चाचा बड़े जालिम हो ...
 
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चाचा बड़े जालिम हो तुम

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भाग 1: कहानी की शुरुआत

शबनम खान, 27 साल की एक खूबसूरत शादीशुदा महिला थी। उसकी शादी इकबाल अहमद से 5 साल पहले हुई थी। लेकिन इतने सालों में उनके कोई संतान नहीं हुई। डॉक्टर की जाँच में शबनम की रिपोर्ट तो सामान्य थी, लेकिन इकबाल की रिपोर्ट में पता चला कि उनके शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम थी। शबनम की सास, नसीम बी, 62 साल की थीं। उनके पति 12 साल पहले गुजर चुके थे। जब इकबाल की शादी हुई थी, तो नसीम बी बहुत खुश थीं, लेकिन जब सालों बाद भी बहू के कोई बच्चा नहीं हुआ, तो उनकी चिंता बढ़ने लगी। एक दिन जब नसीम बी ने इकबाल की मेडिकल रिपोर्ट पढ़ी, तो उन्हें यकीन हो गया कि उनका बेटा कभी पिता नहीं बन सकता। नसीम बी ने फैसला किया कि वो इस मामले को अपने हाथ में लेंगी। उन्होंने शबनम को सारी सच्चाई बताई और कहा कि वो किसी भी कीमत पर अपने पोते का मुँह देखना चाहती हैं।

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भाग 2: कमल सिंह का परिचय

कमल सिंह, एक फल बेचने वाला, पिछले 10 साल से नसीम बी के मोहल्ले में फल बेचता था। उसकी उम्र 42 साल थी। कमल नसीम बी को "दीदी" कहता था, और नसीम बी उसे "कमल भैया" बुलाती थीं। मोहल्ले वाले उसे "कमल दादा" कहते थे। कमल हट्टा-कट्टा, गोरा और आकर्षक था। वो धोती और कुर्ता पहनता था। दोपहर में वो नसीम बी के बंगले की सीढ़ियों पर बैठकर खाना खाता था, और नसीम बी उसे पानी देती थीं। नसीम बी ने सोचा कि कमल से इस बारे में बात की जाए, लेकिन सवाल ये था कि क्या शबनम एक फलवाले के साथ सोने को राज़ी होगी? नसीम बी ने पहले कमल से बात करने और फिर शबनम को मनाने का फैसला किया।

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भाग 3: नसीम बी और कमल की बातचीत

अगले दिन, नसीम बी ने शबनम को बताया कि वो आधे घंटे के लिए बाहर जा रही हैं। दोपहर का समय था, और सड़क पर लोग आ-जा रहे थे। नसीम बी ने सोचा कि इस समय कमल से खुलकर बात हो सकती है। उधर, शबनम ऊपर बाथरूम गई और उसने देखा कि नसीम बी कमल से बात कर रही हैं। 15 मिनट बाद जब शबनम वापस आई, तो नसीम बी अभी भी कमल से बात कर रही थीं। शबनम को ये ठीक नहीं लगा। वो बालकनी में आई और दोनों को देखने लगी। कमल का मुँह उसकी तरफ था, और नसीम बी की पीठ।

नसीम बी कमल की छोटी-सी दुकान पर गईं। कमल ने उन्हें नमस्ते किया। नसीम बी ने इधर-उधर देखा और बोलीं, "कमल भैया, मुझे तुमसे एक नाज़ुक काम है। अगर किसी को पता चला, तो मेरी बड़ी बदनामी होगी। क्या मैं तुम पर भरोसा कर सकती हूँ?"

कमल ने आँखों से भरोसा जताया और कहा, "दीदी, आप कैसी बात करती हैं? आप जो कहेंगी, वो मेरे साथ कब्र तक रहेगा।"

नसीम बी थोड़ी घबराईं, लेकिन फिर बोलीं, "कमल, काम थोड़ा गलत है। कोई सास अपनी बहू के लिए ऐसा नहीं कहेगी। तुम जानते हो, इकबाल की शादी को 5 साल हो गए, और अभी तक कोई औलाद नहीं। इसमें शबनम का कोई दोष नहीं, सारा दोष इकबाल का है। मुझे पता है कि तुमने मेरी सहेली रुखसाना की बहू की मदद की थी। मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी बहू की भी वैसी ही मदद करो और मुझे एक प्यारा-सा नाती दे दो।"

कमल को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। क्या नसीम बी सचमुच शबनम को उसके साथ सुलाने की बात कर रही थीं? उसने सचमुच रुखसाना की बहू की मदद की थी, और आज उसका एक बेटा था। कमल ने फिर से सुनना चाहा, "दीदी, आप कह रही हैं कि मुझे शबनम के साथ... मैं हिंदू हूँ, आप मुसलमान। फिर भी आप ये चाहती हैं? मुझे कोई दिक्कत नहीं, लेकिन अगर किसी को पता चला, तो?"

