। दिल करा कोई बी/एफ बना लेती हूँ, इतने तो पीछे पड़े हैं। पर बदनामी के डर से इस रास्ते पे जाने की हिम्मत ना हुई।
एक ही रास्ता दिख रहा था विमल मेरा बड़ा भाई। अगर मैं उसको पटा लेती हूँ तो घर की बात घर में रहेगी। उसका भी काम हो जाएगा और मेरा भी। वो तो लड़का है क्या पता बाहर कितनी लड़कियाँ फँसा रखी हो।
रात भर मैं सो ना सकी। अभी भाई के आने में 3 दिन बाकी पड़े थे, इन तीन दिनों में मुझे कुछ ऐसा प्लान करना था कि भाई मेरे पीछे पड़े और ये ना लगे कि मैं भाई की पीछे पड़ी हूँ।
किसी भी लड़के को अपनी तरफ खींचना हो तो उसे अपने झलकियाँ दिखा कर तरसाओ वो पके आम की तरह तुम्हारी गोद में आ गिरेगा।
मैंने भी कुछ ऐसा ही सोचा। सोचते सोचते ना जाने कब मेरी आँख लग गई।
UPDATE 4
रात भर नींद तो नहीं आई और सुबह मैं अपनी सवालों भरी नज़र से माँ को नहीं देखना चाहती थी, मैं बिना कुछ खाएपिए घर से चली गई। मेरी एक ही खास सहेली है कविता मैं उसके घर आ गई।
वहाँ पहुँच कर पता चला कि वो और उसके डैड ही घर पे थे, उसकी माँ और भाई दोनों माँ के मायके गए हुए थे। दिन बातों बातों में कब गुज़रा पता ही ना चला और रात को मैं उसके साथ ही उसके कमरे में सो गई।
थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली तो देखा कविता गायब है, सोचा बाथरूम गई होगी आ जाएगी जब कुछ देर और वो नहीं आई तो मैं कमरे से बाहर निकली और देखा कि उसके डैड के कमरे की लाइट जल रही है मेरे कदम उस तरफ बढ़ चले और जो देखा उसने मुझे हिला के रख दिया।
कविता नीचे बैठी अपने डैड का लंड चूस रही थी और उसके डैड ने उसके चेहरे को पकड़ रखा था और अपनी कमर आगे पीछे कर रहे थे। कविता फिर जोर जोर से अपने डैड का लंड चूसने लगी और थोड़ी देर में उसके डैड झड़ गए और कविता ने सारा रस पी लिया। फिर वो अपने डैड के लंड को चाट चाट कर साफ करने लगी और उठ के खड़ी हो गई। उसे डैड ने उसे अपने पास खींचा और उसके होठों पे अपने होठ रख दिए।
दोनों एक दूसरे के होठों को चूसने लगे और उसके डैड ने अपने हाथ कविता के बूब्स पर रख दिए और दबाने लगे। कितनी ही देर दोनों एक दूसरे को चूमते रहे। फिर दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतारदाले और बिस्तर पे लेट गए। कविता अपने डैड के लंड को सहलाने लगी और वो उसके निप्पल को चूसने लगे,
कविता की सिसकियाँ निकलने लगी, आह आह उफ उफ ओह डैड पी जाओ मेरा दूध आह उफ म्म्म है। वो कभी एक निप्पल को चूसते तो कभी दूसरे को और कविता सिसकती रही।
ये देख मेरा बुरा हाल हो रहा था मेरे अंखन के सामने वो डीवीडी घूमने लगा, अगर बाप बेटी चुदाई कर सकते हैं तो मम्मी पापा ने कौन सा पाप किया। पापा भी तो उस वक़्त चाची को चोद रहे थे चाचा के सामने।
मेरा गुस्सा मम्मी पापा के उपपर से हट गया। कविता के जोर से चिल्लाने की आवाज़ आई तो मेरा ध्यान फिर अंदर गया देखा कविता कुतिया बनी हुई है और उसके डैड ने अपना लंड उसकी गांड में डाल रखा है।
पहले तो कविता दर्द से चिल्ला रही थी फिर उसे मज़ा आने लगा आह आह फाड़ दो मेरी गांड आह आह चोदो और चोदो उफ उफ हाँ हाँ और जोर से और जोर से आह आह आह आह बेटीचोद चोद और चोद आह आह उमम्म उफ्फ्फ्फ्फ।
‘साली रंडी आज तेरा बुरा हाल कर दूँगा आह आह ले मेरा लंड ले ले साली कुतिया ले’
“चोद साले बहनचोद और चोद आआआआआआईीीीीीी”
मैं हैरान खड़ी देख रही थी दोनों एक दूसरे को गालियाँ दे रहे थे।
‘मथरचोद मेरी चूत कौन चोदेगा तेरा बाप’
उसके डैड ने अपना लंड उसकी गांड से निकाला और एक झटके में उसकी चूत में घुसा दिया और जोर जोर से धक्के मारने लगे।
कविता भी उन्हें और उकसाती रही।
मुझसे और देखा ना गया, मैं कमरे में जाकर अपनी चूत में उंगल करने लगी, मेरी आँखों के सामने मेरे भाई का चेहरा घूमने लगा, क्या हैंडसम पर्सनैलिटी है उसकी, जो भी उसकी जी/एफ होगी वो तो मज़े लेती होगी। रात को पता नहीं कविता कब मेरे पास आ कर सो गई।
सुबह मैंने उस से कुछ नहीं कहा और अपने घर चली आई, माँ ने मुझे से बात करने की कोशिश करी पर मैं माँ को अवॉइड कर अपने कमरे में चली गई।