नसीम बी ने कहा, "कमल, मैं तुम्हें 30,000 रुपये दूँगी, लेकिन बात बाहर नहीं जानी चाहिए। रही बात हिंदू-मुसलमान की, तो मुझे अब बस नाती चाहिए, चाहे वो मेरे बेटे से हो या किसी और से। ये 7,000 रुपये एडवांस ले लो। मैं 15-20 दिन के लिए अपनी बेटी के घर जा रही हूँ। तब तक तुम काम पूरा कर देना।"

कमल ने सोचा, आज का दिन कितना शुभ है। उसे पैसे भी मिल रहे हैं और एक खूबसूरत औरत भी। उसने शबनम को एक छोटी-सी स्माइल दी और कहा, "ठीक है, दीदी। मैं आपको पोता दूँगा। लेकिन अगर कुछ गड़बड़ हुई, तो मुझे मत फँसाना।"

नसीम बी मुस्कुराईं, "अरे कमल, इकबाल में इतना दम नहीं कि वो कुछ कर सके। मैं सब संभाल लूँगी। बस, कोई ज़बरदस्ती नहीं, सब राज़ी-खुशी से होना चाहिए।"

कमल ने कहा, "उसकी चिंता छोड़ो, मैं शबनम को बड़े प्यार से मनाऊँगा। बस मुझे 10 दिन का वक़्त दो। जब मैं कहूँ, आप बेटी के घर चली जाना।"

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भाग 4: शबनम और कमल की नज़दीकियाँ

हर दोपहर कमल नसीम बी के बंगले की सीढ़ियों पर खाना खाने आता था। लेकिन अब उसका मकसद सिर्फ़ खाना नहीं था। वो शबनम को पटाने की कोशिश भी करता। कमल शबनम से ज़्यादा बातें करने लगा, और बातों-बातों में उसका बदन निहारता। 27 साल की शबनम का बदन कसा हुआ था, गोल चेहरा, बड़ी-बड़ी आँखें, पतली कमर, टाइट नितंब और आकर्षक उभार। शुरू में शबनम को कमल का घूरना अजीब लगता था, लेकिन वो उसे ठंडा पानी देती थी। कुछ दिन बाद शबनम की शर्म कम हुई। उसे अपने रूप पर गर्व था। अब वो पानी देने के बाद कमल से गपशप भी करती। 15 दिन में दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। शबनम अब कमल से बात करते वक़्त बेपरवाह हो गई थी। अगर उसका पल्लू सरक जाता, तो वो कमल के सामने ही उसे ठीक करती। कमल का घूरना उसे अच्छा लगने लगा था। जब कमल उसका बदन निहारता, तो उसके जिस्म में एक सिहरन दौड़ जाती। अब शबनम खाली वक़्त में बालकनी में खड़ी होकर कमल को देखती, और कमल उसे देखकर स्माइल करता। दोनों में हँसी-मज़ाक होने लगा।

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भाग 5: शबनम और कमल की मुलाकात

20 दिन बाद कमल ने नसीम बी को बेटी के घर जाने को कहा। उसी शाम नसीम बी ने इकबाल को बताया कि वो बेटी के घर जा रही हैं। शबनम को ये खबर अच्छी लगी, क्योंकि अब वो कमल से और खुलकर बात कर सकती थी। अगले दिन नसीम बी चली गईं। कमल ने 2 दिन ऐसे ही गुज़ार दिए। फिर एक दोपहर, जब कमल खाना खाने आया, शबनम ने हल्की गुलाबी साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना था। ब्लाउज़ डीप-नेक था, गले में मंगलसूत्र और पैरों में पायल। आज शबनम कमल को ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी।

कमल ने कहा, "शबनम बेटी, डॉक्टरी इलाज़ से ज़्यादा तजुर्बा काम करता है। ये एर...एरेक्शन क्या होता है, ज़रा समझाओ?"

शबनम शरमाते हुए बोली, "चाचा, मुझे भी इसका मतलब नहीं पता। डॉक्टर ने कहा था कि मुझे ये जानने की ज़रूरत नहीं। मैंने कई तजुर्बेदार लोगों से पूछा, लेकिन सबने हार मान ली।"

शबनम का पल्लू सरक गया, और कमल को उसके ब्लाउज़ से उभार दिखने लगे। कमल ने कहा, "आजकल के डॉक्टर पैसे लेकर डिग्री लेते हैं। तू चिंता मत कर, मेरे पास इसका इलाज़ है। लेकिन इसके लिए तेरा साथ चाहिए।"

शबनम ने अंगड़ाई ली, जिससे उसका पल्लू और सरक गया। वो बोली, "चाचा, मुझे नींद आ रही है। क्यों ना हम रात को बात करें?"

कमल ने शबनम के कंधे पर हाथ रखा और बोला, "ठीक है, रात को आता हूँ। लेकिन तेरा मियाँ घर पर होगा, तो कैसे बात होगी?"

शबनम ने कहा, "चाचा, अगले एक हफ्ते तक मैं अकेली हूँ।"

कमल ने कहा, "वाह, ये तो अच्छी बात है। रात को आता हूँ। तू मेरे लिए खाना बना दे।"

शबनम ने मज़ाक में कहा, "चाचा, हम नॉन-वेज खाते हैं। आप खाएँगे?"

कमल ने पल्लू ठीक करते हुए कहा, "तू जो बनाएगी, वो खा लूँगा।"

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